यथास्थिति को बदलने में हमेशा लगे रहे राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद योगी अशोक त्रिपाठी/विशेष प्रतिनिधि विपरीत धा...
यथास्थिति को बदलने में हमेशा लगे रहे राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद योगी
अशोक त्रिपाठी/विशेष प्रतिनिधि
विपरीत धारा में पतवार चलाना उन्हें शायद अधिक पसंद था. मुश्किल घड़ी में नैया पार लगाने में वे अधिक समय सफल साबित हुए. बहती धारा के साथ तो सभी तैर लेते हैं धारा के विपरीत तैर पाना सबके बूते की बात नहीं होती. हिमालय के मुश्किल रास्तों की बाधाओं को पार करते हुए उस पर चलने के जैसे कठिन कार्यों को पूर्ण करने की दृढ़ इच्छाशक्ति व अदम्य साहस की चमक उनके चेहरे पर सदैव दिख जाती थी. उनकी जिंदगी के तमाम पहलुओं को देखें तो महसूस होता है कि धारा के विपरीत चलने और अपने अटूट विश्वास के साथ अंधियारे को चीरते हुए उसमें सफलता हासिल कर लेने का जुनून उनमें हमेशा था. वे बदलाव के लिए लड़ना चाहते थे. उनमें दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ जिद्द थी. सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के साथ सामंतवादी, जमीनदारी सोच को खत्म करने के खिलाफ उनकी लड़ाई थी. अन्याय ,अत्याचार के खिलाफ उनकी लड़ाई थी, तो सकारात्मक अभियान भी था पीड़ितों शोषित और दलितों को ऊपर उठाने का. इन्हें अन्याय ,अत्याचार से मुक्ति दिलाने का. चाहे प्रशासनिक कार्य क्षेत्र रहा हो अथवा राजनीति की बात. अनजानी परिस्थितियों, कठिनाइयों से जूझने का दृढ़ संकल्प, नई जिजीविषा उनमें सदैव दिखती थी. छत्तीसगढ़ के आम लोगों को वे अमीर धरती के गरीब लोग कहा करते थे और इसे वे तत्कालीन व्यवस्थाओं की दुष्कृति मानते थे . वे मानते थे कि इन सभ्यताओं के दौर में छत्तीसगढ़ अंचल के आम लोगों कि जो तकदीर गढ जानी थी जो तस्वीर बनाई जानी थी उसमें मनमानी की गई. स्वार्थ साधा गया. लूट की गई. वे सुंदर चमकदार और नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ने वाले छत्तीसगढ़ को गढना चाहते थे. ऐसे रास्तों पर चलने की सोच की साथ विकास की नई उम्मीदों के साथ जब श्री अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का अवसर मिला तो उन्होंने योजना बनाकर इन सपनों को साकार करने की शुरुआत भी की.
जिस काल में उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला उस दौरान इस नए राज्य में राजस्व की प्राप्ति अपेक्षाकृत कम थी. सालाना बजट कम था. लेकिन लोगों में जोश था ,नया उत्साह था छत्तीसगढ़ राज्य को बदलने की परिकल्पना थी. जो नई योजनाएं बन रही थी ,काम करने का दौर शुरू हो रहा था ,उसमें सब कोई एकजुट होकर साथ देने तैयार थे. यह कहा जाता है कि उसी काल में छत्तीसगढ़ राज्य के चारों दिशाओं में चमकदार चौड़ी सड़कें बनाने के काम की बुनियाद रखी गई. इस राज्य में बिजली पानी कोयला एवं खनिज संसाधन जंगल मानव श्रम सबकुछ बहुलता में उपलब्ध है बस उनका समुचित दोहन उपयोग करने की जरूरत है. