शहद के नाम पर मिलावटी चीजें बेचे जाने की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। शहद स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है और आर्थिक संसाधन जुटाने के...
शहद के नाम पर मिलावटी चीजें बेचे जाने की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। शहद स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है और आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए भी फायदेमंद है, और लोग उसे खरीदना चाहते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि आम लोगों को शुद्ध शहद शायद ही मिल पाता है। सरकार शुद्ध शहद को तैयार करने के लिए व्यवसायिक तौर पर कार्यक्रम शुरु करती है तो इसके कई फायदे सामने आने की संभावना है।
0 विशेष रिपोर्ट, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़।।
0 अशोक त्रिपाठी, असल बात न्यूज़।
आमतौर पर यह माना जाता है कि छत्तीसगढ़ राज्य, जंगल क्षेत्र से भरपूर इलाका है और यहां वनों के तमाम उत्पाद, औषधियां उच्च गुणवत्ता युक्त तथा प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।लेकिन यह देखने में आ रहा है कि छत्तीसगढ़ में वनों का हास हुआ है, अंधाधुंध कटाई से वनों को काफी नुकसान पहुंचा है।कई कारणों के से वन क्षेत्र सिमटते, मरते जा रहे हैं। पेड़ों की अवैध कटाई के मामले रोज सामने आ रहे हैं। लेकिन बहुत सारे ऐसे भी मामले में हैं जो सामने नहीं आ पाते और पता नहीं कितनी बड़ी मात्रा में पेड़ों की अवैध कटाई का लकड़ियां पार कर दी जाती हैं।शहद उत्पादन के मामले में भी छत्तीसगढ़ को देश के अग्रणीय राज्यों में शामिल होना चाहिए था, लेकिन इस दिशा में यहां अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। देश में अभी राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन N B H M योजना के अंतर्गत 2560 लाख रुपये की 11 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। देश में वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन के विकास के उद्देश्य से तीन वर्ष के लिए 500 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया है हो सकता है कि इससे देश इससे छत्तीसगढ़़़़़़ राज्य में भी शहद उत्पादन केेे दिशा में नया काम, बेहतर काम देखने को मिलेगा।
देश में एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत मधुमक्खी पालन के महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार ने तीन साल (2020-21 से 2022-23) के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) को 500 करोड़ रुपये के आवंटन को स्वीकृति दे दी है। इस मिशन की घोषणा आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत की गई थी। एनबीएचएम का उद्देश्य ‘मीठी क्रांति’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में वैज्ञानिक आधार पर मधुमक्खी पालन का व्यापक संवर्धन और विकास है, जिसे राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के माध्यम से लागू किया जा रहा है।
एनबीएचएम का मुख्य उद्देश्य कृषि और गैर कृषि परिवारों के लिए आमदनी और रोजगार संवर्धन के उद्देश्य से मधुमक्खी पालन उद्योग के समग्र विकास को प्रोत्साहन देना, कृषि/ बागवानी उत्पादन को बढ़ाना, अवसंरचना सुविधाओं के विकास के साथ ही एकीकृत मधुमक्खी विकास केन्द्र (आईबीडीसी)/ सीओई,शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं, मधुमक्खी रोग नैदानिकी प्रयोगशालाएं, परम्परागत भर्ती केन्द्रों, एपि थेरेपी केन्द्रों, न्यूक्लियस स्टॉक, बी ब्रीडर्स आदि की स्थापना और मधुमक्खी पालन के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण है।
