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ऐसी भी हो रही है भीड़, दूसरी तरफ संक्रमण का फैलाव जानलेवा

दो गज की दूरी तो है जरूरी। लेकिन कैसे हो सकता है इसका पालन। जब लाइन लगती है तो हर जगह स्वाभाविक तौर  पर आगे पहुंचने की होड़ लग जाती है। तब उ...

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दो गज की दूरी तो है जरूरी। लेकिन कैसे हो सकता है इसका पालन। जब लाइन लगती है तो हर जगह स्वाभाविक तौर  पर आगे पहुंचने की होड़ लग जाती है। तब उस सारे नियम कानून धरे के धरे रह जाते हैं। दो गर्ल दूरी बनाए रखने की इच्छा होने के बावजूद इसका पालन करना मुश्किल हो जाता है। कोरोनावायरस के संक्रमण के फैलाव का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके बावजूद तमाम ऐसे शासकीय कार्यालय, उपक्रम अभी भी हैं जहां 2 गज की दूरी का पालन करना नामुमकिन ही जान पड़ता है।




चित्र में जो भीड़ दिख रही है उसे देखिए। यह एक बैंक परिसर का दृश्य। है। यहां आने वाले लोगों को ऐसा नहीं है कि यह नहीं मालूम है कि भीड़भाड़ वाले स्थान पर जाने से बचना बहुत जरूरी है। मास्क पहनना चाहिए। 2 गज की दूरी बनाए रखना भी जरूरी है। लेकिन अभी हालात ऐसे हैं कि लोग, ज्यादातर बैंकों में पहुंचते हैं तो उन्हें लंबी लाइन में  खड़ा होना पड़ता है। जब लाइन लगती है तो धक्का-मुक्की भी शुरू हो जाती है। और सभी में काउंटर तक पहले पहुंचने की होड़ लगी दिखती है। 

एक बैंक के मैनेजर से इस बारे में पूछे जाने पर कि ग्राहक 2 गज की दूरी के नियम का पालन नहीं कर रहे हैं तो यह खतरनाक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि लोगों को समझाइश जाती है। दूरी बनाए रखने मास्क पहनने को कहा जाता है। लेकिन लोग कुछ देर तक इसका पालन करते हैं। फिर बात आई गई हो जाती है।
खास तौर पर बैंकों में भीड़ बढ़ने की वजह यह भी है कि स्टाफ की कमी है। कुछ ही काउंटर चालू होते हैं। स्टाफ नहीं होने की वजह से ज्यादातर काउंटर खाली पड़े रहते हैं। कई राष्ट्रीयकृत बैंकों की मुख्य शाखाओं का भी यही हाल है।
परिस्थितियों को देखें तो ऐसा लगता है कि सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। कोरोना के नए संक्रमित प्रतिदिन हजारों की संख्या में मिल रहे हैं। लोगों की भी भीड़ में खड़े होने की मजबूरी है। कोई जानबूझकर तो यह नहीं चाहता कि वह संक्रमित हो जाए। मजबूरियों को देखते हुए सरकार ने भी लाकडाउन खोल दिया है। हर एक की  अपनी-अपनी समस्याएं हैं। वास्तव में सब कुछ भगवान के भरोसे ही चलने के जैसा ही होकर रह गया है।