विपक्ष ने लगाया आरोप समय पर प्रमाणिक बीजों की आपूर्ति नहीं करने वाले ठेकेदारों को शासन के द्वारा दिया जा रहा है संरक्षण, विभागीय मंत्री रविं...
रायपुर। असल बात न्यूज़।
राज्य के कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री रविंद्र चौबे ने आज बताया है कि इस साल प्रदेश के कुछ जिलों में खेतों में जलभराव हो जाने के कारण धान बीज के अंकुरित नहीं होने की शिकायतें मिली है। बीज निगम के माध्यम से कृषकों को वितरित स्वर्णा धान एवं सोयाबीन बीज के गुणवत्ताहीन होने की कहीं जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। सोयाबीन बीज में कम अंकुरण आने की वजह से प्रदेश के 5 जिलों में कृषकों को 4256976 रुपए का मुआवजा प्रदान किया गया है।
मंत्री श्री चौबे ने उक्त आशय की जानकारी विधानसभा में आज ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सूचना के दौरान चर्चा करते हुए दी है। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक एवं सदस्य सौरभ सिंह ने किसानों की विभिन्न समस्याओं के संबंध में विधानसभा में विधानसभा में सवाल उठाए ।सदस्यों ने अपने ध्यानाकर्षण सूचना में कहा कि बीज निगम के द्वारा धान के बीज वैरायटी जेके आरएच 3333 एवं मक्का के बीज वैरायटी जेके nh2222 की खरीदी के लिए आदेश दिया गया था। प्रदायकर्ता ने आदेश के अनुसार बीजों की आपूर्ति नहीं की। इसके बाद बीज निगम ने भी आदेश का उल्लंघन करने वाले आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की । निविदा कर्ताओं को हाइब्रिड धान और मक्का के बीज हेतु बीज निगम से रेट कॉन्ट्रैक्ट करने नोटिफाइड प्रयोगशाला से प्राप्त टेस्टिंग रिपोर्ट को प्रस्तुत करना था लेकिन इसके स्थान पर अन्य प्रयोगशालाओं से प्राप्त टेस्टिंग रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
सदस्यों ने अपने लिखित सूचना में कहा है कि त्रिमूर्ति प्लांट साइंस लिमिटेड द्वारा हाइब्रिड धान बीज की किस्म का डीएनए व मार्क र अभी तक टेस्टिंग हेतु उपलब्ध नहीं कराया गया है तथा इसके लिए उसे बीज निगम के द्वारा लगातार स्मरण पत्र दिया जा रहा है। इन सब दस्तावेजों की पूर्ति के बिना उक्त संस्था को बीज आपूर्ति करने का आदेश लगातार दिया जा रहा है। बीज निगम के क्रय आदेश तथा रेट कांटेक्ट में स्पष्ट होता है कि बीजेपी आपूर्ति 15 दिन के बाद किया जाना आवश्यक है लेकिन आपूर्तिकर्ताओं के द्वारा इस शर्त का भी कहीं पालन नहीं किया जा रहा है। सोयाबीन व स्वर्णा धान के गुणवत्ताहीन बीजों के वितरण की वजह से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है और किसानों में भारी रोष व्याप्त है।
इसका जवाब देते हुए विभागीय मंत्री प्रवीण चौबे ने बताया कि राज्य के बीज एवं कृषि विकास निगम के द्वारा धान बीज वैरायटी जेके आरएच 3333 और मक्का बीज की वैरायटी जेकेएमएस 2222 की आपूर्ति में कहीं अनियमितता नहीं हुई है।सभी निविदा कर्ताओं के द्वारा भारत सरकार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग नई दिल्ली के द्वारा मान्यता प्राप्त स्वयं के अनुसंधान एवं विकास इकाई r&d यूनिट की प्रयोगशाला के टेस्ट रिपोर्ट को ऑनलाइन निविदा में अपलोड किया गया। नोटिफाइड प्रयोगशाला से ही निंदा करता हूं को टेस्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया था ऐसा कहना आधारहीन है। उन्होंने बताया कि त्रिमूर्ति प्लांट साइंस लिमिटेड द्वारा हाइब्रिड बीज हेतु डीएनए, मार्कर उपलब्ध नहीं कराने के संबंध में निविदा अनुबंध सरसों के अनुसार आरसीयू निरस्त करने के संबंध में कारण बताओ सूचना जारी की गई है।
मंत्री श्री चौबे ने बताया कि राज्य के बीज एवं कृषि विकास निगम के द्वारा निविदा के माध्यम से आदेश जारी होने के 15 दिनों के भीतर निर्धारित दर पर सामग्रियों की अनिवार्य रूप से आपूर्ति करने का प्रावधान किया गया है। समय अवधि में सामग्री की आपूर्ति करने में असफल रहने पर प्रदाय आदेश निरस्त करने, सुरक्षा निधि राजसात करने, एवं प्रदायक संस्था को काली सूची में डालने संबंधी प्रावधान है।बीज निगम द्वारा हाइब्रिड बीजों की आपूर्ति हेतु अनुबंधित फर्मों के द्वारा निर्धारित समय अवधि के भीतर सामग्री की आपूर्ति की गई है अतः कोई कार्रवाई करने का प्रश्न उपस्थित होता। इस मामले में सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विभागीय मंत्री के जवाब से अवतरित होकर सदन में जमकर हो हल्ला किया।