Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


स्वरूपानंद महाविद्यालय में शिक्षक दिवस पर प्रतियोगिता का आयोजन

  शिक्षक दिवस के अवसर पर जिस तरह के रंगारंग समारोह पहले आयोजित होते थे और पूरी गरिमा के साथ शिक्षकों का सम्मान- स्वागत किया जाता था कोरोना व...

Also Read

 शिक्षक दिवस के अवसर पर जिस तरह के रंगारंग समारोह पहले आयोजित होते थे और पूरी गरिमा के साथ शिक्षकों का सम्मान- स्वागत किया जाता था कोरोना वायरस के संक्रमण के तेज गति से हो रहे फैलाव के चलते इस साल इस तरह के  कार्यक्रम, समारोह तो नहीं हुए लेकिन विभिन्न संगठनों ने अपने- अपने तरीके से शिक्षक दिवस मनाया तथा शिक्षकों का सम्मान किया। इस अवसर पर भिलाई के स्वरूपानंद महाविद्यालय में शिक्षकों को याद करने, उनके महत्व को बताने के उद्देश्य से विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

भिलाई । असल बात न्यूज़।


डॉ. राधाकृष्णन के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के शिक्षा विभाग के द्वारा शिक्षक दिवस पर ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों द्वारा अपने प्रथम गुरु के सम्मान में उनके द्वारा दिए गए अनुभव को साझा करते हुए लेख,कविता,संस्मरण का वीडियो बनाकर भेजना था| प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने प्रथम गुरु के रूप में  केवल शिक्षक का ही नहीं अपितु किसी रिश्तेदार, मित्र या अनजान व्यक्ति के सन्दर्भ में अपने विचार व्यक्त किये ,जिनके कारण उनकी सोच में परिवर्तन हुआ और जिन्दंगी की दिशा बदल गयी उनकी प्रेरणा के कारण उनके जीवन में क्या परिवर्तन आया अपने संस्मरण शेयर किये।

कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. दुर्गावती मिश्रा ने कहा प्रथम गुरु कोई भी हो सकता है वह माता-पिता या अन्य रिश्तेदार हो सकता है जो हमें पल-पल मार्गदर्शन एवं निर्देशन देते रहते हैं।

संस्था के सी.ओ.ओ डॉ. दीपक शर्मा ने कहा कि गुरु का स्थान ईश्वर से भी पहले हैं  गुरु हमें ईश्वर से मिलाने का मार्ग बताते हैं|

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि शिक्षक कुम्हार की भांति होता है जो कच्ची मिट्टी रूपी शिष्य को सुंदर आकार देकर उसके भविष्य का निर्माण करता है।








शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ पूनम निकुंभ ने कहा कि विद्यार्थी बी.एड. प्रशिक्षण के दौरान कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर एक आदर्श शिक्षक बनकर उत्कृष्ट समाज की रचना करते हैं। कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. पूनम शुक्ला श्रीमती शैलजा पवार और उषा साहू ने अपना सहयोग प्रदान किया।

कार्यक्रम में बी.एड. की प्रथम सेमेस्टर की छात्रा कुमारी नीलम यादव ने अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि शिक्षक द्रोणाचार्य की भांति होते हैं जो हमें अणु परमाणु विज्ञान संज्ञान सब विषयों का ज्ञान प्रदान करते हैं और एक अच्छा नागरिक बनने की प्रेरणा देते हैं| एम एड प्रथम सेमेस्टर की छात्रा कुमारी पूजा कुशवाहा ने विद्यार्थी की तुलना कच्ची मिट्टी से की है गुरु ने मिट्टी को सुन्दर मूर्ति का रूप दिया। एम.एड. प्रथम सेमेस्टर की संयुक्ता ने माता-पिता को शिक्षक के समतुल्य माना जो हमें अच्छे संस्कार प्रदान करते हैं।  एम.एड. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा ज्योति कुमारी ने अपने इतिहास शिक्षक के बारे में संस्मरण बताया कि उनके पढ़ाने का तरीका इतना अच्छा था कि ऐसा प्रतीत होता था कि सारी घटनाएं हमारे समक्ष घटित हो रहे हैं।

श्रीमती हेमा शर्मा शिक्षिका ने अपने संस्मरण में कहा कि एक संत के प्रवचन से मेरे जीवन में बदलाव आया किहम अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए ईश्वर से मन्नत मांगते हैं और हमारी इच्छाएं कभी तृप्त नहीं होती हमें याचक न होकर ईश्वर पर विश्वाश करना चाहिए कि वह हमारे लिए जो करेंगे अच्छा ही होगा| प्रियंका इक्का, भारती, पल्लवी यादव बी.एड. विद्यार्थियों ने प्रथम गुरु के सम्बन्ध में विचार व्यक्त किये|


प्रतियोगिता के परिणाम इस प्रकार हैं- 

प्रथम- नीलम यादव बी.एड.- तृतीय सेमेस्टर ,द्वितीय- संयुक्ता एम एड प्रथम सेमेस्टर ,तृतीय- ज्योति कुमारी और पूजा कुशवाहा एम एड प्रथम सेमेस्टर , सांत्वना- श्रीमती हेमा शर्मा (शिक्षिका- कुसमुंडा कोरबा)

कार्यक्रम की निर्णायक डॉ सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिंदी डॉ. नीलम गांधी विभागाध्यक्ष वाणिज्य रहे। शिक्षा विभाग के समस्त प्राध्यापकों ने कार्यक्रम की सफलता पर बधाई दी।