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स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में विश्व कैंसर दिवस पर वेबीनार का सफल आयोजन

  भिलाई।असल बात न्यूज। स्वामी श्री स्वरूपांनद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको भिलाई के माइक्रोबाॅयोलाॅजी विभाग एवं आईक्यूएसी द्वारा कैंसर दिवस पर...

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 भिलाई।असल बात न्यूज।


स्वामी श्री स्वरूपांनद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको भिलाई के माइक्रोबाॅयोलाॅजी विभाग एवं आईक्यूएसी द्वारा कैंसर दिवस पर वेबीनार आयोजित किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज को कैंसर के प्रति जागरूक कर समय से ईलाज हेतु प्रेरित करना था।

        मुख्य कार्यकारी अधिकारी डाॅ. दीपक शर्मा ने कैंसर से बचने हेतु सुझाव दिये और कहा कि तंबाकू के सेवन से कैंसर होता है अतः उसका सेवन बिल्कुल न करें और कैंसर का खतरा बढ़ाने वाले संक्रमणों से बचकर रहे।

प्राचार्य डाॅ. हंसा शुक्ला ने कहा कि कैंसर के रोग से बचाव के लिये इसकी पहचान आवश्यक है। यदि प्रथम लक्षण दिखते ही हम इसके प्रति सचेत रहे तो हम कैंसर को हरा कर स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते है।

कार्यक्रम की संयोजिका डाॅ. शमा ए बेग विभागाध्यक्षय माइक्रोबाॅयोलाॅजी ने कहा कि विश्व कैंसर दिवस सन 2000 से लोगों के बीच सजगता और विश्वास दिलाने के लिये मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों के कैंसर के प्रति सचेत करना, उसके विरुद्ध लड़ाई लड़ने में एकजुट होगा जिससे इस जान लेवा बीमारी से बचा जा सके। यदि रोग का जल्दी पता चल जाये तो इसका उपचार संभव है। अतः हमें हर व्यक्ति के अंदर यह विश्वास दिलाना है कि हर किसी में क्षमता है कि वे कैंसर से लड़ सकते है।

विषय विशेषज्ञ डाॅ. फातिमा खान असोसिएट प्रोफेसर रुंगटा डेंटल काॅलेज ने बताया कि छोटे से छोटा घाव भी यदि कुछ समय में ठीक नहीं होता है तो उसकी जांच अवश्य कराये। तंबाकू के प्रयोग से 9 प्रतिशत लोगों की कैंसर से मृत्यु होती है। तम्बाकू से केवल पुरुष ही नहीं वरन महिलाओं को भी कैंसर होता है। नस, सिगरेट, बीड़ी, खैनी, गुटखा, सुपारी, हुक्का आदि विभिन्न प्रकार से तम्बाकू शरीर के अंदर जाता है और मुख, पेट के कैंसर का कारण होता है। विभिन्न कारसीनोजेन से कैंसर हो सकता है जैसे पेस्तीसाइड, केमिकल से अल्ड्रावायलेट तरंगे इत्यादि। यदि छाले ठीक न हो तो उन्हें जरुर डाॅक्टर को दिखाये और जांच कराये। उन्होंने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से अनुरोध किया कि अपने आस-पास के लोगों को नशे से दूर रहने के लिये प्रेरित करें।

विशय विशेषज्ञ डाॅ. दीपलक्ष्मी देवांगन, रीडर रुंगटा डेंटल काॅलेज ने कहा यदि किसी को कैंसर हो जाये तो उसका उपचार हेतु सर्जरी कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, इम्युथेरेपी, स्टेमसेलथेरेपी, जीनथेरेपी के द्वारा की जा सकती है। बायोपसी, एमआरआई, सी.टी. स्कैन आदि से कैंसर की जांच की जाती है। कैंसर के प्रकार के अनुसार उसका ईलाज अलग-अलग थेरेपी से किया जा सकता है। कैंसर के इलाज के दौरान विभिन्न साइड इफेक्टस हो सकते है जैसे बुखार, खुन की कमी, कमजोरी इत्यादि। आर्गेनिक खाना को बढ़ाने के लिये प्रेरित किया। ईलाज के दौरान कैंसर मरीज को डाॅक्टर के निर्देशानुसार आर्गेनिक, पौष्टिक सुपाच्य भोजन के साथ सूप एवं जूस दे कर दवाईयों के साइड इफेक्ट को कम किया जा सकता है। 

विषय विशेषज्ञयों से विद्यार्थियों ने प्रश्न के माध्यम से शंका समाधान भी किया जैसे- बी.एस.सी.प्रथम वर्ष सोनिया जसवाल ने पूछा कि, कैंसर वापस आता है क्या? हाॅ यदि इमुनिटी कमजोर हो तो कैंसर कोशिका पुनः जागृत हो जाती है इसलिए डाॅक्टर फाॅलोअप के लिए सुझाव देते है। 

बी.एस.सी. प्रथम वर्ष समृद्धि तिवारी ने पूछा, क्या टूथपेस्ट हार्मफल होते है? अभी तक किसी भी शोध से स्पष्ट नहीं हुआ है कि टूथपेस्ट कैंसर कारक है।

एम.एस.सी. प्रथम सेमेस्टर आएशा खान ने कहा, यदि 10 लाख लोग प्रति वर्ष तम्बाकू सेवन से मृत होते है तो सरकार द्वारा इस पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता। डाॅ. फातिमा ने कहा कि तम्बाकू युक्त पदार्थो पर चेतावनी लिखी होती है कि यह हानिकारक है और सरकार को इससे राजस्व प्राप्त होता है। 

आएशा खान ने ही एक और प्रश्न पूछा क्या खांसी भी कैंसर होता है, नहीं, वह केवल इन्फेक्शन है, डाॅ. दीपलक्ष्मी ने ग्रीन टी को लाभदायक बताया क्यांेकि इसमें एंटी आॅक्सीडेन्टस पाये जाते है जो रक्त को साफ करते है। 

वेबीनार में महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक एवं प्राध्यापिकाऐं उपस्थित हुये।