वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण के फैलाव तथा लाक डाउन की वजह से अधिवक्ताओं को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। न्यायालयों मे...
वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण के फैलाव तथा लाक डाउन की वजह से अधिवक्ताओं को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। न्यायालयों में सामान्य दिनों की तरह कामकाज नहीं चलने की वजह से अधिवक्ताओं का काम धाम, पूरी तरह से अस्त-व्यस्त और चौपट है। पिछले 5 महीने से उन्हें लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मजदूरों, किसानों के हित की बात तो सभी करते दिख रहे हैं लेकिन इस वर्ग की तरफ शायद ही किसी का ध्यान है।
रायपुर, दुर्ग। असल बात न्यूज़।
अधिवक्ताओं की परेशानी से प्रदेश सरकार को अवगत कराया जा रहा है। इस संबंध में राजनांदगांव जिले के अधिवक्ता संघ ने भी प्रदेश सरकार को पत्र लिखा है। असल में प्रदेश में भी न्यायालयीन कार्य पिछले मार्च महीने से लगातार स्थगित चल रहा है। न्यायालयीन कार्य, लगातार स्थगित रहने की वजह से अधिवक्ताओं का भी वकालत व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है। वही कोरोनावायरस के संक्रमण के फैलाव का खतरा भी लगातार बना हुआ है। अधिवक्ता भी अपने मुवक्किल, आम लोगों से मिलने में कतरा रहे हैं। डर है कि कोई भी कोरोना से संक्रमित हो सकता है।
जिला अधिवक्ता संघ राजनांदगांव के द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे गए पत्र में बताया गया है कि पूरे प्रदेश भर में न्यायालयीन कार्य लगातार स्थगित रहने की वजह से अधिवक्ताओं के व्यवसाय का साधन ठप हो गया है। इस समय संपूर्ण प्रदेश के अधिवक्ता अपने वकालत के व्यवसाय से वंचित हो गए और उनके अर्थ उपार्जन का साधन समाप्त हो गया है। अधिवक्ता संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से ऐसे प्राकृतिक विपदा कठिन समय में सहयोग के लिए प्रत्येक अधिवक्ताओं को एकमुश्त ₹50 हजार रुपए देने तथा न्यायालय कार्य स्थगित रहने तक प्रतिमाह₹10 हजारों रुपए देने का आग्रह किया है।
संघ के द्वारा कोरोना से संक्रमित होकर किसी अधिवक्ता की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को ₹50 हजारों रुपए की आर्थिक सहायता देने तथा अधिवक्ताओं का उच्च स्तरीय शासकीय व निजी संस्थानों में निशुल्क इलाज करने हेतु निर्देश देने का भी आग्रह किया है।