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ड्रग्स, दारू माफियाओं को अभी नियंत्रित नहीं किया गया तो प्रदेश में सामने आ सकते हैं बड़े दुष्परिणाम

  विशेष आलेख. / .अशोक त्रिपाठी असल बात न्यूज़ । छत्तीसगढ़ प्रदेश में अभी लॉकडाउन के चलते दारू दुकानें बंद है तो आगे महात्मा गांधी जी की जयंत...

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 विशेष आलेख. /.अशोक त्रिपाठी

असल बात न्यूज़ ।

छत्तीसगढ़ प्रदेश में अभी लॉकडाउन के चलते दारू दुकानें बंद है तो आगे महात्मा गांधी जी की जयंती के अवसर पर यहां शुष्क सप्ताह मनाया जा रहा है और दारू दुकानें बंद रहेंगी। दारु तस्कर और माफिया के लोग, ऐसे ही अवसरों की तलाश में रहते हैं। सरकारी तंत्र के द्वारा दारू बेचना बंद किया जाता है तो इन तस्करों को अपनी अवैध दारू, इधर उधर से लाई गई दारू खपाने का अवसर अधिक मिल जाता है। वैसे भी यह लोग अपने धंधे कैसे भी साल भर चलाते रहते हैं। पिछले दिनों कवर्धा में मध्य प्रदेश से अवैध रूप से लाई जा रही लाखों रुपए की दारू, आबकारी विभाग की सक्रियता की वजह से पकड़ी गई।माना जा रहा है कि दूसरे राज्यों से इस तरह से बड़े पैमाने पर अवैध रूप से दारु लाने का खेल अभी बड़े पैमाने पर हो सकता है। यह भी खबर है कि मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र और उड़ीसा इत्यादि राज्य से विभिन्न रास्तों से यहां दारू लाई जाती रही है और इसकी अवैध रूप से खपत की जाती है। पिछले साल भर से छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से दारू बेचने वालों की चांदी कट रही है। इधर,  ड्रग्स माफिया के लोगों की भी सक्रियता यहां बढ़ती जा रही है। ड्रग्स माफिया के यह लोग युवा वर्ग को ड्रग्स का आदि बनाने में लगे हैं। खास बात यह भी है कि पता चला है कि इस ड्रग्स की आपूर्ति खुले सार्वजनिक स्थलों पार्क, बस स्टैंड जैसे स्थानों पर की जा रही है।  युवाओं के पास इन अड्डों के बारे में जानकारी पहुंचाई जाती है तथा उन्हें नशे का यह समान यही पहुंचकर लेने को कहा जाता है। स्थानीय जो सफाई होते हैं वह भी यहीं आकर ऑर्डर के अनुसार अपना माल ले जाते हैं। वे समय तारीख निश्चित होने पर यहां ड्रग लेने पहुंच जाते हैं। इससे इनकार करना मुश्किल है कि इस बारे में स्थानीय प्रशासन प्रशासन के लोगों को जानकारी नहीं है।लोग अवैध रूप से दारू बेचने से ही चिंतित हैं तो वही ड्रग्स की खपत उससे अधिक बढ़ाने की कोशिश करने का पता चला है। कॉलेज केे युवाओं को भी ड्रग्स की चपेट मेंं लेने की कोशिश की जा रही है और अपना धंधा बढ़ाने के लिए कैसेे भी उन्हेंंं ड्रग्स की लत लगाई जा रही है। इससे भयावह क्या बात  छत्तीसगढ़ के लिए हो सकती हैं कि जो युवा अभी बेरोजगार होकर दूसरेे राज्य से लॉकडाउन की वजह से काम छोड़ कर लौटे हैं उन्हें भी यहां नशे का आदि बनाने की कोशिश की जा रही है। छत्तीसगढ़ के ताजाा हालातों को देखेंगे तो पता चलेगा नशे का कारोबार , ड्रूरग्स दारू बेचने  का धंधा कैसे फल फूल रहा है और लोग कैसे इस से जुड़ रहे हैं तथा इसके कैसे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। अभी राजनांदगांव जिले में पिछले 5-6 दिनों से हत्या की लगातार वारदात हो रही है। युवा एक दूसरे को खून से रंग दे रहे हैं। नशे की लत के चलते एक दूसरे के खून के प्यासे होते जा रहे हैं। खून गर्म   है और ऊपर से नशा सवार हो जाए तो खून के प्यासे अंधे को कुछ नहींं सूझता। नशे की लत के चलते इस तरह की वारदात हो रही हैं। इस दौरान एक और बड़ी बात सामने आई है कि तमाम होटल्सस के द्वारा नशीली चीजें मिलाकर व्यंजन परोसेे जा रहे हैं, खास तौर पर मांसाहारी व्यंजन। ऐसेेेे व्यंजन का स्वाद लेने लिए लोगोंं की भारी भीड़़ भी जुट रही है। होटल्स के प्रबंधकोंं को जब मुनाफाा मिल रहा हैं तो अपने ग्राहकों    को  इसी तरह से परोसने में कोई समझौता भी नहींंंं कर रहे हैं। पैसा कमानेे में लगे इन लोगोंं को इससे कोई लेना-देना नहीं कि ऐसे व्यंजन से लोग नशे के आदी होते जा रहेे हैं। इन सब का एक ही सूत्र और सिद्धांत है कि हमेंं पैसा कमाना है दूसरे लोग नशेेे के आदी हो रहेे हैं तो होने दीजिए। ऐसे वातावरण में लोगों की पैसे कमाने की हवस के चलते आबकारी विभाग और पुलिस विभाग के समक्ष राज्य मेंंं नई चुनौतियां पैदा हो रही है । अब देखना यह है ताजा हालात से कैसे निपटा जाएगा। अथवा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश , आगे नशे का बड़ाव्यापारिक केंद्र बनता ही जाएगा और drugs माफिया, अवैध रूप से दारू बेचने वाले लोगों का यहां जाल फैलता जाएगा।