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में श्री अजीत प्रमोद जोगी ने युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार दिलाने वाले काम को शुरू करने पर जोर दिया. खेतों तक पानी पहुंचाने नए बांध तथा नहर बनाने के काम की शुरुआत की. नया राज्य बनने के बाद यहां राजनीतिक घमासान भी तेजी से शुरू हो गया था. श्री अजीत जोगी यथास्थितिवादी ही हमेशा नहीं बने रहना चाहते थे. उनके मुख्यमंत्री काल में सत्ता के साथ ही उनकी पार्टी में भी व्यापक परिवर्तन की शुरुआत हुई.कहा जाता है कि पार्टी के भीतर इसका विरोध भी शुरू हो गया लेकिन श्री जोगी ने इसकी कभी परवाह नहीं की. वह हमेशा आगे चलते रहे. पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी छत्तीसगढ़ राज्य के विकास के प्रत्येक कार्यों में उन्हें सहयोग करने में हमेशा आगे रही. उन्हें पूरा भरोसा था आगे बढ़ने का, लेकिन पहली पारी के बाद राज्य में हुए विधानसभा के चुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा और उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई. तत्कालीन परिस्थितियों में उन्हें पार्टी से निलंबित भी कर दिया गया लेकिन फिर और अधिक मजबूती के साथ उनकी कांग्रेस में वापसी हुई. तमाम कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी. विकट परिस्थिति में भी वे जूझते रहे . राजनीतिक गतिविधियां अलग थी, राजनीतिक संबंध थे लेकिन उन्होंने अपने व्यक्तिगत संबंधों को, आत्मिक संबंधों को हमेशा मजबूत बनाने की कोशिश की.इसी के चलते विरोधी राजनीतिक पार्टियों के कई लोगों से भी उनके मजबूत व्यक्तिगत संबंध हमेशा बने रहे. बाद में उन्हें कांग्रेश होना पड़ा और अपनी नई पार्टी गठित करनी .इन झंझावत से जूझने से दूसरे के दौरान भी उन्होंने अपनी उम्मीदों को जीवित रखा. वह हमेशा कहते भी रहे दूसरे कई लोगों ने राज्य में राजनीतिक पार्टियां बनाई लेकिन उनके मुकाबले में उनकी राजनीतिक पार्टी काफी अधिक आम लोगों से जुड़ी हुई है और लोग इसके साथ जुड़े.संभवत उन्होंने जो सपना देखा है उस पर अभी बहुत कुछ काम होना बाकी है. वे हम सबके लिए कई स्वप्न उम्मीदों को छोड़कर चले गए.उन दिनों नए -नए बने छत्तीसगढ़ राज्य में शराब माफिया खतरनाक रूप ले रहे थे. इन माफिया से जुड़े लोगों को शासन -प्रशासन की कोई परवाह नहीं रह गई थी. यह कहा जा सकता है कि इन माफियाओं की कमर तोड़ने का काम राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने किया. उन्होंने राज्य में नई शराब नीति बनाई . उन्होंने शराब माफियाओं के रिंग को तोड़ दिया और आम लोग , कमजोर वर्ग के लोग भी शराब के ठेके ले सके इसकी योजना तैयार की. इन कार्यों के लिए भी उन्हें हमेशा याद किया जाएगा
किसानों, गरीबों ,मजदूरों भूमिहीनों, महिलाओं युवाओं को अन्याय से मुक्ति दिलाने के लिए उनकी लड़ाई थी और वे जुल्मों सितम ढाने और शासन प्रशासन को अपनी जेब में रखने की सोच रखने वाले जमाखोरों मुनाफाखोरी, माफियाओं ,तस्करो का इस राज्य से नामोनिशान मिटा देने नई मुहिम शुरू करने की सोच रखते थे. वे ऐसे सपने दिखाकर हम सबके बीच से में चले गए. अधूरे सपनों को छोड़कर .संभवत उनके पीछे करने के लिए बहुत कुछ शेष रह गया है. अपने दृढ़ निश्चय से उनके पैर कभी डगमगाए नहीं. जो वे मन बना लेते थे उसी रास्ते पर चलने का सदैव प्रयत्न करते थे. वे कभी थके नजर नहीं आए. उनका आत्मविश्वास दृढ़ निश्चय अन्याय शोषण के खिलाफ लड़ाई की मुहिम युवाओं का हमेशा मार्ग प्रशस्त करती रहेगी और नई प्रेरणा देती रहेगी.
