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रेलवे ने कहा-किराए में वृद्धि अनावश्यक यात्रियों को हतोत्साहित करने के लिए

  कोरोना संकट के दौर में रेलवे प्रशासन ने ट्रेनों का परिचालन फिर शुरू कर दिया है, लेकिन ढेर सारी ट्रेनों में किराया अच्छा प्रीत अधिक लिया जा...

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 कोरोना संकट के दौर में रेलवे प्रशासन ने ट्रेनों का परिचालन फिर शुरू कर दिया है, लेकिन ढेर सारी ट्रेनों में किराया अच्छा प्रीत अधिक लिया जा रहा है। आम यात्रियों ने इसकी आलोचना की है। इस पर रेलवे प्रशासन ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस पर रेलवे प्रशासन ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि कम दूरी की यात्री गाड़ियों के लिए थोड़ा अधिक किराया केवल अनावश्यक यात्रा करने से लोगों को हतोत्साहित करने के लिए किया गया है।बढ़ने वाले किराए को रेलगाड़ियों में भीड़ को रोकने और कोविड को फैलने से रोकने के लिए रेलवे की सक्रियता के रूप में में देखा जाना चाहिये।रेलवे को पहले से ही यात्री की हर यात्रा में बडा नुकसान उठाना पड़ता है। टिकटों पर भारी सब्सिडी दी जाती है।

नई दिल्ली। असल बात न्यूज।




लगभग 10 महीनेेे के बाद लोकल ट्रेेन चलनी शुरू हुई है।इस बार ट्रेन चल रही है तो इसमें किराया कुछ बढ़ा हुआ है। आम यात्रियों को इस किराए में वृद्धि पर आपत्ति है। लेकिन रेलवे प्रशासन ने कहा है कि यह सब यात्रियों के भ भले के लिए ही किया  जा रहा है।
कोविड का प्रकोप अब भी मौजूद है और वास्तव में कुछ राज्यों में कोविड की स्थिति बिगड़ रही है। कई राज्यों के आगंतुकों को अन्य क्षेत्रों में स्क्रीनिंग के लिए भेजा जा रहा है और यात्रा के लिए हतोत्साहित किया गया है।






भारतीय रेल प्रशासन के द्वारा कहा गया  है कि यात्रियों और अन्य कम दूरी की रेलगाड़ियों के लिए ये थोड़ा अधिक किराया लोगों को अनावश्यक यात्रा को हतोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया था। ये किराया समान दूरी के लिए मेल / एक्सप्रेस रेलगाड़ियों के अनारक्षित मूल्य पर तय किया जाता है।

कोविड का प्रकोप अब भी मौजूद है और वास्तव में कुछ राज्यों में कोविड की स्थिति और अधिक बिगड़ रही है। कई राज्यों के आगंतुकों को अन्य क्षेत्रों में प्रवेश करने पर स्क्रीनिंग के लिए भेजा जा रहा है और यात्रा के लिए हतोत्साहित किया गया है।

बढ़ने वाले किराए को रेलगाड़ियों में भीड़ को रोकने और कोविड को फैलने से रोकने के लिए रेलवे की सक्रियता के रूप में में देखा जाना चाहिये।

 

यहाँ पर यह उल्लेख किया जाना ज़रूरी है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकए के उपाय के रूप में भारतीय रेलवे को 22 मार्च, 2020 को कोविड से संबंधित राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण नियमित रेलगाड़ियों को चलाना बंद करना पड़ा था।

भारतीय रेलवे चरणबद्ध रूप से यात्री रेलगाड़ियों की संख्या में लगातार वृद्धि कर रहा है। कोविड समय से पहले यात्री रेलगाड़ियों की नियमित सेवाओं की पूर्ण बहाली के बारे में कई कारकों और परिचालन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विचार किया जाना है।

कोविड के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान, भारतीय रेलवे ने लॉक डाउन से पहले के समय की तुलना में लगभग 65 प्रतिशत मेल / एक्सप्रेस रेलगाड़ियों और 90 प्रतिशत से अधिक उपनगरीय सेवाओं का परिचालन किया है।

कुल 1250 मेल / एक्सप्रेस, 5350 उपनगरीय रेल सेवाएं और 326 से अधिक यात्री रेलगाड़ियों  का वर्तमान में दैनिक औसत आधार पर परिचालन किया जा रहा है।

वर्तमान में चलने वाली कम दूरी की यात्री रेलगाड़िया कुल रेलगाड़ियों के 3 प्रतिशत से भी कम हैं। इस तरह की और रेलगाड़ियों को राज्य सरकारों के परामर्श से चलाने की योजना है। इस तरह की कम दूरी की रेलगाड़ियों में सभी संबंधित पक्षों के बीच विचार विमर्श और सहमति की आवश्यकता होती है।

मौजूदा कोविड के स्थिति को ध्यान में रखते हुए, मेल / एक्सप्रेस रेलगाड़ियों की शुरुआत के बाद, रेलवे सभी आवश्यक सावधानी बरतते हुए और अतिरिक्त प्रयास कर के आने वाले दिनो में  धीरे-धीरे यात्री रेलगाड़ियों का परिचालन शुरू कर रही है।

सामान्य परिचालन शुरू करने से पहले राज्यों की स्वास्थ्य स्थिति, और राज्य सरकारों के विचार, आदि को में ध्यान में रखा जाने की आवश्यकता है।

यह ध्यान देने योग्य है कि यात्री परिचालन को हमेशा रेलवे द्वारा सब्सिडी दी गई है। आम तौर पर, रेलवे एक यात्री द्वारा हर यात्रा पर नुकसान उठाना पडता है।

रेलवे ज्यादातर कोविड के चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के समय में रेलगाड़ियों को चला रहा है। कई रेलगाड़ियों को लोगों के लाभ के लिए कम यात्रियों के बावजूद चलाया जा रहा है।

भारतीय रेल प्रशासन का कहना है कि य रेलवे ने रेलगाड़ियों में सबसे कम किराया वाली रेलगाड़ियों में यात्रा करने वालों के बारे में विशेष ध्यान रखा है ताकि कोविड के समय में भी वे कम से कम आर्थिक भार उठाएं। अन्य सभी वर्गों के अलावा जो रेलगाड़िया चलाई जा रही हैं, उन सभी रेलगाड़ियों में बड़ी संख्या में बैठने वाले द्वितीय श्रेणी के कोच हैं, जिनका आरक्षित वर्ग में सबसे कम किराया है। यात्रियों में से 40 प्रतिशत ने कोविड स्थिति से पूर्व की तुलना में बहुत बेहतर स्थितियों में बैठने वाले द्वितीय अनारक्षित श्रेणी में यात्रा की है।

स्टेशनों और रेलगाड़ियों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए, कोविड से पहले के समय की तुलना में यात्री रेलगाड़ियों का किराया थोड़ा अधिक लिया जा रहा है और इसके संरक्षण पर कड़ी नजर रखी जा रही है। कोविड के समय के दौरान आवश्यक प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए सेवाओं की बहाली सुनिश्चित करने के लिए स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है।