ड्रग्स और दारू के धंधे में कमाई इतनी अधिक है कि इस धंधे से जुड़ने के प्रति सबका आकर्षण बढ़ गया  है। खासतौर पर युवा वर्ग में। युवा वर्ग, जल्द से जल्द अधिक धन कमा लेना चाहता है। चाहे इसके लिए उसे दो नंबर का ही काम क्यों ना करना पड़े। छत्तीसगढ़ राज्य में भी अवैध तरीके से ड्रग्स को खपाने की कोशिशें चल रही हैं। युवाओं को इसका आदि बनाने का प्रयास किया जा रहा है । ड्रग्स खपाने वाले अपराधिक तत्वों को सिर्फ अपनी कमाई से मतलब है। अभी पूरे देश में ड्रग्स की सप्लाई और उसके सेवन की खबरें चर्चा में बनी हुई है। फिल्मों में काम करने वाले अभिनेता अभिनेताओं और विभिन्न सेलिब्रिटीज के द्वारा ड्रग्स का सेवन करने और उसको इधर उधर पहुंचाने, आपूर्ति करने की खबरें आ रही है। यह कोई मामूली खबरें नहीं है वरन अपराध जगत से जुड़ी बड़ी गंभीर बातें हैं लेकिन इसको इस मामले को ऐसा लगता है कि गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। अभी ड्रग्स माफियाओं को समूल नष्ट कर देने, ड्रग्स जहां से आता हैं उन सफेदपोशो के गिरेबान पर शिकंजा कस कर असामाजिक तत्वों को जेल के सीखचों के पीछे  डाल दिया जाना चाहिए लेकिन ऐसी कोई ठोस कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है। इसकी भी आशंका पैदा हो रही है कि कहीं समय बीतने के साथ ऐसे गंभीर आपराधिक मामले को कहीं ठंडे बस्ते में डाल ना दिया जाए।

