राष्ट्रीय राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रहे वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा जी की दुर्ग जिले की राजनीति में अपनी अलग पहचान रही है। यहां चाहे कांग्...
राष्ट्रीय राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रहे वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा जी की दुर्ग जिले की राजनीति में अपनी अलग पहचान रही है। यहां चाहे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता व पदाधिकारी रहे हैं अथवा दूसरे राजनीतिक दलों के लोग सभी उन्हें बाबू जी कहकर बुलाया करते थे। वर्षों से राजनीति में सक्रिय रहते हुए उन्होंने इतने सारे महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है कि अविभाजित मध्यपदेश के विकास की इबारत लिखने वाले राजनेताओं की जब लिस्ट बनाई जाएगी तो उसमें वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह, विद्या चरण शुक्ला श्यामाचरण शुक्ला की बराबरी में दुर्ग जिले की इस सरल व सहज हस्ती का भी नाम लिखा जाएगा।श्री वोरा जी की यह अलग पहचान थी कि वे सभी से अत्यंत विनम्रता, सरलता व सहजता के साथ मुलाकात करते थे।कोई भी उनके पास कुछ भी काम लेकर पहुंचता तो वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते कि उसकी समस्या का हल जरूर निकल जाए, इसके लिए वे अपनी तरफ से हर संभव कोशिश करते। उनसे मुलाकात करने कोई भी कभी भी पहुंच सकता था। उनके देहावसान से दुर्ग जिले की राजनीति में एक खालीपन जरूर पैदा हो गया है। एक रिक्तता आई है।चाहे राजनीतिक दल के कार्यकर्ता हो अथवा उनको जानने वाले आम लोग , उन सबको आस रहती थी कि बाबू जी से मुलाकात होगी तो उनकी समस्या का हल जरूर निकल जाएगा। उनके साथ कहीं भी अन्याय नहीं होने पाएगा। ढेर सारे लोगों की राजनीति बाबूजी के छांव में पोषित हुई और आगे पली-बढ़ी। वोरा जी के निधन से दुर्ग जिले मैं चारों तरफ शोक की लहर फैल गई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में निधन हो गया है।
दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली।
नई दिल्ली। असल बात न्यूज़
कांग्रेस के दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा नहीं रहे। राजस्थान में पढ़ाई करने वाले मोती लाल वोरा कांग्रेस के उन दिग्गज नेताओं में शामिल रहे जिन्हें हमेशा कांग्रेस अध्यक्ष का आशीर्वाद मिलता रहा। हालांकि मोतीलाल वोरा का जन्म राजस्थान में हुआ था लेकिन उनकी कर्मभूमि मोटे तौर पर मध्य प्रदेश रही। दुर्ग में पत्रकारिता करते हुए ही पार्षद निर्वाचित होना और फिर विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री बन जाना मोतीलाल वोरा की राजनीतिक समझ और विचारों को रेखांकित करता है।
वोरा जी राज्यसभा के सदस्य भी रहे और केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री पद भी संभाला। मोती लाल वोरा को कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद सिपहसालारों के रूप में पहचाना जाता रहा। उनकी दिलचस्पी पत्रकारिता, राजनीति, फुटबॉल और वॉलीबॉल में रही। 20 दिसंबर 1928 को राजस्थान नागौर जिले में हुआस लेकिन युवाव्सा में ही उनका परिवार मध्य प्रदेश के दुर्ग में जा बसा। वहीं पढ़ाई लिखाई कर पत्रकारिता और समाजसेवा करते हुए उन्होंने राजनीति में कदम रखा और पहचान बनाई। मोती लाल वोरा को खेलों के साथ ही किताबें पढ़ने का भी शौक रहा।
मोतीलाल वोरा वर्ष1968 में कांग्रेस से जुड़े। इससे पहले वे दुर्ग नगर निगम में पार्षद चुने जा चुके थे। 1972 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजय हासिल की। इस दौरान मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने मोतीलाल वोरा को अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया। इसके बाद मोतीलाल वोरा का राजनीतिक सफर तेजी से आगे बढ़ा और 13 मार्च 1985 को वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि फरवरी 1988 को इस पद से इस्तीफा दिया।
उनके इस्तीफे ने सबको चौंका दिया था। लेकिन जल्द ही उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का पद मिला। उन्हें स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई।
उन्होंने राज्यपाल के रूप में भी देश की सेवा की। वोरा जी को 16 मई 1993 को उत्तरप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इसके बाद वे 1998 में लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।
वोरा जी की कांग्रेसजनों में बहुत अच्छी प्रतिष्ठा रही। वे पार्टी को कोषाध्यक्ष जैसे प्रतिष्ठित पद पर भी रहे।