रायपुर, दुर्ग। असल बात न्यूज। 100 से आंकड़ा बढ़ते बढ़ते अब 1100 के ऊपर हो गया है। दुर्ग जिले में 24 घंटे में मिलने वाले नए संक्रमितों की ...
रायपुर, दुर्ग। असल बात न्यूज।
100 से आंकड़ा बढ़ते बढ़ते अब 1100 के ऊपर हो गया है। दुर्ग जिले में 24 घंटे में मिलने वाले नए संक्रमितों की संख्या 1000 और अब उसके बाद 1100 के ऊपर पहुंच गई है। इतने संक्रमित सिर्फ प्रत्येक 24 घंटे में मिल रहे हैं और यही नहीं अगले 24 घंटों में यह संख्या प्रतिदिन हंड्रेड प्लस की दर से और बढ़ती जा रही है। पिछले 20 दिनों में इस आंकड़े में कहीं कोई कमी नहीं आई है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि Corona के संक्रमण का फैलाव दुर्ग जिले में अभी भी कितनी तेज गति से हो रहा है। दुर्ग जिला ही नहीं अब और कई जिले में भी हालात कोरोना के लगातार तेज गति से फैलाव के कारण बिगड़ने लगे हैं।राजनंदगांव भी उन जिलों में शामिल हो गया है जहां कोरोना तेजी से फैल ने लगा है।
प्रदेश में कोरोना के सबसे अधिक एक्टिव केसेस की संख्या अभी भी दुर्ग जिले में बनी हुई है। यह संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। अब इस जिले में 6679 एक्टिव केसेस हो गए हैं।इसके बाद राजधानी रायपुर जिले का नंबर आता है जहां 4858 एक्टिव केसेस हो गए हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोरोना की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या 4061 हो गई है। वही कोरोना से मौत की संख्या के मामले में राजधानी रायपुर आ गए हैं वहां कोरौना की चपेट में आकर 870 लोगों की जान चली गई है। इसके बाद दुर्ग जिले के नंबर आता है जहां कोरोना से अब तक 70 7 लोगों की जान गई है। चिंता की बात यह है कि दुर्ग जिले में कोरोना से मौत का मामला तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने आज 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों और सचिवों एचएंडएफडब्लू और 46 जिलों के नगर आयुक्तों और जिला कलेक्टर के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की है जिसमें कोरोना के संक्रमण के फैलाव की चैन को तोड़ने लिए प्रभावित क्षेत्रों में कम से कम लगातार 14 दिन के लिए प्रभावी कंटेनमेंट और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग को दृढ़ता से लागू करने। सभी जिलों में उनके पॉजिटिविटी दर के आधार पर टेस्टिंग में बढ़ोतरी करने, जिसमें आरटी पीसीआर टेस्ट का हिस्सा कुल टेस्ट के 70 प्रतिशत या उससे ज्यादा हो की और होली, शब-ए-बारात और ईस्टर जैसे उत्सवों के सादे समारोह जिसमें घरों की सीमाओं में रहकर पर्व मनाने पर जोर देने की सिफारिश की है।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी के पॉल भी समीक्षा बैठक में उपस्थित थे।सरकारी और निजी अस्पतालों के बुनियादे ढांचे को मजबूत करने और स्वास्थ्य कर्मियों को थकान और आत्मसंतोष की कमी की स्थिति में फिर से जोश भरने पर जोर दिया गया। मृत्यु दर और मौतों की संख्या कम करने के लिए लक्षित दृष्टिकोण लागू करने को कहा गया। इस संबंध में राज्यों को आईसीयू में गंभीर मामलों के प्रभावी प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करना होगा। इस बारे में बताया गया कि पंजाब और छत्तीसगढ़ जनसंख्या में कर्नाटक और केरल के मुकाबले छोटे होने के बावजूद ऊंची मृत्यु दर दर्ज कर रहे हैं।
राज्यों को सलाह दी गई है कि वो अधिकतम संख्या दर्ज करने वाले जिलों में कंटेनमेंट रणनीति को मदद करने के लिए खास प्राथमिकता वाले आयु वर्ग में टीकाकरण के सार्वभौमिकरण की मदद लें। इस बात को फिर से दोहराया गया कि वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। राज्य सभी जिलों में मौजूद सरकारी और निजी टीकाकरण सुविधाओं का पूरा उपयोग करें और कमी की आशंका को लेकर बफर स्टॉक रखने की जगह उपलब्ध वैक्सीन का पूरा इस्तेमाल करें। चेन्नई,मुंबई, कोलकाता और करनाल के 4 जीएमसीडी डिपो में जरूरी बफर स्टॉक मौजूद है, और राज्यों की जरूरतों को उनके दैनिक इस्तेमाल और उपलब्ध स्टॉक के आधार पर पूरा किया जा रहा है।