डॉग्स और दारू के धंधे से जुड़े माफियाओ के पास दो नंबर का पैसा बहुत अधिक है तो स्वाभाविक रूप से इनकी पहुंच भी बहुत ऊंचे तक दूर तक होगी। पैसा देकर यह असामाजिक तत्व कई जगह से समर्थन प्राप्त कर लेते हैं। चुनाव प्रचार के समय भी यह तत्व अपने धनबल, बाहुबल का प्रदर्शन करते हैं तो उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी मिल ही जाता है। ऐसे में जब इनके कृकृत्य, काले कारनामे उजागर होते हैं तो बहुत सारे ऊंची सकते हैं नहीं बचाने लगाते हैं। ऊंची शक्तियों का प्रभाव से पूरे मामले में झोलझाल हो जाता है। कई अपराधियों के नाम सामने आते जाते हैं, ऐसा लगता है कि बहुत बड़ी कार्रवाई होने जा रही है, लेकिन  एक बात हे ज्यादा सामने आती है कि सबूतों के अभाव में सभी स्वयं को बेगुनाह साबित करने में सफल जाते हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य में कुछ साल पहले सरकार के आदेश के बाद जिलों में पुलिस प्रशासन के द्वारा उन लोगों की पहचान करने की कोशिश शुरू की गई थी जो कि कोई काम धाम नहीं करते और उन लोगों ने कुछ ही दिनों में लाखों और करोड़ों रुपए का वारा न्यारा कर लिया . या अभियान कुछ दिनों तक तेज गति से चला लेकिन आगे चलकर लगता है किस पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया. बिना कुछ काम धंधा किए लाखों करोड़ों रुपए का माल कमा लेने वाले लोग निश्चित रूप से एक नंबर का काम धंधा कर इतनी कमाई तो नहीं कर सकते दो नंबर के धंधे कामों से ही ऐसी मोटी कमाई हो सकती है। सरकारी नौकरियों में जो लोग हैं जिन्हें प्रतिमान लाखों रुपए पेमेंट मिल रही है वह भी चंद सालों में लाखों करोड़ों की संपत्ति नहीं बना सकते। समोसा इस इस आवश्यकता को समझते हुए दो नंबर के धंधे से जुड़े हुए लोगों का पर्दाफाश करने के लिए उक्त अभियान शुरू किया था। लेकिन जो कहा जाता है वैसा ही हुआ। दो नंबर के धंधे से जुड़े लोगों पर हाथ डालने में कहीं ना कहीं से अड़चन आने हीं लगती है। कभी ऊपरी दबाव से कार्रवाई को रोक देता है जो कभी जांच करने वाले ही अपने उद्देश्यों, काम पप्पा कार्रवाई से भटक जाते हैं। और पूरी बात आई गई हो जाती है। बिना काम किए लाखों करोड़ों का वारा न्यारा कर लेने वालों की जांच के मामले में भी संभवत ऐसा ही हुआ। क्या कहा जाता है कि इस तरह की लाखों करोड़ों की कमाई करने वाले लोग नशे के ही धंधे से जुड़े हुए हैं। नशे के धंधे से इफरात पैसा इनके पास आता है और फिर यह सब अपने काली कमाई के धंधे से आए पैसे को दूसरे कामों में लगा कर वाइट मनी बनाने में आ जाते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में भी ड्रग्स माफियाओं और दारू माफियाओं का धंधा जमकर फला फूला है। कुछ लोगों की जो बड़ी बड़ी बिल्डिंग  तन गई और उनका लाखों करोड़ों का व्यापार चल रहा है तो उसके पीछे नशे के धंधे से आए पैसे की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन सफेदपोशो ने अपनी काली कमाई को वाइट पानी में बदल दिया तो सब ढूंढते रह जाएंगे कि काला धंधा कहां और कब किया गया और किसने किया। अभी उस अभियान को और तेज किए जाने की जरूरत है। यह पता लगने लग जाएगा कि लोगों के पास पैसा कहां से आ रहा है तो स्वाभाविक तौर पर बहुत सारे अपराधी, और अपराधियों का अपने आप खुलासा होने लगेगा। असली में पढ़े-लिखे वर्ग को इसके लिए अभियान चलाना चाहिए और इस अभियान से जुड़ना चाहिए।