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पाटन और धमधा के गांवो में सुपेला और पावर हाउस के बकरी चोरों का आतंक, रोज हो रही है बकरियां चोरी

  प्रदेश  में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पशुओं के संरक्षण के लिए नए उपाय शुरू किए हैं। पशुओं के रहने के लिए गौठान व्यवस्था की गई और वहां उनके...

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 प्रदेश  में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पशुओं के संरक्षण के लिए नए उपाय शुरू किए हैं। पशुओं के रहने के लिए गौठान व्यवस्था की गई और वहां उनके लिए चारे की व्यवस्था की गई।छत्तीसगढ़ प्रदेश में संभवत: पहली बार ऐसा काम शुरू हुआ है। छत्तीसगढ़ की परंपराए और संस्कृति मजबूत तथा समृद्ध हो रही है। इन सब से ग्रामीणों में भी पशु पालन के प्रति उत्साह बढ़ा है। बकरियों को पालने का धंधा भी किया जा रहा है। ऐसे में बकरी चोरों के द्वारा बकरी चोरी करने से  कमजोर वर्ग के ग्रामीणों का जीविकोपार्जन का साधन प्रभावित हो रहा है। आम ग्रामीण, बकरी चोरी को मामूली घटना समझकर इसकी पुलिस थानों में रिपोर्ट दर्ज कराने नहीं पहुंचते, इससे बकरी चोरों के हौसले और बुलंद  है। बकरी चोरो के द्वारा दो पहिया वाहन में बोरों में भरकर बकरियों का जिस तरह से परिवहन किया जाता है , वह भी रोंगटे खड़े करने वाला होता है। शहरी क्षेत्र में बकरियों का पालन ना के बराबर होता है लेकिन यहां इसकी  बहुत मांग है।ग्रामीण क्षेत्रों से चोरी कर बकरियों को यहां खपाया जाता है।

पाटन, धमधा, दुर्ग। असल बात न्यूज़।


ग्रामीण इलाकों में बकरी चोरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। गांव- गांव में बकरी चोरी की प्रतिदिन हो रही घटनाओं से ग्रामीण त्रस्त हो गए हैं। बकरी पालन के ग्रामीणों की जीविकोपार्जन का साधन है। गांव गांव से बकरी चोरी कर शहरी इलाकों में खाया जाता है।

आप एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र को जाने वाली सड़क पर खड़े हो जाइए वहां दिख जाता है कि दोपहिया वाहनों में बोरों में ठूंस - ठूस कर भरकर बकरियों को किस तरह से परिवहन किया जाता है दिख जाएगा। इसे देखकर आपके रोंगटे खड़े हो सकते हैं। इस तरह से बकरियों का परिवहन करने वाले बेहद शातिर होते हैं। मुझे मालूम होता है कि किस रास्ते से छुपकर निकल जाएंगे तो उन्हें कोई देखने सकेगा और पकड़ नहीं सकेगा। राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पशुओं के संरक्षण के लिए सारे काम किए हैं, गौठान के साथ उसमें चारे की व्यवस्था, ऐसा प्रदेश में संभवत  पहली बार हुआ है। मुख्यमंत्री के प्रयासों से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा मजबूत हो रहे हैं। लेकिन बकरी चोरों के द्वारा इन कार्यों को धता बताते हैं गांव में लोगों के जीविकोपार्जन के साधन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

शहरी इलाकों में लोग पशुओं को पालना नहीं चाहते। कोई पशुओं को एक दाना नहीं खिलाना चाहता।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वॉटसन के माध्यम से पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की है। जो पशुओं का एक दाना नहीं खिलाना चाहते हैं पालना नहीं चाहते लेकिन शहरी इलाकों में बकरियों की बड़े पैमाने पर खरीदी बिक्री होती है और इसमें बड़ा मुनाफा होता है। ऐसे में ग्रामीण इलाकों से चोरी कर बकरियों को यहां लाया जाता है और यहां आपूर्ति की जा रही है। मजे की बात है कि यह धंधा किसी को नजर नहीं आता लेकिन इस धंधे में  बड़ी कमाई होने की जानकारी मिली है।

बकरी चोरी की घटनाओं में खास बात यह है कि एक दो बकरी चोरी हो जाने पर ग्रामीण उसकी शिकायत नहीं करते। थाने दूर हैं और ₹10 परेशानी है इसलिए ग्रामीण पुलिस थाने में जाकर इसकी शिकायत करने से बचना जाते हैं। संभवत बकरी चोरो को भी इसकी जानकारी है इसीलिए एक बार में एक स्थान से, एक गांव से एक दो से अधिक बकरी की चोरी नहीं की जाती। गांव से 1,2 बकरी लेकर बकरी चोर फरार हो जाते हैं।गांव वाले कुछ दिन खोजने, ढूंढने के बाद शांत हो जाते हैं और यही सोच कर संतोष कर लेते हैं कि बकरी चरते हुए  इधर उधर  कहीं चली गई होगी।

एक गांव से एक, दो बकरी चोरी होती है और उसकी पुलिस, प्रशासन तक शिकायत नहीं हो पाती, इससे बकरी चोरों के हौसले और बुलंद है। उन्हें मालूम है कि उनकी चोरी की घटनाओं किसी का तो नहीं हो रही हैं।कोई दिन लुक ने, छिपने  के बाद बाद वह लोग फिर दूसरे गांव में चोरी करने पहुंच जाते  हैं। यह भी जानकारी मिली है कि बकरी चोर, अपने पास धारदार हथियार रखे रहते हैं और ग्रामीणों को अकेला देख धमकाने चमकाने से भी नहीं चूकते। बकरी चोरी की घटनाओं से ग्रामीण कितने परेशान है इसकी कल्पना की जा सकती है। एक ग्रामीण ने कहा हम लोग सोचते हैं कि बकरी चोरी की रिपोर्ट कहां करने जाएंगे। लेकिन ऐसी घटना को रोकने के लिए शासन प्रशासन को कुछ करना चाहिए। ग्रामीणों ने यह भी  बताया कि बकरी चोरों को दो पहिया वाहन में बोरों में भरकर बकरियों का परिवहन करते देखा जाता है लेकिन वे इतने चलाक शातिर होते हैं कि लुक छुपकर तेज गति से भाग जाते हैं।