इसके अलावा, योजना का उद्देश्य मिनी मिशन-1 के अंतर्गत वैज्ञानिक पद्धति से मधुमक्खी पालन, मधुमक्खी पालन के प्रबंधन, मधुमक्खी उत्पादों के बारे में जागरूकता के प्रसार के साथ ही मिनी मिशन-2 के अंतर्गत संग्रहण, प्रसंस्करण, भंडारण, विपणन, मूल्य संवर्धन आदि और मिनी मिशन-3 के अंतर्गत मधुमक्खी पालन में शोध एवं प्रौद्योगिकी उत्पादन हैं। 2020-21 के लिए एनबीएचएम को 150 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को लेकर जागरूकता और क्षमता निर्माण, मधुमक्खी पालन के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण, आय बढ़ाने में तकनीक का मधुमक्खियों पर प्रभाव और कृषि/ बागवानी उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार के लिए एनबीएचएम के अंतर्गत 2,560 लाख रुपये की 11 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। इसका उद्देश्य किसानों को रॉयल जेली, बी वेनोम, कॉम्ब हनी आदि महंगे उत्पादों के उत्पादन के लिए विशेष मधुमक्खी पालन उपकरणों के वितरण और हाई अल्टीट्यूड हनी के लिए संभावनाएं तलाशना, उत्तर प्रदेश के कन्नौजव हाथरस जिलों में विशेष उत्पादन और वर्ष 2020-21 के दौरान पेट के कैंसर के उपचार में मस्टर्ड शहद के इस्तेमाल के बारे जानकारी देना भी है।
मुख्य उपलब्धियां:
- दो विश्व स्तरीय अत्याधुनिक शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए स्वीकृति दी गई है, जिनमें से एक एनडीडीबी, आणंद, गुजरात और दूसरी आईआईएचआर, बंगलुरू, कर्नाटक में होगी। आणंद स्थित प्रयोगशाला को एनएबीएल द्वारा मान्यता दे दी गई है और केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री द्वारा 24 जुलाई, 2020 को इसका शुभारम्भ कर दिया गया। अब इस प्रयोगशाला में एफएसएसएआई द्वारा अधिसूचित सभी मानदंडों के लिए शहद के नमूनों का परीक्षण शुरू कर दिया गया है।
- 16 लाख हनीबी कॉलोनीज के साथ 10,000 मधुमक्खी पालकों/ मधुमक्खी पालन एवं शहद समितियां/ फर्म्स/ कंपनियां एनबीबी में पंजीकृत हो गई हैं।
- शहद एवं अन्य मधुमक्खी उत्पादों के स्रोत का पता लगाने के लिए एक प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई है और इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। इससे शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों में मिलावट को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
- किसानों/ मधुमक्खी पालकों को बी पोलेन, प्रोपोलिस, रॉयल जेली, बी वेनोम आदि ऊंची कीमत वाले मधुमक्खी उत्पादों के उत्पादन सहित वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन में प्रशिक्षण दिया गया है।
- बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल राज्यों में मधुमक्खी पालकों/ शहद उत्पादकों के 5 एफपीओ बनाए गए हैं और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 26.11.2020 में इनका शुभारम्भ कर दिया गया।
- शहद उत्पादन 76,150मीट्रिकटन (2013-14) से बढ़कर 1,20,000 मीट्रिकटन (2019-20) हो गया है, जो 57.58 प्रतिशत बढ़ोतरी है।
- शहद का निर्यात 28,378.42 मीट्रिकटन से बढ़कर 59,536.74 मीट्रिकटन(2019-20) हो गया है, जो 109.80 प्रतिशत बढ़ोतरी है।
- रोल मॉडल के रूप में 16 एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केन्द्रों (आईबीडीसी) की स्थापना की गई है, जिनमें से हरियाणा, दिल्ली, बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, उत्तराखंड, जम्मू व कश्मीर, तमिलनाडु, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश राज्यों में 1-1 केन्द्र की स्थापना की गई है।
- विभिन्न फसलों के परागण समर्थन में मधुमक्खियों/ मधुमक्खी पालन की भूमिका और वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को अपनाने के बारे में जागरूकता का प्रसार किया गया है।
मधुमक्खी पालन एक कृषि आधारित गतिविधि है, जो एकीकृत कृषि व्यवस्था (आईएफएस) के तहत ग्रामीण क्षेत्र में किसान/ भूमिहीन मजदूरों द्वारा की जा रही है। फसलों के परागण में मधुमक्खी पालन खासा उपयोगी है, जिससे कृषि आय में बढ़ोतरी के माध्यम से किसानों/ मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ रही है और शहद व बी वैक्स, बी पोलेन, प्रोपोलिस, रॉयल जेली, बी वेनोम आदि महंगे मधुमक्खी उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं। भारत की विविधतापूर्ण कृषि जलवायु मधुमक्खी पालन/ शहद उत्पादन और शहद के निर्यात के लिए व्यापक संभावनाएं और अवसर उपलब्ध कराती है।