Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


मनरेगा खोल रहा किसानों की आर्थिक समृद्धि का रास्ता

  कुआं खुदाई के बाद धान के साथ ही अब गेहूं और सब्जी की भी खेती    रायपुर. । असल बात न्यूज़।   मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार...

Also Read

 

कुआं खुदाई के बाद धान के साथ ही अब गेहूं और सब्जी की भी खेती

  

रायपुर. । असल बात न्यूज़।

 मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही लगातार उनकी आजीविका का संवर्धन भी कर रहा है। मनरेगा के जरिए निजी डबरियों, तालाबों और कुंओं के निर्माण से सिंचाई की व्यवस्था हो जाने से छोटे व सीमांत किसानों की आर्थिक समृद्धि का रास्ता खुल रहा है। अब वे केवल धान की खेती तक सीमित नहीं हैं। रबी फसलों और सब्जी की पैदावार के साथ ही यह मछली पालन जैसे नए रोजगार का विकल्प भी खोल रहा है। डबरियों, तालाबों और कुंओं के निर्माण से आजीविका संवर्धन के साथ ही निस्तारी के लिए भी पानी मिल रहा है।

   

मनरेगा से खेत में बने कुंए ने कोरिया जिले के वनांचल भरतपुर के ग्राम जमथान के किसान श्री समयलाल अहिरवार की जिंदगी बदल दी है। कुआं खुदाई के बाद वे खेत से लगी अपनी बाड़ी में सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। साथ ही बाड़ी के पास अपनी एक एकड़ भूमि में बाड़ लगाकर गेहूं की फसल भी ले रहे हैं। श्री समयलाल बताते हैं कि पिछले साल उन्होंने तीन क्विंटल गेंहू का उत्पादन लिया था। इस बार भी उन्होंने सब्जी के साथ गेहूं की बुआई की है। चावल के साथ रोटी और सब्जी भी अब वे अपने खेत का उगा खा रहे हैं। अनाज और सब्जी अब उन्हें बाहर से खरीदना नहीं पड़ रहा है।

 

साढ़े तीन एकड़ कृषि भूमि के मालिक श्री समयलाल बताते हैं कि पहले सिंचाई और पेयजल दोनों का गंभीर संकट था। घर से दूर पानी का एकमात्र साधन हैंडपंप था। इससे वे पेयजल की व्यवस्था तो कर लेते, पर निस्तारी के लिए परेशान होना पड़ता। गर्मियों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती थी। उनकी बाड़ी के पास एक छोटी सी पुरानी ढोड़ी थी, पर वह भी बरसात के बाद ठंड आते-आते सूखने लगती। मनरेगा के अंतर्गत तीन वर्ष पहले खेत में कुएं की खुदाई के बाद उनकी ये समस्याएं अब दूर हो गई हैं। अब उनके पास निस्तारी और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी है। कुएं ने उन्हें न केवल रोज-रोज की पानी की दिक्कतों से निजात दिला दी है, बल्कि धान के बाद गेहूं और सब्जियों की खेती का रास्ता भी खोल दिया है।


पांच सदस्यों वाले परिवार के मुखिया श्री समयलाल बताते हैं कि तीन साल पहले उन्होंने गांव आए जीपीडीपी (ग्राम पंचायत विकास योजना) दल से अपनी समस्या साझा की थी। दल के सुझाव पर ग्राम पंचायत ने उनकी समस्या के समाधान के लिए मनरेगा से खेत में कुंआ निर्माण का रास्ता निकाला। इसके लिए एक लाख 80 हजार रूपए की राशि मंजूर की गई। कुएं की खुदाई के दौरान उनके परिवार को 120 मानव दिवस का सीधा रोजगार भी मिला, जिसके एवज में उन्हें 20 हजार 880 रूपए की मजदूरी मिली। उन्होंने इस रकम से बिजली से चलने वाला पंप खरीदा जिसका इस्तेमाल वे अब कुएं से अपने खेत और बाड़ी की सिंचाई के लिए करते हैं।