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पुराने चेहरों से उब चुकी मिलाई की जनता के सामने अब फिर स्थानीय सत्ता का चुनाव

 0  विशेष प्रतिनिधि 0   चिंतन 0  भिलाई दुर्ग। असल बात न्यूज़। कहा जाता है कि तालाब का स्थिर पानी धीरे-धीरे गंदा, मटमैला, बदबूदार होकर सड़ने ...

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 0  विशेष प्रतिनिधि

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0  भिलाई दुर्ग। असल बात न्यूज़।

कहा जाता है कि तालाब का स्थिर पानी धीरे-धीरे गंदा, मटमैला, बदबूदार होकर सड़ने लगता है। वही नदी का पानी लगातार प्रवाहित होने की वजह से हमेशा स्वच्छ रहता है तथा उसमें ताजगी बनी रहती है। राजनीति के बारे में बहुत कुछ ऐसा ही कहा जाता है। इसमें भी हमेशा चेहरे को बदलने की मांग बनी रहती है। हमेशा परिवर्तन की जरूरत महसूस की जाती है। औद्योगिक शहर भिलाई, पढ़े लिखे युवाओं, किसानों, मजदूरों और प्रगतिशील महिलाओं का शहर है। अभी यहां नगर निगम भिलाई के चुनाव होने जा रहे हैं। भिलाई नगर निगम प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम में से एक है।इस निगम क्षेत्र में श्रमिकों, व्यवसायियों, प्रतिदिन कमाने खाने वाले मजदूरों, कारोबारियों, की सघन बस्तियां हैं तो वही भिलाई इस्पात संयंत्र का टाउनशिप है। यह शहर प्रत्येक साल गौरवपूर्ण आईआईटी में 20 से 25 बच्चों को एडमिशन दिलाने वाला शहर रहा है। भिलाई को मिनी इंडिया कहा जाता है। ओलंपिक खेलों में नए कीर्तिमान बनाने वाला भी यह शहर रहा है। इस क्षेत्र ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्ट पहचान बनाई है तो वहीं लोक कला, खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों के क्षेत्र में भी इस क्षेत्र की देशव्यापी स्तर पर अपनी  शानदार पहचान रही है। भिलाई का प्रत्येक क्षेत्र में शानदार उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा है। ऐसे में जब यहां के स्थानीय निकायों के चुनाव होने जा रहे हैं तब यहां कोई खामोशी तो नहीं रह सकती बल्कि कई तरह की प्रतिक्रियाएं मिलेगी आ रही हैं, तथा आती रहेगी। इस पर प्रतिक्रियाये आ रही हैं कि भिलाई को कैसा बनाया जाना चाहिए ? भिलाई के साथ कितना अच्छा किया गया और वे तमाम क्यों निर्णय क्यों लिए गए जो यहां के लिए आहितकारी साबित हुए हैं । देश में अपनी अलग पहचान रखने वाला यह इस्पती  शहर विकास में इतना पिछड़ क्यों गया। इस शहर की ऐसी हालत क्यों हो गई है कि यहां से प्रतिवर्ष 5000 से अधिक छात्र जो इंजीनियर की पढ़ाई करते हैं उन्हें पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार के लिए  दूर क्यों भटकना पड़ता है। अपने शहर में उन्हें क्यों कुछ रोजगार नहीं मिलता। यहां पिछले 20 वर्षों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नई व्यवस्था क्यों नहीं की गई। शहर को खंडहर बनाने के बजाय रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के योजनाएं क्यों नहीं बनाई गई।स्थानीय शासन- प्रशासन की व्यवस्था लागू होने के 20 वर्षों के बाद भी  यह चमकता हरा भरा शहर  भिलाई, सड़क पानी बिजली, स्वच्छता के लिए अभी भी क्यों मोहताज है।आज यहां चारों तरफ सड़कों पर सिर्फ धूल ही धूल क्यों उड़ती नजर आती हैं।विकसित कॉलोनियों में भी सड़कों के हालत, गलियों की हालत क्यों जर्जर है। राष्ट्रीय स्तर की पहचान रखने वाले इस शहर का विकास अभी भी सिर्फ नालियों का निर्माण गलियों के सीमेंटीकरण तक ही क्यों सीमित रह गया है।चारों तरफ खुली पड़ी मच्छरों से बजबजाती नालिया  क्यों नजर आ रही है। जब इतनी जर्जर, बुरी , खस्ताहल ,दयनीय हालत है तो विकास कार्यों के लिए जो पैसा आता है को जो पैसा आता है वह कहां गया।  इस शहर में अभी भी टैंकरों से पानी आपूर्ति करने की जरूरत क्यों पड़ रही है। इस शहर को भले ही स्वच्छता के लिए कोई पुरस्कार क्यों ना मिलने लगे लेकिन यह सवाल भी हमेशा बना रहेगा कि यहां पीलिया मलेरिया जैसे संक्रामक बीमारियों से हर साल 200 - 300  लोगों की जान क्यों चली जा रही है? और इन सब के बीच एक गंभीर सवाल यह भी उठ रहा है कि ऐसी सारे अव्यवस्थाओं के लिए यहां की स्थानीय सत्ता, शासन कितना जिम्मेदार रहा है.। कितना जिम्मेदार है। यहां के आम जनता के जेहन में घूमड रहे ऐसे गंभीर दुखदाई निराशाजनक, सवालों के बीच यहां  स्थानीय सत्ता के लिए फिर चुनाव होने जा रहा है। यहां की जनता को अपना जनप्रतिनिधि फिर चुनना है जिस की अनुशंसा पर जिस के तथाकथित प्रयासों से क्षेत्र में विकास काम होते हैं। आम जनता की तमाम भावनाओ के बीच विभिन्न राजनीतिक दल भी हैं, जिनकी अपनी अलग प्रतिबद्धताए है, अपने अलग तर्क हैं, अपने अलग विचार हैं की भी अपनी अलग सक्रियता है और वे आम जनमानस को प्रभावित करते हैं।

