रायपुर। असल बात न्यूज़। एम्स रायपुर के कामकाज तथा योजनाओं के संचालन में अब वित्तीय नियंत्रण और समय की बचत नजर आएगी। इसके लिए एम्स के अधि...
रायपुर। असल बात न्यूज़।
एम्स रायपुर के कामकाज तथा योजनाओं के संचालन में अब वित्तीय नियंत्रण और समय की बचत नजर आएगी। इसके लिए एम्स के अधिकारियों और कर्मचारियों को सघन व सार्थक प्रशिक्षण दिया गया है। यह प्रशिक्षण सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली पी. एफ. एम. एस. (पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम) के राज्य निदेशालय, रायपुर की टीम के द्वारा दिया गया है। माना जा रहा है कि एम्स के लिए यह प्रशिक्षण काफी फायदेमंद साबित होगा.।
आम लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरतों के लगातार बढ़ते जाने के चलते छत्तीसगढ़ राज्य में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की जिम्मेदारियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। कोरोना काल में ये जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं। ऐसे में एम्स को अपनी योजनाओं के संचालन में वित्तीय नियंत्रण और समय की बचत पर भी ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
एम्स की स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधित विभिन्न योजनाओं में भुगतान को मितव्ययी एवं समयबद्ध तरीके से संचालित करने के लिए एम्स के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली पी.एफ.एम.एस. (पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम) राज्य निदेशालय, रायपुर की टीम के द्वारा 16 मार्च को मार्गदर्शन तथा प्रशिक्षण दिया गया।
सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली, राज्य निदेशालय, रायपुर की टीम ने यह प्रशिक्षण एक्सपेंडिचर, एडवांस एंड ट्रांसफर मॉड्यूल (ई.ए.टी.) पर दिया। प्रशिक्षण में उपस्थित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का इस प्रशिक्षण का अनुभव बहुत अच्छा रहा। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण उनके संस्थान के अंतर्गत आने वाली योजनाओं में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को लागू करने में महती भूमिका निभाएगा।
एम्स के अधिकारियों ने बताया कि जरुरत पडऩे पर सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली, राज्य निदेशालय रायपुर के अधिकारियों एवं उनकी टीम से प्रशिक्षण देने हेतु पुन: निवेदन किया जाएगा।
सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली, छत्तीसगढ़ राज्य में शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली वेब आधारित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जोकि वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के व्यय विभाग में महालेखा नियंत्रक द्वारा लागू किया जाता है। इसमें बजट प्रदाय करने वाली एजेंसी के द्वारा जारी राशि से लेकर अंतिम हितग्राही तक को मिले मजदूरी अथवा सामग्री के हुए भुगतान राशि की ट्रेकिंग की जाती है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यदि बजट पाने वाली एजेंसी की संपूर्ण राशि व्यय नहीं होती है तो, शेष बची राशि को किसी दूसरी महत्वपूर्ण योजना तथा अन्य एजेंसी जिसको अतिरिक्त बजट की आवश्यकता हो, वहां प्रदाय किया जा सकता है। इसका सीधा लाभ शासन को यह रहेगा कि विभिन्न योजनाओं के लिए जो लोन लिया जाता था, इन योजनाओं की बची हुई राशि को उनमें से कई महत्वपूर्ण जनहित से जुड़ी योजनाओं में प्रदाय किया जा सकता है। इस प्रकार लोन पर अनावश्यक ब्याज की बचत तो होगी ही, साथ ही दूसरी योजनाओं के लिए लिए जाने वाले लोन तथा उस पर आने वाले ब्याज जैसे अतिरिक्त आर्थिक भार में कटौती होगी। इस प्रकार शासन की आर्थिक मित्तव्यता तथा विभिन्न योजनाओं की कार्यकुशलता बढ़ेगी। पी.एफ.एम.एस. के माध्यम से कोविड-19 (कोरोना काल) में वित्तीय वर्ष 2020-2021 में फरवरी 2021 तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में लगभग 270 करोड रुपए का, 24 लाख हितग्राहियों को लाभ छत्तीसगढ़ राज्य में मिला है। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य विभागों की भी विभिन्न योजनाओं में पी.एफ.एम.एस. के माध्यम से भुगतान किया जा रहा है।