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महामारी के फैलाव को रोकने क्या यह lockdown, continue 14 दिनों का होना चाहिए ?

  विशेष लेख--   o अशोक त्रिपाठी  असल बात न्यूज़. ये public का lockdown है। कोरोना के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता नजर...

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 विशेष लेख--   o अशोक त्रिपाठी 

असल बात न्यूज़.

ये public का lockdown है।

कोरोना के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता नजर आ रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी यही रास्ता सुझाया है। लोगों में एक दूसरे के बीच दूरी बना देना। यह संक्रमण, एक से दूसरे, तक फैल रहा है।यह माना गया है कि लोगों के बीच संपर्क नहीं रहेगा, दूरियां बनी रहेगी तो संक्रमण का फैलाव स्वामेव ही रुक जाएगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञ शुरू से लोगों में दूरी बनाए रखने की राय दे रहे हैं। कोविड-19 के संक्रमण के फैलाव को रोकने अभी लॉकडाउन किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इससे corona वायरस के संक्रमण के फैलाव की चेन टूट जाएगी। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि ऐसा lockdown आखिर कितने दिनों का होना चाहिए, continue कितने दिनों तक चलना चाहिए। ऐसे में जानकार लोगों की तरफ से ऐसे भी सुझाव हो रहे हैं कि यह lockdown कम से कम 14 दिनों का होना चाहिए। कहीं ऐसा ना हो कि हम लोगों की जान बचाने में   सिर्फ खानापूर्ति करते ही रह जाएं। जब लोगों की जिंदगी दांव पर लगी हुई है तो भले ही किसी को  तात्कालिक तौर पर अधिक परेशानी हो, लोगों को तनिक दिक्कतों का सामना करना पड़े, लेकिन ऐसी कठिन परिस्थितियों में कड़े निर्णय लिए जाने चाहिए। छत्तीसगढ़ प्रदेश में लगभग सभी स्थानों पर lockdown को आम जनता का स्वस्फूर्त भरपूर सहयोग मिल रहा है। लोग स्वयं होकर किसी भी काम से भी घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। लोगों को हम यह समझाने में सफल हो जाएंगे कि 14 दिनों के lockdown से सभी की जिंदगी सुरक्षित होगी तो सभी इसका पालन करना कबूल कर लेंगे।

अब 4 महीने से अधिक समय हो गया है आम जनता को कोरोनावायरस के संक्रमण के फैलाव से जूझते हुए और इससे पैदा तमाम कठिन परिस्थितियों एवं कष्टों से निपटते हुए। इस बीच सरकार, शासन प्रशासन  के द्वारा कोविड-19 के संक्रमण के फैलाव के नियंत्रण तथा रोकथाम और लोगों को राहत देने के लिए तरह-तरह का प्रयास किए गए हैं। प्रत्येक नए प्रयासों से आम लोगों को लगा कि आगे चलकर हमें इस संकट की घड़ी से मुक्ति मिल जाने वाली है। लेकिन कोरोनावायरस के संक्रमण का फैलाव,  इसको, रोकने के तमाम प्रयासों के बीच अपनी ही स्पीड से  चल रहा है। पहले जो लोग कोरोना संक्रमण को कुछ नहीं मानते थे, या मानना नहीं चाहते थे, इसके भयानक रूप तथा रुख को देखकर अब वे सभी शरणागत हो गए हैं और भगवान से बना रहे हैं कि यह  आपदा जल्द से जल्द खत्म हो जाए और लोगों की जान सुरक्षित हो सके। कोरोना वारियर्स पर पहले कहीं हमले होने उनसे मारपीट करने, उन्हें डराने धमकाने तथा  दौड़ाने, खदेड़ने की खबरें आ रही थी उसकी जगह  वे सारे लोग भी अब स्वयं या उनके परिजन संक्रमित हो रहे हैं तो अस्पतालों में  जिंदगी की सुरक्षा के लिए प्रयासरत हैं। अब इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना के संक्रमण का फैलाव, सामुदायिक फैलाव का रूप ले चुका है। एक दूसरे के संपर्क में आने से इस महामारी का संक्रमण फैल रहा है। ऐसे में इसके फैलाव को रोकना है तो सबसे पहले सामुदायिक दूरी को बढ़ाना होगा, इसे नियंत्रित करना होगा, एक दूसरे के बीच सुरक्षित दूरी अनिवार्य रूप से बनाना होगा।




