धर्म-कर्म, ज्योतिष ................ असल बात न्यूज़. इस साल पूरी दुनिया में जो आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं, जो घटनाएं हुई हैं, दुखदाई हादसे ह...
धर्म-कर्म, ज्योतिष
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असल बात न्यूज़.
इस साल पूरी दुनिया में जो आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं, जो घटनाएं हुई हैं, दुखदाई हादसे हुए हैं उसने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है.कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए लोग चिकित्सा विज्ञान से बड़ी उम्मीद कर रहे हैं लेकिन इससे निजात पाने में हो रही देरी तथा संक्रमण बढ़ते जाने से लोगों को हो रही जन क्षति ने सबको काफी चिंतित कर दिया है। जो लोग भारतीय ज्योतिष पर बहुत अधिक भरोसा नहीं करते हैं वे लोग भी अप्रत्यक्ष रूप से ज्योतिष शास्त्र में इसका निदान ढूंढ रहे हैं। इंसान को जब कोई रास्ता नहीं मिलता तो वह हर रास्ते पर आगे बढ़कर समस्या का हल निकालने की कोशिश करता है। भारतीय ज्योतिष का मानना है कि इस साल ग्रहों की दिशा बदली है। खास तौर पर राहु और केतु के गोचर में सितंबर महीने में परिवर्तन हुआ है।
देश के प्रसिद्ध ज्योतिष शास्त्र के अनुसारइस वर्ष की शुरुआत से 23 सितम्बर 2020 तक राहु का गोचर मिथुन राशि में रहेगा और 23 सितम्बर 2020 को प्रात: 08: 20 पर यह मिथुन से वृषभ राशि में संचार करेगा। राहु हमेशा वक्री अवस्था में ही संचार करता है। कलयुग में राहु का गोचर मानव जीवन पर बहुत अहम भूमिका निभाता है। सभी राशियों पर राहु के राशि परिवर्तन का विशेष प्रभाव और राहु ग्रह के ज्योतिषीय महत्व के बारे में राहु गोचर से जानते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह कहा गया है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है फिर भी मानव जीवन में इसका सबसे अधिक और महत्वपूर्ण प्रभाव रहता है। राहु के लिए कहा गया है कि राहु अगर बिगड़ जाये तो नरक सी जिंदगी बना देता है और सुधर जाये तो ताज भी पहना देता है। राहु के लिए ही कहा गया है कि राहु जिसे मारे तो फिर उसे कौन तारे और राहु जिसे तारे फिर उसे कौन मारे। राहु अगर खराब फल दे तो मुक़द्दमों में अवश्य फँसवाता है और बिना बात की मानसिक परेशानियों में उलझा देता है। राहु का शुभ प्रभाव हो तो जातक को बहुत सारा धन और राजनीति में मान तथा सम्मान के साथ उच्च पद भी मिलता है।
इस माह दो छाया ग्रह राहु-केतु 18 माह के बाद राशि बदल रहे हैं। ये राशि परिवर्तन 22 और 23 सितंबर की मध्य रात्रि में होगा। शनि के बाद राहु-केतु ही एक राशि में सबसे ज्यादा समय तक रुकते हैं। ये दोनों ग्रह हमेशा वक्री रहते हैं। इसीलिए पीछे की ओर चलते हैं। राहु, मिथुन से वृषभ राशि में और केतु, धनु से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा। राहु-केतु 18 वर्ष के बाद क्रमशः वृषभ और वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। आगे 14 मार्च 2022 तक राशि नहीं बदलेंगे। राहु का प्रवेश वृषभ राशि में होगा। इसका स्वामी शुक्र है। शुक्र-राहु का मित्र है। केतु का प्रवेश वृश्चिक राशि में होगा। इस राशि का स्वामी मंगल है, जो केतु के लिए अनुकूल है। इससे मेष राशि के लोगों को प्रमोशन मिलने की ज्यादा संभावना है, वहीं वृष राशि के जातकों को संभलकर रहना होगा।