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अभी दुर्ग जिले में ही कोरोना का सबसे अधिक फैलाव कैसे और क्यों हुआ ? इसकी भी पड़ताल की जरूरत

  छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज। 0  चिंतन/ विश्लेषण/जिंदगी बचाने के लिए 0 अशोक त्रिपाठी पिछले साल वर्ष 2020 में ऐसे ही मार्च महीने के बाद से कोरो...

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 छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज।

0  चिंतन/ विश्लेषण/जिंदगी बचाने के लिए

0 अशोक त्रिपाठी

पिछले साल वर्ष 2020 में ऐसे ही मार्च महीने के बाद से कोरोना के संक्रमण के बढ़ने के मामलों की शुरुआत हुई थी उस समय हम लोग जब कोरोना के प्रकरणों और उससे उत्पन्न हालातों की रिपोर्टिंग कर रहे थे तो उस समय आज की तुलना में स्थिति कई मामलों में काफी कुछ अलग नजर आ रही थी। उस दौरान दूसरे देशों में कोरोना से मौतों की खबर अधिक चर्चा में थी तथा चीन और वुहान शहर भी अधिक चर्चा ओ में थे। कोरोना से दूसरे देशों में इस दौरान जिस तरह से मौतें हो रही थी, 24 घंटों में 2000, 3000 मोते हो जा रही थी, लोग उसके बारे में अधिक चिंतित नजर आते थे  और उसकी ही अधिक चर्चा करते दिखते थे। अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस में कोरोना से हो रही मौतों की खबर भी  अधिक चर्चाओ में थी। इस साल फिर मार्च का महीना बीत रहा है। कोरोना के संक्रमण का फैलाव अभी तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन अब हालात काफी कुछ अलग दिख रहे हैं।

कोरोना की जो दूसरे दौर की लहर फैली है, कुछ महीने शांत रहने के बाद कोरोना के संक्रमण का फैलाव बढा है, कोरोना से मौतें चिंताजनक तरीके से बढ़ने लगी है तो अब इस बार चीन, वुहान शहर स्क्रीन से गायब है। विदेशों में corona से हो रही मौतें भी अब पीछे छूट गई है। देश के सात- 8 राज्यों मे ही कोरोना के संक्रमितो और उससे हो रही मौतें इतनी अधिक हावी  है कि दूसरे शहरों और स्थानों के बारे में चर्चा को जगह ही नहीं मिल पा रही है। छत्तीसगढ़ में तो दुर्ग जिले और रायपुर जिले में कोरोना का अचानक इतनी तेज गति से फैलाव हुआ है कि लोगों को बहुत कुछ सोचने समझने का अवसर नहीं मिल सका है। इस अवसर के मिले बिना हजारों लोग संक्रमित हो गए और सिर्फ 20 दिनों के भीतर ही सौ के आसपास मौत हो गई हैं। मार्च महीने मैं भी 12 मार्च तक ऐसे ही बहुत कुछ नियंत्रण में लग रही थी।इसके बाद से कोरोना के संक्रमण का इतनी तेज गति से फैला हुआ कि लग ही नहीं रहा है कि कुछ नियंत्रण में था। कुछ नियंत्रित था। कुछ हमारे हाथों में था जिससे हम दावा कर सकते थे जे अब ऐसा आगे नहीं होगा। ऐसा आगे नहीं हो सकता।इधर वैक्सीनेशन का काम भी शुरू हो गया है। वैक्सीनेशन  शुरू होने के बाद आम लोगों में कोरोना को लेकर सोहल तौर पर कुछ लापरवाही  बढ़ी है। माना जा रहा है कि ऐसी लापरवाही, कोरोना के संक्रमण के फैलाव  में सहायक साबित हुई है।

कोरोना का अब जो संक्रमण फैल रहा  है उसे कोरोना की दूसरी स्ट्रेन का नाम दिया जा रहा है। तथा इसे पहले की तुलना में अधिक खतरनाक बताया जा रहा है। इसमें पहले की तुलना में सर्दी, खांसी, बुखार के साथ बदन दर्द, सिर दर्द, नाक जाम होने की शिकायतें सामने आई हैं। कोरोना के नए-नए फैलाव के दौरान कई और चीजें भी नई नई सामने आई। युवाओं, किशोरो को कई- कई दिनों का लाकडाउन देखने को मिला। जब वे कई कई दिनों तक घर में ही थे कहीं बाहर नहीं कर सके थे। कुछ लोगों को  ऐसा माहौल युद्ध के जैसा महसूस हुआ। वहीं लोगों ने कंटेनमेंट जोन भी बनते देखा और लोगों को 14- 14 दिनों तक क्वारंटाइन होते भी देखा । Contentment zone मैं रहने वाले लोगों की पीड़ा को भी लोगों ने महसूस किया तथा उन्हें हर संभव सहायता पहुंचाने  की कोशिश की। इस दौरान तमाम समाज सेवी संगठनो, सयंसेवी संगठनो, धार्मिक संगठनो इत्यादि से जुड़े लोग, जरूरतमंद लोगों की सहयोग करने बढ़-चढ़कर आगे आए तथा जरूरतमंद लोगों की पूरी मदद की। एक ही क्षेत्र में बड़ी संख्या में संक्रमित मिलने की वजह से अब फिर कंटेनमेंट जोन बनाए जाने लगे हैं। लेकिन अब सहयोग करने वाले वे लोग दोबारा फिर से मदद का हाथ बढ़ा कर फिर सहयोग करने आगे आएंगे इसको लेकर संशय है। कहा जाता है कि हर काम के लिए हर बार एक जैसा ही टेंपरामेंट नहीं बनता। एक साल से कोरोना के संक्रमण से सारे लोग परेशान हैं, त्रस्त हो गए हैं, सबके काम धंधे प्रभावित हुए हैं। आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। भविष्य को लेकर सभी के मन में चिंता ए बढ़ी है। पिछले साल इस दौरान हजारी लोगों को बेरोजगार होते, सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर से पैदल  अथवा किसी का सहारा लेकर  वापस लौटते लोगों ने देखा था। उसी तरह के हालात फिर बन रहे हैं।फिर चिंताएं बढ़ने लगी हैं कि लोगों का कहीं फिर से काम धंधा  बंद ना हो जाए। रोजगार ना छिन जाए। एक दहशत का माहौल बन  रहा है। चिंताजनक स्थिति बन रही है।