इस पर संतोष व्यक्त किया जाता है कि लगभग सभी वर्ग के लोग लॉक डाउन को सफल बनाने में स्वयं होकर सहयोग कर रहे हैं। लोगों को अभी अपने व्यवसाय, काम धाम, रोजी रोटी पैसा कमाने की अधिक चिंता नहीं है। इतनी व्यवस्था शायद सभी ने कर ली है कि यह संकट का दौर, पीरियड घर में बिता कर निकाला जा सके। लोगों को समझ में आ गया है कि भीड़ में जाने, किसी के संपर्क में आने से वह भी संक्रमित हो सकते हैं। वे संक्रमित हो गए तो उनसे पूरा परिवार संक्रमित हो सकता है। और पूरे परिवार से पूरी कॉलोनी और मोहल्ला।  संक्रमित हो जाने के बाद एक परिवार पर क्या बीतती है? इसकी हालत वही पीड़ित जानता है। संक्रमित हो जाने से कई लोग की इसके चपेट में आकर मौत  हो गई है। इससे कई परिवार टूट कर बिखर गए हैं। बर्बाद होकर सड़कों पर आ गए हैं। कई घरों में कमाने खाने वाला कोई नहीं रह गया है। इस पीड़ा को लोगों ने महसूस किया है। अपनी आंखों से देखा है। सभी को लग रहा है कि ऐसी विपत्ति, किसी के साथ भी आ सकती है। सबसे बड़ी बड़ी विडंबना और वास्तविक दिक्कत कि जिस परिवार में कोई संक्रमित हो जा रहा है उससे सब दूरी बना ले रहे हैं। गाइडलाइन के अनुसार ऐसा किया जाना जरूरी  है। वरना संक्रमण का फैलाव, सभी को अपनी चपेट में ले सकता है। संक्रमित होकर लोग, परिवार समाज सब से कट जाने की त्रासदी भोग रहे हैं। भयंकर पीड़ा, भयंकर त्रासदी झेलने की नौबत। ऐसे वातावरण में इस भयंकर संक्रामक बीमारी से निपटने जो भी कदम उठाए जाएं शायद ही कोई उसमें सहयोग करने से इनकार करेगा।लोग इस बीमारी को नियंत्रित करने का इंतजार कर रहे हैं चाहे वह किसी भी तरीके से संभव हो। लोगों को समझ में आ गया कि जिंदगी बची रहेगी तो आगे बहुत धन कमा लेंगे, बहुत काम कर लेंगे।

लोगों के जेहन में सवाल है 6,7 दिनों के lockdown के बाद फिर क्या होगा। क्या संक्रमण का फैलाव थम जाएगा। सबसे पहले लाक डाउन होने के 1 दिन पहले के नजारे पर गौर किया जाए तो दिखता है कि सब्जी फल राशन दुकान इत्यादि में लोगों की इतनी अधिक भीड़ उमड़ी थी, जैसे त्यौहार के दिन हो और शायद ही कहीं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया हो। इसका दुष्परिणाम क्या हो सकता है अथवा क्या होगा? यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन, क्या इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए कि ऐसी भीड़ वाली जगहों पर भी लोग किसी न किसी संक्रमित के संपर्क में आ सकते हैं। वहां लोग संपर्क में आए होंगे तो उस इलाके में माना जाता है कि चार-पांच दिनों में उसका प्रभाव दिखने लगेगा। Lockdown के दूसरे, तीसरे दिन से संक्रमितो की संख्या में कमी आती दिखनी शुरू हो जानी चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं है। क्योंकि कोविड-19 के लक्षण, संपर्क में आने के 4,5 दिनों बाद भी दिखने शुरू होते हैं।

छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोरोनावायरस के परीक्षण हेतु अभी तक कुल 9 लाख 54हजार417 व्यक्ति की जांच की गई है जिसमें 88 हजार181 धनात्मक मरीजों की पहचान की गई जिसमें तक कुल 49 हजार 564 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज, रिकवर्ड हो चुके हैं। वही अभी 37 हजार 927 सक्रिय मरीज है। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ते जाने से डॉक्टर्स, नर्सेज, वार्ड बॉय की दिन रात सेवा ली जा रही है। कई कई लोग 15 घंटे से अधिक समय ड्यूटी कर रहे हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने पर उनकी ड्यूटी का समय और बढ़ता जाएगा। दूसरे तमाम कोरोना वारियर्स भी अपनी सेवाएं लगातार दे रहे हैं। कोरोना के संक्रमण से निपटने प्रॉपर वैक्सीन नहीं है। अस्पतालों में भी कह दिया जा रहा है जो दवाई हैं उसी से इलाज किया जा रहा है। इसके रोकथाम के लिए मास्क पहनना, दूरी बना कर रखना और बार बार हाथ धोने की बार-बार सलाह दी जा रही है। परंतु बीमार हो जाने के बाद यह सलाह अनुपयोगी साबित होती दिखती हैं। असल में इस गाइडलाइन का पालन संक्रमण के फैलाव को रोकने  के लिए है संक्रमण के इलाज के लिए नहीं।


