श्रम और कृषिस सुधार के विधेयक काला कानून, इसे राज्यों को विश्वास में लिए बिना पारित किया गया-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर। असल बात न्यूज़।...
रायपुर। असल बात न्यूज़।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कृषि संबंधी विषयों पर कानून बनाना राज्य सरकार का ही विषय है। समवर्ती सूची में इस विषय को शामिल किया गया है।राज्यसभा और लोकसभा में कृषि संबंधी सुधारों के जो विधेयक पारित किए गए हैं वह काला कानून है। किसान अन्नदाता है उसे ट्रेडर्स बताकर कानून बनाया जा रहा है। इसी तरह से श्रम कानून में भी सुधार कर श्रमिकों का अहित करने वाले निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से ये विधेयक वापस लेने तथा महामहिम राष्ट्रपति से इन विधायकों पर हस्ताक्षर नहीं कर इसे मंजूरी नहीं देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रदेश कांग्रेस कमेटी तथा आम जनता इन विधेयको को वापस नहीं लेने पर इसके खिलाफ लड़ाई शुरू करेगी।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए उक्त आशय की बातें कहीं। उन्होंने कहा कि संसद के दोनों सदनों में तीनों विधायकों को बिना किसी बहस , बिना मतदान के पूर्णता गैर लोकतांत्रिक ढंग से पारित करा लिया गया। इन विधेयकों के दुष्परिणाम की आशंका से देश भर के किसान आक्रोशित है तथा सड़क पर उतर रहे हैं। इन विधेयकों को लाने के पहले राज्यों को विश्वास में नहीं लिया गया जबकि यह सीधे-सीधे राज्य से जुड़ा हुआ मामला है। किसानों को आशंका है कि ऐसे कानून के बहाने केंद्र सरकार, न्यूनतम समर्थन की व्यवस्था समाप्त करने की साजिश कर सकती है।वही किसानों की यह भी आशंका है कि कांट्रैक्ट फार्मिंग, की आड़ में किसानों की भूमि कारपोरेट घराने को दिए जाने की तैयारी की जा रही है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस सरकार ने उन राज्यों के किसानों का धान नहीं खरीदने को कहा है जो कि किसानों को समर्थन मूल्य से अधिक राशि का भुगतान कर रहे हैं। जबकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत मिलती है तो आंसर की राशि सरकार को देना चाहिए।एफसीआई के पास खाद्यान्नों के बफर स्टॉक के सीमा कैसे अनाज तत्काल खुले बाजार में विक्रय के जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पिछले 6 वर्षों के कार्यकाल में किसानों के साथ लगातार छल किया गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य मैं न्यूनतम वृद्धि, स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को घोषणा करने के बाद भी लागू ना करना,, खाद्यान्नों पर बोनस दिए जाने पर प्रतिबंध तथा आय दोगुनी करने का भ्रम फैलाना इत्यादि तथ्यों को देखने से पता चलता है कि मोदी सरकार किसान विरोधी सरकार है। किसानों के साथ-साथ देश की गरीब जनता को ही खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित कर दिया गया है।ऐसे में यह आशंका भी बढ़ना स्वाभाविक है कि कृषि एवं पीडीएस की पूरी व्यवस्था को कारपोरेट घराने को सौंपने की तैयारी की जा रही है जिससे किसानों एवं गरीब परिवारों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि श्रम कानूनों के संबंध में पारित विधेयक भी राज्य एवं प्रभावितो से एक साथ विस्तृत विचार विमर्श के बिना जल्दबाजी में पास करा लिया गया। जिन उद्योगों में 300 से कम श्रमिक है उन्हें छटनी की अनुमति दे दी गई है। छत्तीसगढ़ राज्य में 70% से उद्योगों संस्थानों में 300 से कम श्रमिक कार्यरत हैं। ऐसे में यहां के श्रमिकों में रोजगार की अनिश्चितता पैदा हो जाएगी।