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नेशनल असेस्मेंट एंड एक्रेडीएशन, कमीशन एन.ए.ए.सी , की गाइड लाइन पर सेंट थॉमस कॉलेज में सेमिनार का आयोजन

  भिलाई। असल बात न्यूज़। तमाम बड़े बड़े यूनिवर्सिटीज तथा महाविद्यालय चाहे कितने भी बढ़-चढ़कर दावे कर ले लेकिन  किसी भी भारतीय विश्वविद्यालय ...

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 भिलाई। असल बात न्यूज़।

तमाम बड़े बड़े यूनिवर्सिटीज तथा महाविद्यालय चाहे कितने भी बढ़-चढ़कर दावे कर ले लेकिन किसी भी भारतीय विश्वविद्यालय को 100 अग्रणी वैश्विक संस्थानों में स्थान आज भी स्थान प्राप्त नहीं हुआ है। इसे देखते हुए देश में उच्‍च शिक्षा की गुणवत्ता एवं प्रासंगिकता मानकों में सुधार तथा इससे जुड़ी चिन्ताओं से जूझने, सुधारात्मक कार्यक्रम तथा नीतियाँ एवं योजनाएँ बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की एक स्वतंत्र मूल्यांकन संस्था ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद्’ (एन.ए.ए.सी.) की स्थापना की गयी। यहां के सेंट थॉमस कॉलेज में एनएएसी से मान्यता, महत्त्व तथा उपयोगिता पर चर्चा हेतु एक सेमिनार का आयोजन किया गया।कॉलेज के आइक्यूएसी विभाग के द्वारा आयोजित इस सेमिनार में  एन.ए.ए.सी.की नवीन गाइडलाइन के बारे में प्रशिक्षण और महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। 

सेमिनार में शासकीय वीवीटी पीजी कॉलेज दुर्ग के प्रिंसिपल डॉ आर एन सिंह, आई क्यूए सी विभागाध्यक्ष डॉक्टर सलूजा, डॉक्टर अनुपमा अस्थाना, और डॉक्टर प्रज्ञा कुलकर्णी इत्यादि ने मुख्य वक्ता के रूप में मार्गदर्शन दिया। सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ सिंह ने समस्‍त उच्‍च शिक्षण संस्‍थाओं से एनएएसी प्रत्‍यायण प्रक्रिया में भाग लेने का  अनुरोध किया। उन्‍होंने दोहराया कि  उच्‍च शिक्षण संस्‍थाओं के कल्‍याण के लिए उच्च शैक्षणिक संस्थाओं को अपनी वास्तविक जानकारी ही एक्रेडियेशन के लिए देनी चाहिए। उच्च शैक्षणिक संस्थाओं को विद्यार्थियों की अकादमिक गति‍विधियों को आगे बढ़ाने में हरसंभव मदद करने का प्रयास करना चाहिए। उनकी जानकारी के अनुसार  एन.ए.ए.सी की प्रक्रिया सरल तथा सहज है। विभागाध्यक्ष डॉ सलूजा ने अपने उद्बोधन में बोलते हुए एन ए ए सी के एक्रेडियेशन के   के विभिन्न  पहलुओं पर  विस्तार से प्रकाश डाला।डॉक्टर अनुपमा अस्थाना ने महाविद्यालय की फैकल्टी के द्वारा पूछे गए सवालों तथा डाउट्स का निराकरण किया। महाविद्यालय के प्रिंसिपल Dr एम जी रोयमोन ने अपने उद्बोधन में कहा कि महाविद्यालय परिवार इस तरह के सेमिनार, कार्यक्रमों के आयोजन में हमेशा आगे रहा है। ऐसे आयोजन , प्रशिक्षण से गुणवत्ता, कुशलता को  सुधारने तथा समृद्ध करने में सहयोग मिलता है। उन्होंनेेे कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों को ऐसे उत्कृष्टता का केन्द्र बनना होगा जहां छात्र एक सफल और सुखद जीवन के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और मनोवृत्ति प्राप्त करने में सफल हो सके।महाविद्यालय विश्वविद्यालय में वातावरण पढ़ाई के अनुकूल, शांत, विनम्र होना चाहिए।

 इस तथ्य पर चिंता करते हुए श्री नायडू ने कहा कि एनएएएसी और यूजीसी को शिक्षा प्रणाली पर फिर से विचार करना चाहिए, इसकी कमियों को दूर करना चाहिए तथा 21वीं शताब्दी की आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रमों में बदलाव करना चाहिए।

आई क्यू ए सी की समन्वयक डॉ देवजानी मुखर्जी और सह समन्वयक डॉक्टर शाइनी मेंडोंस ने कार्यक्रम में सवाल- जवाब के सेशन को समन्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।