रायपुर, । असल बात न्यूज़।

 छत्तीसगढ़ राज्य की जलवायु विविधता को देखते हुए यहां उद्यानिकी फसलों की खेती की असीम संभावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए महात्मा गांधी उद्यानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना एवं सार्थक और सराहनीय पहल है। इससे राज्य में उद्यानिकी क्षेत्र में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण के साथ-साथ उन्नत खेती को बढ़ावा मिलेगा। यह राज्य का पहला उद्यानिकी महाविद्यालय होगा। दुर्ग जिले के सांकरा पाटन में 55 करोड़ रूपए की लागत से यह विश्वविद्यालय बनेगा, जिसकी आधारशिला 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रखेंगे। 

    छत्तीसगढ़ राज्य में उद्यानिकी फसलों की खेती के रकबे में बीते कुछ वर्षों में चार गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्पादन भी पहले की तुलना में बढ़कर 5 गुना हो गया है। वर्तमान में 8 लाख 61 हजार से अधिक उद्यानिकी फसलों की खेती की जा रही है। देश में छत्तीसगढ़ राज्य उद्यानिकी फसलों की खेती के मामले में 13वें क्रम पर है। राज्य में फल-फूल, सब्जियों, मसालों के उत्पादन और उत्पादकता में दिनों-दिन बढ़ोत्तरी हो रही है। वर्तमान समय में राज्य में 2 लाख 58 हजार 630 हेक्टेयर में फल, 5 लाख 25 हजार 147 हेक्टेयर में सब्जी, 55 हजार 376 हेक्टेयर में मसाला, 13 हजार 493 हेक्टेयर में पुष्प तथा 8 हजार 957 हेक्टेयर में औषधि एवं सुगंधित पौधों की खेती की जा रही है। छत्तीसगढ़ की जलवायु परिस्थितियों ने विभिन्न प्रकार की बागवानी फसलों की खेती को संभव बना दिया है। जिसके फलस्वरूप नई फसल जैसे- ड्रैगन फ्रूट, खजूर, चेरी, प्लम, ऑयल पाम, ओलिव की खेती को बढ़ावा मिल रहा है। राज्य में महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना से बागवानी फसलों एवं अन्य उद्यानिकी फसलों की खेती को उन्नत तरीके से करने में मदद मिलेगी। 




    प्रदेश में 9 हाईटेक नर्सरी एवं 125 सामान्य शासकीय नर्सरी है, जहां जलवायु अनुकूल विभिन्न फलों के उच्च गुणवत्तायुक्त पौधे तैयार किए जा रहे हैं। प्रदेश के पांच जिलों रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा, राजनांदगांव एवं जगदलपुर में प्रतिवर्ष एक करोड़ उत्पादन क्षमता की वेजीटेबल प्लग टाईप सीडलिंग यूनिट स्थापित है। जहां सब्जी एवं मसाला वाली फसलों का थरहा तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। राज्य के दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़, सूरजपुर, बलरामपुर एवं रायपुर जिले में केले की व्यापक रूप से व्यवसायिक खेती की जा रही है, जिसका रकबा 25 हजार 751 हेक्टेयर है। ड्रैगन फ्रूट प्रदेश के लिए नई फसल है। रायगढ़, दुर्ग और राजनांदगांव जिले में लगभग 300 हेक्टेयर में इसकी खेती की जा रही है। इसी तरह सूरजपुर, सरगुजा एवं जशपुर में लीची, नाशपाती की खेती हो रही है। जशपुर में चाय की सफल खेती के बाद अब कॉफी का खेती की शुरूआत की गई है। इसी तरह राज्य के अन्य जिलों में काजू, पपीता, अरबी, जिमीकंद, अदरक एवं विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती के साथ ही बस्तर के पठारी क्षेत्र में दालचीनी, तेजपत्ता, कालीमिर्च तथा राज्य के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी, प्लम, पीच, चेरी, जैतून आदि की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।