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दलहन, गुड खाद्य तेल की बड़े पैमाने पर जमाखोरी, हर जगह जमा किया जा रहा है भारी स्टॉक, भारी महंगाई बढ़ाने की तैयारी

लॉकडाउन के दिनों में राज्य के सभी प्रमुख शहरों में बाजार 10 से 15 दिन तक पूर्णता बंद थे। इस बीच बाजार और व्यापारियों को मार्केट में तेजी का ...

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लॉकडाउन के दिनों में राज्य के सभी प्रमुख शहरों में बाजार 10 से 15 दिन तक पूर्णता बंद थे। इस बीच बाजार और व्यापारियों को मार्केट में तेजी का एहसास हुआ। अनुमानित तेजी की कल्पना के चलते बाजार में दलहन, खाद्य तेल, गु ड, मसाले प्याज इत्यादि सामानों का बड़े पैमाने पर स्टाक भरना शुरू हो गया है। इसके बाद दालों के दामों में 25 से ₹40 प्रति किलो तक की तेजी लाई जा रही है।

बाजार रिपोर्ट.

Raipur, Durg.असल बात न्यूज़.


लंबे समय से अलसाय, मंदी से जूझ रहे बाजार में अब भारी मुनाफा वसूली की तैयारी की जा रही है। प्याज के दामों में 2 महीने के भीतर 20 से ₹25 की तेजी लाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो मुनाफाखोरी, जमाखोरोंके हौसले स्वाभाविक रूप से बुलंद हो गए हैं।प्याज का तो इतना अधिक स्टाफ जाम कर दिया गया है कि जैसे पिछले सीजन में प्याज की पैदावार ना के बराबर भी नहीं हुई है। 2 महीने पहले 15, अट्ठारह रुपए प्रति, किलो के पास बिकने वाली प्याज आज आज 40 से ₹50 प्रति किलो की दर से बेची जा रही है। प्याज के दाम में अचानक इतनी अधिक बढ़ोतरी कैसे और क्यों हुई है ईसका जवाब देने वाला कोई नजर नहीं आता। आम लोगों को इसी का जवाब आज तक नहीं मिला है तो उसे इसका जवाब कैसे मिल सकेगा की अरहर चना उड़द मुंग मूंगफली इत्यादि के दामों में अचानक इतनी कैसे वृद्धि होने लगी है। साफ-साफ यही लग रहा है कि आम जनता को महंगाई की त्रासदी भोगनी ही पड़ेगी

 प्याज ने रूलाया, आलू भी उछला


 कई जागरूक लोगों को लग रहा था कि लॉकडाउन की वजह दलहन, सब्जियों की आवक कमजोर है जिसके चलते इन चीजों के दामों में बढ़ोतरी हो रही है। लॉकडाउन हटने के कुछ दिन बाद सब कुछ सामान होने लगेगा। थोड़ी सी गलती नहीं हो गई। मुनाफाखोरो तथा कालाबाजारियो की खून से सनी मुनाफावसूली के लिए लप लपाती काली जीभ की मंशा को समझा नहीं जा सका। अब समझ आ रहा है कि जो महंगाई बढ़ रही है उसका कोरोनावायरस के संक्रमण के फैलाव तथा लॉकडाउन से कोई लेना देना नहीं है यह सब सिर्फ मुनाफाखोरो की काली करतूत का ही परिणाम है।



 हर सीजन में आलू-प्याज की सर्वाधिक मांग होती है लेकिन वर्तमान में दोनों के दाम बढ़े हुए हैं। बताया जाता है कि नासिक प्याज उत्पादन का बड़ा सेण्टर है लेकिन वहां से प्याज की भरपूर आवक नहीं हो रही है। जमाखोरी को भी रेट बढऩे का प्रमुख कारण बताया जा रहा है लेकिन प्रशासन का इस ओर ध्यान ही नहीं है। प्याज जब जमाखोरी के यहां जाम हैं तो बाजार में  पहुंचेंगी कैसे और कृत्रिम कमी तो पैदा होगी ही।

हफ्ते भर पहले तोराई-बरबट्टी, करेला, शिमला मिर्च, भिण्डी, सेमी सहित कई सब्जियों के दाम बढ़ गए थे। टमाटर भी 50 पार कर चुका था। हालांकि लॉकडाउन में ढील मिलते ही सब्जियों की आवक बढ़ी तो दाम भी कम हुए। दाम कम होने से गरीबों को थोड़ी राहत मिली है।

एक ओर सब्जियों के दामों में मामूली गिरावट आई है लेकिन प्याज का भाव बढ़ा हुआ है। चिल्हर में प्याज 40 रूपये में बिक रहा है। पखवाड़े भर पहले 20 रूपये में प्याज बिक रहा था। अचानक ही प्याज के दाम बढ़ गए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नासिक सहित कुछ बड़े शहरों से प्याज का आयात होता है। बताया जाता है अति बारिश से नासिक में प्याज की फसल प्रभावित हुई है। प्याज के उत्पादन में कमी आई है। अति वृष्टि व कई शहरों में कोरोना के चलते प्याज की आवक प्रभावित हुई है। विक्रेताओं का कहना है कि लॉकडाउन में छूट मिलेगी तो दूसरे शहरों से प्याज की आवक बढ़ेगी। आवक बढऩे से रेट में कमी आ सकती है। प्याज के साथ ही आलू का भाव भी चढ़ा है। आलू भी 35 से 40 रूपये में बिक रहा है।

0 सब्जियों के बाद बात करें दैनिक जरूरत की चीजें की तो दलहन की वस्तुओं के दाम तो ऐसे  बढ़ रहे हैंजैसे काफी पहले से तय कर लिया गया था कि लॉकडाउन खुलने के बाद इन चीजों का दाम बढ़ाया ही जाना है। अरहर दाल की कीमत 40 से ₹50 प्रति किलो तक बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। पूरे बाजार में हल्ला मच गया है कि इस साल की कीमत जैसी बढ़ोतरी होने वाली है। उसके बाद  आम लोग भी जिन चीजों के दाम बढ़ने की आशंका है उन की आवश्यकता से अधिक खरीदारी कर रहे हैं। चना दाल, मूंग दाल, उड़द दाल, सभी की कीमतों में 20 से ₹40 तक की तेजी ला दी गई है। आम लोगों के जेहन में यही सवाल कौंध रहा है कि जब पूरे मोहल्ले को पता चल गया है कि इन चीजों के दाम बढ़ाए जाने की तैयारी की जा रही है तथा उसकी बड़े पैमाने पर जमाखोरी की जा रही है तो क्या जिन लोगों के ऊपर इस जमाखोरी, कालाबाजारी को रोकने की जिम्मेदारी है क्या उन तक यह सूचनाएं क्या नहीं  पहुंच रही है। सूचना पहुंच रही है तो इसे नियंत्रित करने कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। 

                                                         असल बात न्यूज़