कोरोना वायरस के संक्रमण के तेज गति से फैलाव के चलते अधिकारियों, कर्मचारियों में भी दहशत फैल रहा है। इन कठिन परिस्थितियों में आम लोग अपनी इ...
कोरोना वायरस के संक्रमण के तेज गति से फैलाव के चलते अधिकारियों, कर्मचारियों में भी दहशत फैल रहा है। इन कठिन परिस्थितियों में आम लोग अपनी इच्छा के अनुसार घर में बैठ सकते हैं लेकिन इस वर्ग को जिम्मेदारी के साथ अपनी ड्यूटी का निर्वहन करना पड़ रहा है। ऐसे में इस वर्ग के लोगों के जान की जोखिम बढ़ गई है। इसी के चलते कहीं वर्क फ्रॉम होम की छूट देने की मांग की जा रही है तो कहीं स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने, बीमा करने तथा आसपास के इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित करने की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है। प्रदेश पंचायत सचिव संघ ने भी प्रदेश में पंचायत सचिवों का 50 लाख का बीमा करने की मांग की है।
भिलाई दुर्ग। असल बात न्यूज़।
प्रदेश पंचायत सचिव संघ ने अपनी मांग को लेकर मुख्यमंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव तथा पंचायत विभाग के संचालक को ज्ञापन सौंपा है।
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि कोरोनावायरस के संक्रमण का फैलाव ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ता जा रहा है। इसके संक्रमण के फैलने के चलते पंचायत सचिवों को भारी जोखिम के बीच काम करना पड़ रहा है। पंचायत सचिवों का आम लोगों से सीधा संपर्क होता है। ग्रामीण जन समस्याओं, शिकायतों को लेकर पंचायत सचिव के पास पहुंचते हैं। वही प्रतिदिन क्षेत्र के बड़ी संख्या में लोगों को पंचायत सचिव से किसी न किसी काम से संपर्क करना पड़ता है। ऐसे में पंचायत सचिवों के भी संक्रमित होने का खतरा काफी बढ़ गया है। क्योंकि वे लोग, दूसरों के संपर्क में आने से बचने सकते क्योंकि उन्हें अपनी ड्यूटी करनी होती है।
ज्ञापन में बताया गया है कि पंचायत सचिव कोरोनावायरस से संबंधित विभिन्न सर्वे के कार्यों में भी ड्यूटी दे रहे हैं तथा शासन को आवश्यक जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं। वही पंचायत सचिव अपनी जान जोखिम में डालकर क्वॉरेंटाइन सेंटर में भी सेवाएं दे रहे हैं। यहां वे कई घंटे तक अपनी सेवाएं देते हैं। ऐसे जोखिम भरे कार्यों के फल स्वरुप ही पूरे प्रदेश में अब तक सैकड़ों पंचायत सचिव कोरोना से संक्रमित हो गए हैं। वही 10 पंचायत सचिवों की इस से मृत्यु तक हो गई है।
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार ने विभिन्न लोगों को बीमा की सुविधा का लाभ दिया है। ऐसे में पंचायत सचिवों को भी बीमा का लाभ मिलना चाहिए और प्रदेश के सभी पंचायत सचिवों का 50 लाख का बीमा किया जाना चाहिए क्योंकि इस समय बड़े जोखिम को उठाकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं तथा शासन को अपनी सेवाएं दे रहे हैं।