न पीएम केयर का पैकेज ला सके, न मेडिकल सहायता दिला पाए, बयानबाजी का अधिकार नहीं – राजेंद्र छत्तीसगढ़ की संस्कृति का ज्ञान न होने से भाजपा नेता...
न पीएम केयर का पैकेज ला सके, न मेडिकल सहायता दिला पाए, बयानबाजी का अधिकार नहीं – राजेंद्र
छत्तीसगढ़ की संस्कृति का ज्ञान न होने से भाजपा नेताओं को नरवा, गरूवा, घुरवा अउ बारी योजना की समझ नहीं
दुर्ग। असल बात न्यूज़।
छत्तीसगढ़ में कोरोना महामारी, लॉकडाउन और नरवा, गरूवा, घुरवा अउ बारी योजना को लेकर भाजपा नेताओं की लगातार बयानबाजी पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री राजेंद्र साहू ने जमकर निशाना साधा है। राजेंद्र ने कहा कि पिछले 6 महीने से वैश्विक महामारी से जूझ रहे छत्तीसगढ़ की जनता के हित में केंद्र सरकार से एक बार भी चर्चा तक न करने वाले भाजपा नेताओं को कोरोना महामारी पर बयानबाजी करने का नैतिक अधिकार नहीं है।
राजेंद्र ने कहा कि लॉकडाउन की
बात करने वाले विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, सांवलाराम डाहरे सहित सभी भाजपा नेताओं को इतना सामान्य ज्ञान होना चाहिए कि लॉकडाउन की गाइडलाइन केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बनाई जाती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ही इसे जारी करता है। ऐसी स्थिति में भाजपा नेताओं का राज्य सरकार पर आरोप लगाना हास्यास्पद है।
राजेंद्र ने कहा कि प्रदेश में भाजपा के 2 राज्यसभा सांसद व 9 लोकसभा सांसदों ने केंद्र सरकार से छत्तीसगढ़ में महामारी से निपटने एक बार भी चिकित्सा सहयोग या फंड जारी करने की मांग नहीं की। भाजपा नेता बताएं कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज का कितना लाभ छत्तीसगढ़ की जनता को मिला? भाजपा नेता इस पैकेज का लाभ छत्तीसगढ़ की जनता को क्यों नहीं दिला पाए? कहीं ऐसा तो नहीं कि यह पैकेज भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। अगर भाजपा को छत्तीसगढ़ की इतनी ही चिंता है तो भाजपा सांसदों और प्रदेश भाजपा नेताओं का प्रतिनिधिमंडल केंद्र सरकार से पीएम केयर फंड से राज्य के लिए राशि की मांग करे।
राजेंद्र ने कहा कि भाजपा नेता कभी गोबर खरीदी का विरोध करते हैं तो कभी गौठान योजना का विरोध शुरू कर देते हैं। वास्तव में भाजपा नेता आज तक नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी योजना को समझ ही नहीं पाए हैं। इसका मूल कारण यह है कि वे छत्तीसगढ़ की संस्कृति को ही नहीं समझते। भूपेश सरकार की सभी योजनाएं गांव, गरीब, किसान की योजनाएं है, जिसे भाजपा के नेता पचा नहीं पा रहे हैं।