हम सब की तरफ से उन्हें *अश्रुपूरित श्रद्धांजलि.*
अशोक त्रिपाठी/विशेष प्रतिनिधि
विपरीत धारा में पतवार चलाना उन्हें शायद अधिक पसंद था. मुश्किल घड़ी में नैया पार लगाने में वे अधिक समय सफल साबित हुए. बहती धारा के साथ तो सभी तैर लेते हैं धारा के विपरीत तैर पाना सबके बूते की बात नहीं होती. हिमालय के मुश्किल रास्तों की बाधाओं को पार करते हुए उस पर चलने के जैसे कठिन कार्यों को पूर्ण करने की दृढ़ इच्छाशक्ति व अदम्य साहस की चमक उनके चेहरे पर सदैव दिख जाती थी. उनकी जिंदगी के तमाम पहलुओं को देखें तो महसूस होता है कि धारा के विपरीत चलने और अपने अटूट विश्वास के साथ अंधियारे को चीरते हुए उसमें सफलता हासिल कर लेने का जुनून उनमें हमेशा था. वे बदलाव के लिए लड़ना चाहते थे. उनमें दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ जिद्द थी. सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के साथ सामंतवादी, जमीनदारी सोच को खत्म करने के खिलाफ उनकी लड़ाई थी. अन्याय ,अत्याचार के खिलाफ उनकी लड़ाई थी, तो सकारात्मक अभियान भी था पीड़ितों शोषित और दलितों को ऊपर उठाने का. इन्हें अन्याय ,अत्याचार से मुक्ति दिलाने का. चाहे प्रशासनिक कार्य क्षेत्र रहा हो अथवा राजनीति की बात. अनजानी परिस्थितियों, कठिनाइयों से जूझने का दृढ़ संकल्प, नई जिजीविषा उनमें सदैव दिखती थी. छत्तीसगढ़ के आम लोगों को वे अमीर धरती के गरीब लोग कहा करते थे और इसे वे तत्कालीन व्यवस्थाओं की दुष्कृति मानते थे . वे मानते थे कि इन सभ्यताओं के दौर में छत्तीसगढ़ अंचल के आम लोगों कि जो तकदीर गढ जानी थी जो तस्वीर बनाई जानी थी उसमें मनमानी की गई. स्वार्थ साधा गया. लूट की गई. वे सुंदर चमकदार और नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ने वाले छत्तीसगढ़ को गढना चाहते थे. ऐसे रास्तों पर चलने की सोच की साथ विकास की नई उम्मीदों के साथ जब श्री अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का अवसर मिला तो उन्होंने योजना बनाकर इन सपनों को साकार करने की शुरुआत भी की.
जिस काल में उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला उस दौरान इस नए राज्य में राजस्व की प्राप्ति अपेक्षाकृत कम थी. सालाना बजट कम था. लेकिन लोगों में जोश था ,नया उत्साह था छत्तीसगढ़ राज्य को बदलने की परिकल्पना थी. जो नई योजनाएं बन रही थी ,काम करने का दौर शुरू हो रहा था ,उसमें सब कोई एकजुट होकर साथ देने तैयार थे. यह कहा जाता है कि उसी काल में छत्तीसगढ़ राज्य के चारों दिशाओं में चमकदार चौड़ी सड़कें बनाने के काम की बुनियाद रखी गई. इस राज्य में बिजली पानी कोयला एवं खनिज संसाधन जंगल मानव श्रम सबकुछ बहुलता में उपलब्ध है बस उनका समुचित दोहन उपयोग करने की जरूरत है. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में श्री अजीत प्रमोद जोगी ने युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार दिलाने वाले काम को शुरू करने पर जोर दिया. खेतों तक पानी पहुंचाने नए बांध तथा नहर बनाने के काम की शुरुआत की. नया राज्य बनने के बाद यहां राजनीतिक घमासान भी तेजी से शुरू हो गया था. श्री अजीत जोगी यथास्थितिवादी ही हमेशा नहीं बने रहना चाहते थे. उनके मुख्यमंत्री काल में सत्ता के साथ ही उनकी पार्टी में भी व्यापक परिवर्तन की शुरुआत हुई.