Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने दिया नेचुरल फार्मिंग को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने का सुझाव

  छत्तीसगढ़ में नेचुरल फार्मिंग किसानों के लिए लाभदायी,इससे धान की उत्पादकता में होगी 9 प्रतिशत की वृद्धि और लागत में आएगी कमी रायपुर, । अस...

Also Read

 छत्तीसगढ़ में नेचुरल फार्मिंग किसानों के लिए लाभदायी,इससे धान की उत्पादकता में होगी 9 प्रतिशत की वृद्धि और लागत में आएगी कमी



रायपुर, । असल बात न्यूज़।

छत्तीसगढ़ में नेचुरल फार्मिंग किसानों के लिए उपयोगी एवं लाभदायी हो सकता है। नेचुरल फार्मिंग से धान उत्पादकता में 9 प्रतिशत की वृद्धि और लागत में लगभग 20 प्रतिशत की कमी भी आएगी। इससे किसानों की आय बढ़ेगी। यह जानकारी आज राज्य योजना आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ में नेचुरल फार्मिंग की उपयोगिता तथा क्षेत्र में क्रियान्वयन की संभावना के संबंध में आयोजित कार्यशाला में आन्ध्रप्रदेश के विशेषज्ञ श्री टी. विजयकुमार ने व्यक्त किया। 

कार्यशाला में आन्ध्रप्रदेश के रायतु साधिकारा संस्था के अध्यक्ष श्री टी. विजयकुमार ने नेचुरल फार्मिंग में विभिन्न आयामों पर विस्तृत जानकारी दी। श्री टी. विजयकुमार ने बताया कि नेचुरल फार्मिंग से शासन को फर्टिलाईजर, बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी की बचत होगी। किसानों को फर्टिलाईजर व पेस्टीसाइड पर खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। नेचुरल फार्मिंग तकनीक से प्राकृतिक, केमिकल से मुक्त, स्वास्थ्यप्रद उत्पाद का उत्पादन सुनिश्चित होता है। साथ ही किसानों की आय में वृद्धि होती है। पानी की जरूरत भी कम होती है। इस प्रकार किसान इस विधि से एक से अधिक फसल ले सकते हैं। 

राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री अयज सिंह ने नेचुरल फार्मिंग तकनीक की छत्तीसगढ़ में उपयोगिता का परीक्षण कर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, गौठान गतिविधि एवं अन्य योजनाओं से अभिशरण कर क्षेत्र का चयन कर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में क्रियान्वयन करने के लिए कृषि विभाग एवं कृषि विश्वविद्यालय को सुझाव दिया है। श्री अयज सिंह ने कहा कि नेचुरल फार्मिंग के क्षेत्र में आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, हिमाचलप्रदेश में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। इस तकनीक से मुख्यतः गोबर, गौमूत्र तथा प्राकृतिक रूप से खाद (जीवामृत, बीजामृत) का उपयोग कृषि कार्य में किया जाता है। जिससे रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आने से कृषि की लागत में भी कमी आती है। इस खेती के जरिए उत्पन्न पैदावार केमिकल मुक्त एवं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से गोबर खरीदी कर वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है। अगर राज्य में नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाता है तो गोबर से जीवामृत व बीजामृत का उत्पादन कर नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दिया जा सकेगा। 

मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा ने बताया कि नेचुरल फार्मिंग की सफलता की संभावना किसानों की सामुदायिक भागीदारी से संभव हो सकती है। राज्य शासन द्वारा गौठान गतिविधि एवं गोधन न्याय योजना सामुदायिक रूप से सफलता से क्रियान्वित की जा रही है। गौठानों को आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है और यहां प्रचुर मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन महिला समूह कर रहे हैं। कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ग्रामीण रोजगार एवं स्वावलम्बन के उद्दश्य से विभिन्न विभागों यथा कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, पशुपालन की योजनाओं को समन्वित रूप से लागू किया गया है। गोधन न्याय योजना को ग्रामीणों का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। इससे ग्रामीणों को अतिरिक्त आय हो रही है। वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से राज्य में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा मिलने लगा है। उन्होंने नेचुरल फार्मिंग का राज्य में क्रियान्वयन हेतु कार्ययोजना तैयार करने और इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने पर सहमति जताई।

राज्य योजना आयोग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. एस.के. पाटिल, राज्य योजना आयोग सदस्य सचिव श्री अनुप कुमार श्रीवास्तव, सचांलक उद्यानिकी एवं पशुधन विकास, श्रीमती एलिस मुख्य कार्यपालन अधिकारी, बिहान तथा राज्य योजना आयोग के संयुक्त संचालक वत्सला मिश्रा व डॉ. नीतू गौरडिया एवं श्री मुक्तेश्वर सिंह भी शामिल हुए।