कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं तो इसकी सबसे अधिक टेस्टिंग की जरूरत पड़ रही है। यह मानना कठिन है कि ऐसी विषम परिस्थितियों जबकि ल...
कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं तो इसकी सबसे अधिक टेस्टिंग की जरूरत पड़ रही है। यह मानना कठिन है कि ऐसी विषम परिस्थितियों जबकि लोगों की जान सांसत में फंसी हुई है में भी कुछ लोग फर्जी काम करने लगेंगे। दिल्ली से रिपोर्ट आई है कि वहां एक चिकित्सक कोरोना टेस्ट की ही फर्जी रिपोर्ट देने लगा। अभी वह डॉक्टर और उसके सहयोगी गिरफ्तार कर लिए गए हैं लेकिन कोरोना टेस्ट की फर्जी रिपोर्ट देने के कितने गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं इसे आसानी से समझा जा सकता है। उन लोगों ने इसकी परवाह नहीं की।
नई दिल्ली। असल बात न्यूज़।
दक्षिणी दिल्ली पुलिस ने एक डॉक्टर और उसके सहयोगी को गिरफ्तार किया है. ये लोग एक नामी लैब के नाम से लोगों की फज़़ीर् कोरोना टेस्ट रिपोर्ट तैयार करते थे, लोगों के सैंपल भी खुद ही ले लेते थे, अब तक ये लोग 75 से ज्यादा लोगों की कोरोना की फर्जी टेस्ट रिपोर्ट तैयार कर चुके हैं. इस मामले में कुछ और लोगों की तलाश की जा रही है.
दक्षिणी दिल्ली के डीसीपी अतुल ठाकुर के मुताबिक, 30 अगस्त को दिल्ली के हौजखास थाने में नर्सें मुहैया कराने वाले एक शख्स ने शिकायत दी कि उसने 2 नर्सों को हायर करने के पहले उनका डॉक्टर कुश पाराशर से कोरोना टेस्ट कराया. डॉक्टर ने कोरोना टेस्ट के लिए नर्सों का सैंपल लिया और फिर मोबाइल पर क्कष्ठस्न फॉरमैट में दोनों नर्सों की कोरोना की रिपोर्ट भेज दी. एक रिपोर्ट में एक नर्स का नाम गलत लिखा हुआ था. नाम ठीक कराने के लिए जब रिपोर्ट में लिखी लैब में फोन किया गया तो पता चला उस लैब में उस नाम से किसी का कोरोना का टेस्ट ही नहीं हुआ. पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की तो पता चला कि डॉक्टर कुश बिहारी पाराशर ने रूस से एमबीबीएस किया है और वो मालवीय नगर के अलावा अलग-अलग जगहों पर क्लीनिक में बैठते हैं. उन्होंने अपने सोशल सर्किल के जरिए ये फैलाया कि वो कोरोना के सैंपल लेते हैं और जांच करवा देते हैं. इसके बाद उनके पास कोरोना की जांच के लिए लोग आने लगे. उन्होंने अपने एक सहयोगी अमित के जरिए अब तक 75 से ज्यादा लोगों के कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल लिए और नामी लैब्स के नाम पर कोरोना की फज़़ीर् रिपोर्ट तैयार कर दी. किसी की रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव तो किसी की रिपोर्ट में निगेटिव लिखा गया.
पुलिस के मुताबिक, हो सकता है कि किसी कोविड पॉजिटिव मरीज़ को रिपोर्ट में नेगेटिव बता दिया गया हो और उसकी वजह से कई और लोगों को कोरोना फैल गया हो या ऐसे भी लोग हो सकते हैं जो कोविड नेगेटिव हों और उन्हें रिपोर्ट में पॉजिटिव बता दिया गया हो, इसकी जांच चल रही है. डॉक्टर कुश बिहारी पाराशर सैंपल लेने के बाद उन्हें नष्ट कर देता था. एक रिपोर्ट के वो 2400 रुपये वसूलता था. डॉक्टर और उसके सहयोगी अमित को गिरफ्तार कर लिया गया है. इनके कुछ और सहयोगियों की तलाश जारी है.
छत्तीसगढ़ राज्य में सरकार के द्वारा कोरोना के संक्रमण के इलाज को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है तथा जो निजी अस्पताल इसमें अपनी सेवाएं दे रहे हैं जिला प्रशासन द्वारा उन पर नजर रखी जा रही है. जिलों में यह नजर रखने के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए हैं.