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शासकीय अस्पतालों तथा मेडिकल कॉलेज में अंतर अंत रोगियों हेतु भोजन व्यवस्था परिसर की सुरक्षा तथा साफ-सफाई की व्यवस्था हेतु अब जिले स्तर पर ही बुलाया जा सकता टेंडर

  राजनांदगांव के शासकीय अस्पताल तथा मेडिकल कॉलेज में अंत रोगियों को भोजन आपूर्ति के लिए महिला स्व सहायता समूह को करोड़ों रुपए का भुगतान रायप...

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 राजनांदगांव के शासकीय अस्पताल तथा मेडिकल कॉलेज में अंत रोगियों को भोजन आपूर्ति के लिए महिला स्व सहायता समूह को करोड़ों रुपए का भुगतान


रायपुर। असल बात न्यूज़।

राजनांदगांव जिले के शासकीय मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक भर्ती मरीजों को भोजन की आपूर्ति करने वाली दो महिला स्व सहायता समूह को क्रमश 3 करोड़ 30 लाख 81 हजार 346 रुपए और 2करोड़72लाख90 हजार 395 का भुगतान किया गया है। अभी यहां मामला हाईकोर्ट में चले जाने के फलस्वरूप नए टेंडर को अंतिम रूप फाइनल करने में देर हो रही है। इस भुगतान में कहीं गड़बड़ी होने पर जांच की जरूरत पड़ेगी तो जांच करा ली जाएगी। सदस्य दलेश्वर साहू के सवाल पर स्वास्थ्य चिकित्सा मंत्री टीएस सिंह देव ने उक्त आशय की जानकारी दी है।








इस संबंध में सदस्य दलेश्वर साहू ने विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल में सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि शासकीय मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव में वित्तीय  वर्ष 2017 -18 तथा वर्ष 2019-20 के दौरान बाहरी एवं अंत रोगियों को भोजन की आपूर्ति, अस्पताल परिसर की सुरक्षा एवं साफ सफाई व्यवस्था हेतु कितनी -कितनी राशि का भुगतान किया गया। इसका जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिहदेव ने बताया कि वर्ष 2017 -18 शिव वर्ष 2019- 20तक केवल अंत रोगियों के लिए भोजन आपूर्ति की व्यवस्था का कार्य करने के लिए आदर्श जन जागृति महिला स्व सहायता समूह राजनंदगांव को 3 करोड़ 30 लाख 81 हजार 346 रुपए एवं जय मां बमलेश्वरी महिला स्व सहायता समूह राजनांदगांव को 2करोड़72लाख90हजार395 रुपए का जीएसटी सहित भुगतान किया गया। उन्होंने बताया कि अस्पताल में बाहर रोगियों के लिए भोजन व्यवस्था नहीं की जाती।

स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि अस्पताल परिसर की सुरक्षा व सफाई व्यवस्था हेतु शासकीय मेडिकल कॉलेज  राजनांदगांव में मैसर्स मेटा सिक्योरिटी एंड फायर सर्विसेज रायपुर को कार्य दिया गया तथा इसके एवज में चार करोड़ 87लाख67हजार956 रुपए और मेडिकल कॉलेज कार्यालय , हॉस्पिटल की साफ सफाई व्यवस्था 24 करोड़ 60 लाख 27705 रुपए का भुगतान किया गया। इस पर सदस्य दिलेश्वर साहू ने कहा कि सदन में इस सवाल के संबंध मेंअभी तक जो उत्तर आये हैं उसमें 2-2 ,3-3 करोड़ रुपए का अंतर नजर आता है.यहां एक ही फर्म को बिना टेंडर के काम दीया जा  रहा है पूर्व में यह मुद्दा उठाए जाने पर प्रमुख सचिव को इसकी जांच करने आदेशित किया गया था।सदस्य श्री साहू ने सवाल उठाया कि जो जांच का आदेश हुआ था उसमें जांच की कुछ कार्रवाई हुई क्या? तो क्या कार्रवाई हुई?

विभागीय मंत्री श्री सिहदेव ने कहा कि वहां के लिए नए टेंडर बुलाए गए । उक्त कार्य के लिए नई एजेंसी फिक्स हुई । जब तक नई एजेंसी को काम नहीं मिल जाता तब काम को रोका नहीं जा सकता उसी एजेंसी को उचित दरों पर काम उपलब्ध कराया गया है। विभागीय मंत्री ने कहा कि जांच हो जाएगी। जो नया टेंडर है जैसे ही हाईकोर्ट की अनुमति मिलती है नए टेंडर की भी प्रक्रिया हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस पर विचार किया जा रहा है कि सेंट्रलाइजड टेंडर कराने की जगह सभी मेडिकल कॉलेज में अलग-अलग टेंडर होना चाहिए।