बठेना की अंधेरी, भयावह, स्याह, दिल को झकझोर कर रख देने वाली रात बीत गई। पर, वह स्याह रात अपने साथ बहुत बड़े अंधेरे को समेट ले जाने के सा...
बठेना की अंधेरी, भयावह, स्याह, दिल को झकझोर कर रख देने वाली रात बीत गई। पर, वह स्याह रात अपने साथ बहुत बड़े अंधेरे को समेट ले जाने के साथ अपने पीछे कई अनसुलझे सवालों को भी छोड़ गई है। घटना से जुड़े कई तीखे सवाल अभी भी लोगों के दिलों दिमाग को छलनी कर दे रहे हैं। सवाल ऐसे भी हैं जो प्रगति की ओर तेजी से बढ़ते सभ्य समाज को कटघरे में खड़े नजर करते नज़र आते हैं। क्या कोई मृत्यु को प्राप्त करने की इतनी तीव्र इच्छा शक्ति रख सकता है कि जब तक उसका शरीर कंकाल में ना बदल जाए वह मृत्यु के आगोश में समा जाने का तनिक भी प्रतिरोध नहीं करता। जिन प्रत्यक्षदर्शियों ने उस दृश्य को देखा है उस दृश्य को याद कर उनकी आंखों में अभी भी आंसू आ जाते हैं। उस समय किस तरह की तड़पन, जलन और पीड़ा रही होगी मनोमस्तिष्क में इसकी कल्पना मात्र से ही पूरे शरीर में सिहरन दौड़ उठती है। बेबस,असहाय असमय अकाल मौत का शिकार हो जाने वाले गायकवाड परिवार के मुखिया, पत्नी बेटे और दो बेटियों का पोस्टमार्टम के बाद आज अंतिम संस्कार कर दिया गया। इलाके में चारों तरफ मातम पसरा हुआ है और अभी भी किसी को समझ नहीं आ रहा कि आखिर ऐसा कैसे हो गया। काल ने इतना बड़ा खिलबाड यहां कैसे कर दिया कि कि वहां लाश ही- लाश दिख रही थी। एक हंसता- खेलता परिवार तहस-नहस हो गया। घटना के बारे में जानकारी देने परिवार का एक सदस्य भी शेष नहीं रह गया। ऐसे बिहार की नीरवता छा गई है कई सारे सवालो के उत्तर भविष्य के गर्भ में दब कर रह गए हैं जिनका जवाब कभी सामने आ पाएगा है अथवा नहीं, अथवा ये सवाल हमेशा भविष्य के गर्भ में दबे रह जाएंगे क्या सवाल भी बना हुआ रहेगा।
0 विशेष प्रतिनिधि
0 पाटन, दुर्ग। असल बात न्यूज़।
दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड के बठेना गांव में एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत के मामले ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध, हिला कर रख दिया है। किसी को भी सहज ही विश्वास नहीं हो सकता कि एक ही परिवार के 5 लोगों की इतनी भयानक मौत हुई है। इलाके में चारों तरफ मातम पसरा हुआ है। हवा भी पूरी तरह से शांत है और ऐसे दुखदाई , वीभत्स वारदात के बाद वृक्षों की टहनियां, पत्तियां भी शायद हवा के झोंके से हिलना डुलना भूल गई है। सब तरफ सन्नाटा है। कई सारे अनुत्तरित सवाल हवा में तैर रहे हैं। सभी सवालों का जवाब चाहते हैं लेकिन सबको मालूम है कि इन सवालों का जवाब अनुत्तरित ही है। सवालों का जवाब जो दे सकते थे वे सब इतनी दूर चले गए हैं कि बाबू सिर्फ अनुमानों से ही सवालों का जवाब खोजा जा सकता है।
पांचो शव का पोस्टमार्टम के बाद आज अंतिम संस्कार कर दिया गया। मुझको के निकटतम रिश्तेदारों को सूचना देकर इसके लिए बुलाया गया था। इन रिश्तेदारों के भानुप्रतापपुर, महासमुद में रहने की जानकारी मिली है। शासन प्रशासन के द्वारा सूचना देकर वहां से इन्हें बुलाया था। अंतिम संस्कार के बाद जो कोई भी इस परिवार से जुड़ा था अथवा नहीं सबकी आंखों में आंसू भर पड़े थे। यह हृदय विदारक घटना दिल को दहला देने वाली वाली है ही। जो शव, कंकाल के रूप में तब्दील हो उसका अंतिम संस्कार करना करना कठिन होगा, उसे कल्पना से ही पीड़ा होने लगती है।
इस गायकवाड परिवार के बारे में कोई नई जानकारी में सामने आई है। सूत्रों से और शासन- प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार इस गायकवाड़ परिवार ने पिछले कई वर्षों से कोई धान नहीं बेचा था।ये खेती करते थे लेकिन रेघा में खेत लेकर। इस परिवार के पास अपने पास स्वयं की सिर्फ लगभग 35 डिसमिल जमीन थी। पटवारी सूत्रों ने भी बताया है कि इस परिवार ने धान नहीं बेचा है। यहां के एसडीएम श्री विनय ने बताया है कि यह परिवार रेघा में खेत लेता था, और धान की फसल भी लेते थे। ये मुख्य तौर पर सब्जियों उगाते थे और उसे बेचते थे। सब्जियों में हल्दी मिर्च मसाला की फसलें लेते थे।
इस परिवार में सभी वयस्क थे। जिनकी मौत हुई है उनमें से कोई भी नाबालिग नहीं है। इस तरह से सभी कमाने खाने वाले थे। कोई किसी पर निर्भर नहीं था। दो बेटियो में एक की उम्र 35 साल और दूसरे की उम्र 30 साल होने की जानकारी मिली है।
इधर यह भी उल्लेखनीय है कि राजधानी रायपुर से सटे होने की वजह से पाटन विकासखंड के जमीनों की कीमतों में लगातार वृद्धि होती जा रही है। जमीनों की कीमत में बढ़ोतरी के चलते यहां ढेर सारे जमीन दलाल, जमीनों के खरीददार सक्रिय नजर आते हैं। कहा जाता है कि इनकी वजह से भी कई तरह के अपराध बढ़ रहे हैं। कुछ महीने पहले यही के खुडमुडा गांव में भी एक ही परिवार के 4 लोगों की हत्या का मामला सामने आया था। उसके अपराधी अभी तक नहीं पकड़े जा सके हैं।इस हत्याकांड को भी जमीन के मामले से जोड़कर देखा जाता रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राम ब्रिज गायकवाड के पास अभी सिर्फ 35 डिसमिल जमीन शेष रह गई थी। उसके पास पहले बठेना में ही और जमीन भी थी जिसमें से उसने लगभग 6 एकड़ खेत और 8-10 साल पहले बेच दिया था। उसके द्वारा 1 साल या 2 साल पहले लगभग 2 एकड़ जमीन और बेचे जाने की भी जानकारी मिली है।यह भी पता चला है कि इस परिवार के ऊपर कोई लोन नहीं है। धान की फसल ली नहीं इसलिए कृषि कार्य के लिए भी इस साल कोई कर्ज नहीं लिया गया था।