अभी इस निगम निगम क्षेत्र के वार्डो का आरक्षण हुआ है। जिस तरह से आरक्षण हुए हैं उसके अनुरूप ही उस वर्ग के लोग वहां से चुनाव लड़ सकेंगे। तमाम लोगों ने अपनी- अपनी दावेदारी  ठोक नी अभी से शुरू कर दी है। कहा तो यह  भी जाता है कि  कई लोग तो काफी पहले से ही इसकी तैयारी में लग गए हैं। अब सवाल है कि जनता को किसके साथ जाना चाहिए। जनता को किसे अपना जनप्रतिनिधि चुनना चाहिए। पिछले 10- 15 भिलाई निगम  क्षेत्र में राजनीतिक हालात में काफी परिवर्तन हुए हैं। नए युवाओं की राजनीतिक क्षेत्र में सक्रियता बढ़ी है। उसमें से हजारों वे युवा भी हैं जिन्होंने लंबी बेरोजगारी को झंझावातो को जूझा है। रोजगार के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ा है। तभी उन्हें कोई काम नहीं मिला। मजबूरी उन्हें राजनीति की तरफ ले आई और वे अब राजनीति में अपने हायर एजुकेशन , संघर्षशीलता और अथक मेहनत से अपने आप को साबित करने में लगे हुए हैं।

दूसरी तरफ भिलाई की जनता उन लोगों को भी देख रही है जिनकी संपत्ति राजनीति में ही इधर-उधर कर लेने के कारण बिना किसी  योग्यता के करोड़ों रुपए में पहुंच गई है।  अब जनता के तय करने की बारी है किसके साथ जाना है। भू माफियाओ, अवैध दारू के धंधे से जुड़े लोगों,दारू बिकवा कर कमीशन वसूलने वाले लोगों की भी इस चुनाव में सक्रियता बढ़ती दिख रही है।

                      शेष अगले अंक में....