Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


लेमरू हाथी रिजर्व से नहीं होगा किसी गांव का विस्थापन: वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर

  हाथी-मानव संघर्ष की आशंका निराधार, बेहतर होगा नियंत्रण रायपुर, । असल बात न्यूज़। छत्तीसगढ़ के वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि ले...

Also Read

 

हाथी-मानव संघर्ष की आशंका निराधार, बेहतर होगा नियंत्रण


रायपुर, । असल बात न्यूज़।

छत्तीसगढ़ के वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि लेमरू एलिफेंट रिजर्व से किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा। उन्होंने विस्थापन की आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि न तो कोई गांव विस्थापित होगा न ही किसी के निजी और सामूहिक वनाधिकार पर कोई प्रभाव पड़ेगा। एलिफेंट रिजर्व से मानव- हाथी संघर्ष की आशंका को भी उन्होंने निराधार बताया और कहा कि इसके विपरीत हाथी रिजर्व मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने में मदद करेगा। श्री अकबर ने जोर देकर कहा कि भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार आदिवासियों और वनवासियों के सभी के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है और कोई भी कार्य उनके हितों के खिलाफ नहीं किया जाएगा।

वन मंत्री श्री मोहम्म्द अकबर ने एक बयान जारी कर *उस समाचार को* असत्य बताया है जिसमें लेमरू एलीफेंट रिजर्व के कारण किसी गांव का विस्थापन या मानव हाथी संघर्ष बढ़ने की आशंकाएं बतायी गई हैं। श्री अकबर ने जोर देकर कहा है कि लेमरू एलीफेंट रिजर्व का गठन ’सरंक्षण रिजर्व’ के रूप में किया जा रहा है, जिसके तहत न कोई गांव विस्थापित होगा और न ही किसी भी तरह निजी वन अधिकार या सामुदायिक वन अधिकार पर इसका प्रभाव पड़ेगा। रिजर्व क्षेत्र में आने वाले गांवों को हेबीटेट विकास की अतिरिक्त राशि भी मिलेगी जिससे मानव हाथी संघर्ष पर नियंत्रण अधिक बेहतर होगा। 

श्री अकबर ने इस तरह के समाचारों को गुमराह करने वाला बताया की एलीफेंट रिजर्व से हाथी एक ही क्षेत्र में एकत्रित किए जाएंगे। इस तरह का कोई भी कार्य कभी नहीं किया जाता। हाथी लंबी दूरी तय करने वाला प्राणी है और वह हमेशा एक जगह नहीं रहता है। 2011 में तमोरा पिंगला और सेमरसोत दोनों सरगुजा सर्कल और बादलखोल रायगढ़ सर्कल में एलीफेंट रिजर्व का गठन किया गया था और पिछले दस सालों में वहां मानव हाथी संघर्ष पर प्रभावी नियंत्रण में सहायता मिली है। उक्त क्षेत्र अभ्यारण है जबकि लेमरू का गठन संरक्षण रिजर्व के रूप में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वन प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 36 (ए) के तहत जो संरक्षण रिजर्व गठित किया जाता है, वहां कोई विस्थापन नहीं होता और निजी भूमि पर यह धारा लागू नहीं होती। शासकीय भूमि पर भी समस्त प्रकार के वन अधिकार, लघुवनोपज संग्रहण आदि बरकरार रहते हैं। 

श्री अकबर ने आगे कहा कि रिजर्व क्षेत्र में आने पर भविष्य में इस क्षेत्र में कोई खनन परियोजना आदि के लिए विस्थापन नहीं होगा। लेमरू एलीफेंट के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार सही नहीं है वस्तुतः *निजी स्वार्थवश कुछ लोग* अनावश्यक ही यह भ्रम फैला रहे हैं इससे सभी आम नागरिकों को बचना चाहिए।