पिछली बार जैसा वातावरण दूसरे देशों में दिख रहा था, दूर के प्रदेशों में दिख रहा था, इस बार वैसे हालात छत्तीसगढ़ के रायपुर और दुर्ग जिले में दिख रहे हैं। अब यहां की खबरें, इन जिलों की खबरें देश भर में चर्चा ओ में हैं। यहां कोरोना से मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। दुर्ग जिले में तो ऐसे हालात हो गए हों गए हैं कि हर 5 मिनट में एक संक्रमित मिलने लगा है। जिनकी मौतें हुई हैं ज्यादातर मामलों में अस्पताल जाने के तीन-चार दिन बाद  मौत हो जाने के मामले सामने आए हैं।

Corona के नए स्ट्रेन में कहीं-कहीं सर्दी खांसी होने के लक्षण सामने नहीं आए हैं। लेकिन संक्रमित पॉजिटिव पाया गया है। अभी यह बात समझ से परे है कि दुर्ग जिले में है कोरोना का संक्रमण फैलाव अभी सबसे तेज गति से हुआ है और हो रहा है। क्या हुआ सिर्फ महाराष्ट्र touch का मामला है अथवा उसके पीछे और कुछ भी रहस्य है। दुर्ग जिले की एक- एक कॉलोनियों में बड़ी संख्या में संक्रमित में लगे हैं।जिला प्रशासन को ऐसे हालत में कई कालोनियों को कंटेनमेंट जोन बनाना पड़ा है।ऐसी कॉलोनी में भी लोग संक्रमित हुए हैं  जहां बाहर के लोगों का आना-जाना अधिक नहीं है तथा वहां सुरक्षा के भी इंतजाम पहले से किए गए हैं । एक परिवार में कई लोगों के संक्रमित होने के बारे में तो समझ में आता है कि एक सदस्य के संक्रमित होने के बाद उसके संपर्क में आकर दूसरे सारे सदस्य शामिल हो गए। लेकिन उन सभी कॉलोनियो तक  संक्रमण आखिर पहुंचा कैसे ?  सड़कों पर मरीजों को उठाए तेज रफ्तार से दौड़ती एंबुलेंस ऐसे कई सवाल खड़े करती नजर आ रही  हैं।ऐसे हालात में आम लोगों की क्या स्थिति हो रही होगी, उन्हें कितना दहशत फैल रहा है कितनी चिंताएं बढ़ रही हैं यह आसानी से समझा जा सकता है। आखिर, हम कहां चूक गए की कोरोना के संक्रमण का फैलाव इतनी तेज रफ्तार  से शुरु हो गया। और यह जानलेवा बन कर हमारे सामने फिर सिर उठाए खड़ा हो गया है। यह सच्चाई है कि दुर्ग जिले में पिछले साल कथित रूप से पहले चरण में कोरोना के संक्रमण का फैलाव इतनी अधिक तेज गति से नहीं हुआ था और ना ही कोरोना के संक्रमण की चपेट में आकर इतनी अधिक मौत ही हुई थी। तब देश के  दूसरे स्थानों तथा छत्तीसगढ़ के भी कई जिलों की तुलना में दुर्ग जिले की  स्थिति इतनी चिंता जनक नहीं हुई थी। दुर्ग जिले की अभी भौगोलिक,भौतिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति को देखें तो यह औद्योगिक शहर है। यहां काम की तलाश में दूसरे स्थानों से भी लोगों का लगातार आना जाना लगा रहता है। लेकिन औद्योगिक प्रगति की बात करें तो दूसरे कई शहर दुर्ग के मुकाबले में औद्योगिक प्रगति में काफी आगे निकल गए हैं। जांजगीर चांपा, रायगढ़ और कोरबा की औद्योगिक प्रगति के मामले में अधिक तरक्की नजर आती है। दूसरी तरफ एजुकेशन हब के रूप में दुर्ग जिले की जो पहचान थी उसमें अब रायपुर और बिलासपुर भी आगे निकलते जा रहे हैं। राजनांदगांव जिले में भी इस मामले में प्रगति की है। खेती किसानी और वनों के मामले में दुर्ग से संपन्न और खुशहाल कई जिले हैं। व्यापारिक कारणों से बाहर से लोगों का जो आना जाना लगा रहता है उसमें दुर्ग जिला निश्चित रूप से राजधानी रायपुर से आगे नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाओं की सुविधा के लिए भी अब दूसरे समय के लोग रायपुर अधिक आना पसंद करते हैं। लेकिन दुर्ग में इन सब हालातों के बावजूद कोरोना के संक्रमण का फैलाव  अधिक हुआ है और हो रहा है। प्रतिदिन अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। जोकि चौंकाने वाला और चिंता पैदा करने वाला है।




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