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न्यायालयो में लगभग 78 लाख मामलो में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई

  कोविड  19 के संक्रमण के फैलाव के दौरान   भारत देश में न्याय व्यवस्था का संचालन सुचारू रूप से रखने की कोशिश की गई। इस दौरान विद्यालय में का...

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 कोविड 19 के संक्रमण के फैलाव के दौरान  भारत देश में न्याय व्यवस्था का संचालन सुचारू रूप से रखने की कोशिश की गई। इस दौरान विद्यालय में कामकाज तो बन रहा लेकिन जरूरी मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की गई। पिछले जनवरी महीने तक तक जिला न्यायालयों एवं उच्च न्यायालयों ने 76.38 लाख मामलों और सर्वोच्‍च न्यायालय ने लगभग 52,353 मामलों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की गई। माना जा रहा है कि इस दौरान न्यायिक कार्य प्रणाली में जो नई व्यवस्था बनी है वह डिजिटलीकरण एवं तकनीकी नवाचार के नए युग में न्यायिक कार्यवाही का मुख्य आधार बन गया है। 

0 असल बात न्यूज।

0  नई दिल्ली। असल बात न्यूज़।0 विधि संवाददाता
 कोविड-19 के दौरान पिछले एक साल से सब कुछ अस्त-व्यस्त  है। धीरे-धीरे सारी व्यवस्थाएं पटरी पर आ रही है। लेकिन  पहले कई सारी गतिविधियां बंद थी। Covid-19  का न्यायालतीन कामकाज के संचालन पर भी काफी विपरीत प्रभाव पड़ा। न्यायालय तो इस दौरान बंद रहे। लेकिन सब तक समान रूप से न्याय पहुंचाने,कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में कानून का शासन लागू रखने जैसे उद्देश्य को लेकर जरूरी मामलों की वीडियो कांफसिंग के माध्यम से सुनवाई की गई।

अभी राष्ट्र मंडल देशों के कानून मंत्रियों की श्रीलंका के कानून मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रमंडल के द्वारा वर्चुअल तरीके से आयोजित    उच्च स्तरीय बैठक में केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री  रविशंकर प्रसाद की ओर से विधि एवं न्याय मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग के सचिव  अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने भारत का प्रतिनिधित्व किया और कानून मंत्रियों के समक्ष कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुईं प्रमुख कानूनी चुनौतियों के समाधान पर अपने विचार और अनुभव साझा किया। यह बैठक सभी के लिए न्याय तक समान पहुंच सुनिश्चित करने, कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में कानून का शासन लागू करना और आवश्यक दवाओं तक समान पहुंच के लिए कानूनी बाधाओं पर केंद्रित थी।

राष्ट्रमंडल देशों के कानून मंत्रियों, प्रतिनिधिमंडल के नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के इस उच्‍चस्‍तरीय बैठक को संबोधित करते हुए श्री मेंदीरत्‍ता ने भारत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्‍न कदमों और राहत उपायों पर प्रकाश डाला ताकि न्‍याय तक सभी की सस्‍ती एवं आसान पहुंच सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि कोविड के दौर में डिजिटलीकरण एवं तकनीकी नवाचार को काफी बढ़ावा मिला और वह न्यायिक कार्यवाही का मुख्य आधार बन गया है।

उन्होंने बताया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 6 अप्रैल, 2020 को दिए गए उस आदेश पर ध्यान आकर्षित किया गया जिसके तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालतों होने वाली सुनवाई को कानूनी वैधता प्रदान की गई थी। उन्‍होंने कहा कि इससे अदालतों में मुकदमों, विशेष तौर पर उन मामालों के समय पर निपटान को काफी बढ़ावा मिला जिनमें अदालतों और न्‍यायाधिकरणों के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्‍यकता थी। उन्होंने आगे बताया कि भारत में केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 31.01.2021 तक जिला न्यायालयों एवं उच्च न्यायालयों ने 76.38 लाख मामलों और सर्वोच्‍च न्यायालय ने लगभग 52,353 मामलों की सुनवाई की।

विधि सचिव ने यह भी बताया कि भारत दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम का संचालन कर रहा है और पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देने की अपनी नीति के तहत भारत अपने स्वदेशी टीके- कोविशील्ड एवं कोवैक्सिन का वितरण करते हुए अन्य देशों की भी मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए भारत ने स्वास्थ्य सेवा पर अपने खर्च को मौजूदा स्‍तर से बढ़ाने का प्रस्ताव किया है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि इस राष्ट्रमंडल फोरम में विचारों का आदान-प्रदान से निर्मित सहयोगी दृष्टिकोण हमें कानूनी परिवेश को नए सिरे से स्‍थापित करने और उसे जीवंत करने में सक्षम करेगा।