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चालू सीजन में पंजाब के किसानों ने बेचा सबसे अधिक थान

  चालू खरीफ सीजन में समर्थन मूल्य पर धान खरीद मामले में पंजाब राज्य देश में सबसे आगे निकल गया। जानकारी के अनुसार वहां अभी तक 202 लख्मी 2 टन ...

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चालू खरीफ सीजन में समर्थन मूल्य पर धान खरीद मामले में पंजाब राज्य देश में सबसे आगे निकल गया। जानकारी के अनुसार वहां अभी तक 202 लख्मी 2 टन धान की खरीदी कर ली गई है।पंजाब में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शिक्षा किस काफी पहले शुरू हो गई थी।

नई दिल्ली छत्तीसगढ़। असल  बात न्यूज।
0 विशेष रिपोर्ट
0 अशोक त्रिपाठी

ताजा जो खबरें आ रही हैं जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार देश में खरीफ विपणन सत्र (केएमएस) 2020-21 के दौरान पंजाब राज्य में समर्थन मूल्य पर सबसे अधिक धान की खरीदी की गई है। इस राज्य के किसानों ने समर्थन मूल्य पर सबसे अधिक धान बेचा है। छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहा जाता है और इस साल राज्य में लक्ष्य से अधिक धान की खरीदी की गई है।लेकिन पंजाब राज्य, में जितने बड़े पैमाने पर, भारी मात्रा में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की गई है उसने समर्थन मूल्य पर धान की खेती करने के मामले में देश के दूसरे सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। देश में पंजाब राज्य के कृषि उत्पादन विकसित माना जाता है और वहां धान का उत्पादन में बड़े पैमाने पर होता है। छोटी और राज्य में धान का उत्पादन बढ़ाने के लिए निरंतर सुधार किए जा रहे हैं। हालांकि इस राज्य में किसानों को अभी धान की जगह  दूसरी फसल लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।छत्तीसगढ़ राज्य में इस साल 90 लाख मैट्रिक टन  धान की खरीदी की गई है। राज्य सरकार अभी धान खरीदी पर किसानों को समर्थन मूल्य के अतिरिक्त राजीव किसान न्याय योजना की राशि भी दे रही है। ऐसी योजनाओं के चलने से किसानों का यहां धान की फसल के प्रति आकर्षण बढ़ा है और धान का उत्पादन इस साल अपेक्षाकृत अधिक भी हुआ है।

भौगोलिक और प्राकृतिक दृष्टि से देखे तो पंजाब राज्य की स्थिति काफी अलग है। वहां जल संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि देवी मानसून पर निर्भर है। सिंचित क्षेत्र में धीरे धीरे बढ़ोतरी हो रही है लेकिन यह रकबा अभी भी  बहुत कम है। मैदानी इलाकों में सिंचित क्षेत्र का रकबा जरूर बढ़ गया है लेकिन जंगल क्षेत्रों, पहाड़ी इलाकों में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए भी बहुत कुछ करने की जरूरत महसूस की जा रही है। खरीफ सीजन में धान बेचने के मामले में देश में पंजाब के बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है। उत्तर प्रदेश को गेहूं का बड़ा उत्पादक राज्य माना जाता है लेकिन अभी यहां धान की अच्छी फसल जा रही है। और इस सीजन में धान की खेती की गई है उसमें उत्तर प्रदेश के साया हिस्सेदारी 10% से अधिक है। छत्तीसगढ़ इन दोनों राज्यों के पीछे हैं। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के मामले में उसकी हिस्सेदारी 9 प्रतिशत से कुछ अधिक  है।

 

खरीफ सीजन 2020-21 के दौरान  पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, तमिलनाडु, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर, केरल, गुजरात, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, असम, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा पंजाबी राज्यों में समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की गई है अथवा यह कार्य अभी भी जारी है। जानकारी के अनुसार16 फरवरी 2021 तक इन राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के किसानों से 645.10 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद की जा चुकी है, जबकि इसी समान अवधि में पिछले वर्ष केवल 559.46 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हो पाई थी। इस वर्ष में अब तक की गई धान की खरीद में पिछले वर्ष के मुक़ाबले 15.30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज देखी गई है।

 इस सीजन में अब तक कुल खरीदे गए 645.10 लाख मीट्रिक टन धान  में से अकेले पंजाब राज्य से  202.82 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई  है, जिससे धान खरीद में उसकी हिस्सेदारी कुल खरीद के लगभग 31.44 प्रतिशत तक पहुंच गई  है।





लगभग 92.86 लाख किसानों को अब तक खरीदे गए धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 1,21,796.64 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

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इसके अलावा, प्रदेशों से मिले प्रस्ताव के आधार पर तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से खरीफ विपणन सत्र 2020 के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत 51 लाख 92 हज़ार मीट्रिक टन दलहन और तिलहन की खरीद को भी मंजूरी प्रदान की गई है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल राज्यों से 1.23 लाख मीट्रिक टन खोपरा (बारहमासी फसल) की खरीद के लिए भी स्वीकृति दी गई है। इसके अतिरिक्त गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु से रबी विपणन सत्र 2020-2021 के लिए 22.55 लाख मीट्रिक टन दलहन और तिलहन की खरीद को मंजूरी प्रदान की गई थी। यदि अधिसूचित फ़सल अवधि के दौरान संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बाजार की दरें एमएसपी से नीचे चली जाती हैं, तो राज्य की नामित ख़रीद एजेंसियों के माध्यम से केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा इन राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के अंतर्गत दलहन, तिलहन और खोपरा फसल की खरीद के प्रस्तावों की प्राप्ति पर भी मंजूरी दी जाएगी, ताकि पंजीकृत किसानों से वर्ष 2020-21 के लिए अधिसूचित किये गए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सीधे इन फसलों के एफएक्यू ग्रेड की खरीद की जा सके।

 सरकार ने अपनी नोडल एजेंसियों के माध्यम से 3,09,198.87 मीट्रिक टन मूंग, उड़द, तुअर, मूंगफली की फली और सोयाबीन की खरीद एमएसपी  पर की है। इस खरीद से तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान के 1,67,678 किसानों को 1,665.18 करोड़ रुपये की आय हुई है।

इसी तरह से 5,089 मीट्रिक टन खोपरा (बारहमासी फसल) की खरीद कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से की गई है। इस दौरान 3,961 किसानों को इसका लाभ मिला है और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 52 करोड़ 40 लाख रुपये की अदायगी किए जाने की जानकारी है । खोपरा और उड़द की फसल के लिए अधिकांश प्रमुख उत्पादक राज्यों में एमएसपी पर या फिर उससे ऊपर की दर पर भुगतान किया जा रहा है। इनसे संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें खरीफ दलहन तथा तिलहन फसलों के आवक के आधार पर संबंधित राज्यों द्वारा तय तिथि से खरीद शुरू करने के लिए आवश्यक इंतज़ाम कर रही हैं।

 

 


न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत ही पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक राज्यों से कपास की खरीद का कार्य भी  जारी है। अभी तक 18,92,818 किसानों से 26,667.21 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य पर कपास की 91,43,791 गांठों की खरीद की जा चुकी है।