दूरी बनाकर कोविड-19 से लड़ने की लड़ाई में हम जंग जीत सकते हैं तो हमें इस दूरी बनाने को बहुत अनिवार्यता, कडाई के साथ,  अनिवार्यता पालन कराया जाना चाहिए। यही यह  बात आ रही है कि कुछ दिनों का lockdown रहेगा फिर सब कुछ क्या वैसे ही अपने ढर्रे पर चलने लगेगा। पहले भी लाकडाउन हुए हैं। इसकी समीक्षा की जानी चाहिए कि वह कारगर, सफल क्यों नहीं हुए। उनके सफल नहीं होने के पीछे कहां कमी रह गई।स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए पहले बता दिया था कि अगस्त और सितंबर महीने में कोरोनावायरस के संक्रमण के फैलाव का पीक टाइम आएगा। हम सब कोविड-19 से हो रही मौतों को देख रहे हैं। 19 साल के युवक की जान चली जा रही है। कई सारे ख्वाब लेकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही बच्ची कोरोना का शिकार हो जा रही है। एक ही परिवार के कई- कई सदस्य संक्रमित हो जा रहे हैं। ऐसे भी परिवार हैं जिनके परिवार के पूरे सदस्य संकरमित हो गए। इस परिवार पर क्या बीत रही होगी, कल्पना की जा सकती है। एक- एक दिन में इससे हो रही मौतों की संख्या 50- 60 से ऊपर हो जा रही है। और कभी हम सब क्या सिर्फ ढर्रे पर ही चलना चाहते हैं। क्या हम सब  यही सोच कर बैठे रहेंगे कि ऊपर वाला अथवा आने वाला समय ही सब कुछ ठीक कर देगा स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शुरू से बता दिया है कि इसमें, सब कुछ इंसान के ही हाथ में है। समय समय पर गाइडलाइन जारी की गई तथा इसका पालन करने को कहा गया। लॉकडाउन में अभी कम से कम दूरियां तो बनी हुई है। Lockdown उद्देश्य परक तथा असरकारक होना चाहिए, सिर्फ खानापूर्ति के लिए नहीं। और जब बात जिंदगी बचाने की हो तब तो इसे और अधिक गंभीरता से लेना चाहिए। सरकारों को भी ऐसे कठिन परिस्थिति महामारी के समय जिम्मेदारी लेने से बचने की कोशिश नहीं करना चाहिए बल्कि यथाशक्ति मजबूत होकर लड़ाई में उतरकर जीत हासिल करने का प्रयास करना चाहिए। 6 दिन की जगह 14 दिन के lockdown से आम लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है, लोगों को सुरक्षा दी जा सकती है तो इस पर सरकार, शासन,प्रशासन को त्वरित गति से सख्त निर्णय लेना चाहिए। पिछले दिनों और राजनांदगांव जिला में सख्त lockdown के जो निर्णय लिए उसके अच्छे परिणाम आए हैं। आम जनता ऐसे कठिन समय में सरकार, शासन प्रशासन को सहयोग करने में कहीं पीछे नजर नहीं आ रही है। लोगों ने अपने काम धंधे बंद कर दिए हैं, घरों में कैद हैं तो इससे समझना चाहिए कि वे इस लड़ाई में सरकार के निर्णय के साथ खड़े हैं। अब जरूरत है, कि लॉक डाउन की अवधि बढ़ाकर लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है, महामारी के संक्रमण के फैलाव को रोका जा सकता है तो उस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर निर्णय लिया जाना चाहिए। जनता का समर्थन तो मिल ही रहा है। जरूरत प्रशासन को पहल करने की है। हो सकता है कि कड़े उपायों तथा प्रयासों से कोविड-19 पर जीत हासिल करने वाला छत्तीसगढ़ सर्वप्रथम राज्य बन जाए।


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