कहा जाता है कि पार्टी के भीतर इसका विरोध भी शुरू हो गया लेकिन श्री जोगी ने इसकी कभी परवाह नहीं की. वह हमेशा आगे चलते रहे. पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी छत्तीसगढ़ राज्य के विकास के प्रत्येक कार्यों में उन्हें सहयोग करने में हमेशा आगे रही. उन्हें पूरा भरोसा था आगे बढ़ने का, लेकिन पहली पारी के बाद राज्य में हुए विधानसभा के चुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा और उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई. तत्कालीन परिस्थितियों में उन्हें पार्टी से निलंबित भी कर दिया गया लेकिन फिर और अधिक मजबूती के साथ उनकी कांग्रेस में वापसी हुई. तमाम कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी. विकट परिस्थिति में भी वे जूझते रहे . राजनीतिक गतिविधियां अलग थी, राजनीतिक संबंध थे लेकिन उन्होंने अपने व्यक्तिगत संबंधों को, आत्मिक संबंधों को हमेशा मजबूत बनाने की कोशिश की.इसी के चलते विरोधी राजनीतिक पार्टियों के कई लोगों से भी उनके मजबूत व्यक्तिगत संबंध हमेशा बने रहे. बाद में उन्हें कांग्रेश होना पड़ा और अपनी नई पार्टी गठित करनी .इन झंझावत से जूझने से दूसरे के दौरान भी उन्होंने अपनी उम्मीदों को जीवित रखा. वह हमेशा कहते भी रहे दूसरे कई लोगों ने राज्य में राजनीतिक पार्टियां बनाई लेकिन उनके मुकाबले में उनकी राजनीतिक पार्टी काफी अधिक आम लोगों से जुड़ी हुई है और लोग इसके साथ जुड़े.संभवत उन्होंने जो सपना देखा है उस पर अभी बहुत कुछ काम होना बाकी है. वे हम सबके लिए कई स्वप्न उम्मीदों को छोड़कर चले गए.उन दिनों नए -नए बने छत्तीसगढ़ राज्य में शराब माफिया खतरनाक रूप ले रहे थे. इन माफिया से जुड़े लोगों को शासन -प्रशासन की कोई परवाह नहीं रह गई थी. यह कहा जा सकता है कि इन माफियाओं की कमर तोड़ने का काम राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने किया. उन्होंने राज्य में नई शराब नीति बनाई . उन्होंने शराब माफियाओं के रिंग को तोड़ दिया और आम लोग , कमजोर वर्ग के लोग भी शराब के ठेके ले सके इसकी योजना तैयार की. इन कार्यों के लिए भी उन्हें हमेशा याद किया जाएगा
किसानों, गरीबों ,मजदूरों भूमिहीनों, महिलाओं युवाओं को अन्याय से मुक्ति दिलाने के लिए उनकी लड़ाई थी और वे जुल्मों सितम ढाने और शासन प्रशासन को अपनी जेब में रखने की सोच रखने वाले जमाखोरों मुनाफाखोरी, माफियाओं ,तस्करो का इस राज्य से नामोनिशान मिटा देने नई मुहिम शुरू करने की सोच रखते थे. वे ऐसे सपने दिखाकर हम सबके बीच से में चले गए. अधूरे सपनों को छोड़कर .संभवत उनके पीछे करने के लिए बहुत कुछ शेष रह गया है. अपने दृढ़ निश्चय से उनके पैर कभी डगमगाए नहीं. जो वे मन बना लेते थे उसी रास्ते पर चलने का सदैव प्रयत्न करते थे. वे कभी थके नजर नहीं आए. उनका आत्मविश्वास दृढ़ निश्चय अन्याय शोषण के खिलाफ लड़ाई की मुहिम युवाओं का हमेशा मार्ग प्रशस्त करती रहेगी और नई प्रेरणा देती रहेगी.
हम सब की तरफ से उन्हें *अश्रुपूरित श्रद्धांजलि.*