Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


कृषि विश्वविद्यालय के रायपुर केन्द्र को कटाई उपरान्त तकनीकी एवं यांत्रिकी परियोजना के सर्वश्रेष्ठ केन्द्र का सम्मान

  लघु धान्य एवं वनोपज फसलों की प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी के विकास हेतु मिला सम्मान   रायपुर, । असल बात न्यूज।  छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों म...

Also Read

 

लघु धान्य एवं वनोपज फसलों की प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी के विकास हेतु मिला सम्मान

 

रायपुर, । असल बात न्यूज।

 छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में कोदो, कुट्की एवं रागी तथा अन्य वनोपज फसलों की कटाई या तोड़ाई उपरान्त उनके प्रसंस्करण हेतु विभिन्न यन्त्रों, उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी के विकास और इसे लोकप्रिय बनाकर उद्यमिता विकास हेतु इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के रायपुर केन्द्र को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा संचालित अखिल भारतीय कटाई उपरान्त तकनीकी एवं यांत्रिकी समन्वित अनुसंधान परियोजना के सर्वश्रेष्ठ केन्द्र के रूप में पुरस्कृत किया गया है। विगत दिनों आयोजित परियोजना की 36वीं वार्षिक कार्यशाला में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के रायपुर केन्द्र को वर्ष 2020 हेतु कटाई उपरान्त तकनीक एवं यांत्रिकी में उत्कृष्ट योगदान हेतु सम्मानित किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के उप महानिदेशक, कृषि अभियांत्रिकी डाॅ. अलगुसुन्दरम एवं डाॅ. एस.के. त्यागी, परियोजना समन्वयक द्वारा यह सम्मान प्रदान किया गया।यह परियोजना देश के विभिन्न राज्यों के 31 केन्द्रांे में संचालित की जा रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. एस.के. पाटील ने रायपुर केन्द्र को सर्वश्रेष्ठ केन्द्र के रूप मंे सम्मानित किये जाने पर परियोजना के वैज्ञानिकों को बधाई एवं शुभामनाएं दी हैं।

उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय कटाई उपरान्त तकनीकी एवं यांत्रिकी समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के रायपुर केन्द्र द्वारा मोटे अनाज, लघु धान्य तथा वनोपज फसलों की कटाई यो तोड़ाई के पश्चात इनके समुचित संग्रहण, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन हेतु विभिन्न प्रकार की तकनीक एवं यांत्रिकी प्रौद्योगिकी विकसित की गई है, जिसके तहत इनके प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन हेतु विभिन्न यन्त्रों एवं मशीनों का विकास किया गया है। कोदो, कुट्की, रागी जैसी लघु धान्य फसलों का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन कर कोदो चावल, रागी माल्ट, कुकीज, रेडी टू ईट खीर आदि उत्पादों का निर्माण करने की प्रौद्योगिकी विकसित की गई है एवं कृषक समूहांे एवं महिला स्व-सहायता समूहों को इनके निर्माण का प्रशिक्षण देकर उद्यमिता विकास का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही उद्यमियों को तकनीकी मार्गदर्शन एवं उत्पादों के विपणन हेतु सहायता भी उपलबध कराई जा रही है। इस परियोजना के प्रमुख अन्वेषक डाॅ. षडानन पटेल हैं।





(