छत्तीसगढ़ सरकार कोडो-कुटकी का समर्थन मूल्य जल्द ही घोषित किया जाएगा 

मुकुनीत ने कांकेर कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में लघु धान्यिब इकाई, कृषक छात्रावास और बालक छात्रावास का किया लोकार्पण किया।

मुख्यमंत्री ने किसान विकास समिति घोटुलमुड़ा की महिलाओं को 
लघु धान्यिब मशीन देने की घोषणा की

    रायपुर,। मूल बात न्यूज़

 मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार जल्दी ही कोडो और कुटकी का भी समर्थन मूल्य घोषित करेगी। इससे ये लघु धान्य पासलां के उत्पादक किसानों को उनकी मेहनत की सही कीमत मिल सकेगी। मुख्यमंत्री ने आज कांकेर कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में स्वसहायता समूहों की महिलाओं और किसानों को संबोधित करते हुए लघु धान्य फसलों और विभिन्न वनोपजों का कीट कर उनकी बिक्री पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर अच्छी तरह से, मार्केटिंग और प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। इससे किसानों और वनवासियों को इन उत्पादों की अच्छी कीमत मिलेगी और उन्हें बहुत लाभ होगा।

    कार्यक्रम में कृषि मंत्री श्री रवीन्द्र चौबे, उद्योग एवं मंत्री श्री कवासी लखमा, ग्रामोद्योग एवं जिले के प्रभारी मंत्री गुरू रूद्र कुमार, विधानसभा के उपाध्यक्ष श्री मनोज मण्डवी, संसदीय सचिव श्री शिशुपाल शोरी, मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार श्री राजेश तिवारी, राज्यसभा सांसद श्री। फूलोदेवी नेताम और विधायकगण अल्ल्री मोहन मरकडे और अनूप नाग भी शामिल हैं।

    कृषक छात्रावास और बालक छात्रावास का लोकार्पण किया। उन्होंने लघु धान्यिब इकाई और लाखिब इकाई का अवलोकन भी किया। लगभग दो करोड़ 42 लाख रुपये की लागत से कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान केंद्र में अध्ययनरत छात्रों के लिए बालक छात्रावास और कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण के लिए आने वाले किसानों के लिए 63 लाख रुपये की लागत से कृषक छात्रावास का निर्माण और 16 लाख रुपये की लागत से लघु धान्य (कोडो) इकाई इकाई स्थापित की गई है। मुख्यमंत्री ने किसान विकास समिति घोटुलमुड़ा की महिलाओं को लघु धान्यिब कार्य का चेक प्रदान करने के साथ ही कोडो मशीन प्रदान करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत् स्वसहायता समूहों को रागी और कोदो-कुटकी के वितरण के लिए मुख्यमंत्री ने कृषि विज्ञान केन्द्र परिसर से वाहन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों को सुगंधित कोदो चांवल, कुटकी चांवल, 

    मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में स्वसहायता समूहों की महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में धान, गन्ना, मक्का, तिली, सरसों, कोडो-कुटकी, तिखूर, ईमली, चिरौंजी और महुआ - उत्पादों के साथ ही कई वनौषधियों का भी उत्पादन होता है। ये वनोपज और वनौषधि का इजा और मूल्य संवर्धन कर स्थानीय लोग अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इससे रोजगार मिलने के साथ ही अच्छा मुनाफा भी होता है। उन्होंने कहा कि राज्य शासन अब 52 तरह के वनोपजों की प्राप्ति कर रहा है। इससे भी वनवासियों को आर्थिक लाभ हो रहा है। बस्तर की वन संपदा का स्थानीय लोगों के हित में बेहतर उपयोग होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वसहायता समूहों को प्रशिक्षण देकर अच्छी गुणवत्ता का अमचूर निर्माण और ज्यादा चिरौंजी निर्माण किया जाएगा।

    कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रवीन्द्र चौबे ने कहा कि कांकेर कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों का पूरे प्रदेश में विस्तार किया जाएगा। कांकेर कृषि उत्पादन एवं वन उत्पादों के संग्रहण में अग्रणी जिला बन रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के सुझाव के अनुरूप जल संसाधन विभाग बस्तर की सभी नदियांे का संरक्षण कर सिंचाई परियोजना विकसित करने पर काम कर रहा है। प्रदेश में इस वर्ष धान के उत्पादन में अच्छी वृद्धि हुई है। कई व्यवधानों के बावजूद इस साल सरकार ने अब तक 90 लाख मीटरिक टन धान की प्राप्ति की है। किसानों और गांवों की मजबूती के लिए राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ। एस। के। पाटिल, कृषि उत्पादन डॉ। एम। गीता, कृषि विभाग के सचिव श्री अमृत खलखो, कलेक्टर श्री चंदन कुमार, कांकेर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ।

मुख्यमंत्री ने रागी से बने केक का स्वाद लिया

    मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा लगाये गये स्टॉलों के अवलोकन के दौरान बस्तर कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा रागी माल्ट पावडोर से बनाये गये केक को काटकर ग्रामोद्योग मंत्री गुरू रूद्र कुमार, संसदीय सचिव श्री शिशुपाल शोरी और विधायक श्री मोहन मरक को अपने हाथों में सौंप दिया। । खिलाया। उन्होंने स्वयं भी इसका स्वाद लिया। उन्होंने केक को काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक बताया।

खुमारी पहने मुख्यमंत्री का स्वागत

    मुख्यमंत्री श्री बघेल के कृषि विज्ञान केन्द्र पहुंचने पर स्थानीय आदिवासियों ने मांदरी नृत्य के साथ उनका स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान खमरी पहनाकर उनका सम्मान किया गया। कांकेर गढ़कलेवा द्वारा निर्मित विभिन्न छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के साथ ही कई स्वसहायता समूहों ने अपने द्वारा निर्मित महुआ लड्डू, धान के झालर और हर्बल उत्पाद मुख्यमंत्री को प्रस्तुत किए।