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Street vendors और फेरीवाले साबित हो सकते हैं बड़ा खतरा, सब्जी, मुर्गा, मटन की दुकानो को दूर दूर करने की भी जरूरत

  रायपुर।दुर्ग , भिलाई। असल बात न्यूज़। 0 चिंतन/ विश्लेषण/ जिंदगी बचाने के लिए 0 अशोक त्रिपाठी कोरोना के जिस तरह से प्रतिदिन बड़ी संख्या में...

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रायपुर।दुर्ग, भिलाई। असल बात न्यूज़।


0 चिंतन/ विश्लेषण/ जिंदगी बचाने के लिए

0 अशोक त्रिपाठी


कोरोना के जिस तरह से प्रतिदिन बड़ी संख्या में संक्रमित मिल रहे हैं, जैसे चिंताजनक हालत है, हर जगह संक्रमित मिल रहे हैं उसे देख कर तो आशंका होती है की कहीं हवा में ही कोरोना का वायरस फैल गया है। लोग संक्रमित हो जा रहे हैं लेकिन उन्होंने भी समझ में नहीं आ रहा है, कोई ठोस कारण नहीं दिख रहा है कि वह आखिर संक्रमित हो कैसे गए। हर मोहल्ले, हर कॉलोनी में संक्रमित मिले हैं। कोरोना से बचाव के लिए कुछ जो सावधानिया हैं उसकी अभी भी जरूरत महसूस की जा रही है। जहां संक्रमित मिल रहे हैं वहां सैनिटाइजेशन का काम युद्धस्तर पर किया जाना चाहिए और सैनिटाइजेशन के नाम पर चूना पानी मिलाकर छिड़काव  कर ही खानापूर्ति करने का काम नहीं किया ना चाहिए। क्यों कि यह सीधे आम लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ सवाल है। कमीशन .... के तो..... सैकड़ों मौके .... । जहां संक्रमित मिल रहे हैं उन क्षेत्रों में सशक्त, प्रभावशाली, कारगर सैनिटाइजेशन किया जाना चाहिए। धारा 144 लगाई गई है जिसमें 5 से अधिक लोगों का एक साथ जुटना प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन बाजारों में थोड़ा जा कर देखिए, जब संकरी, तंग गलियों में लगने वाले मार्केट में पचासों लोग अपनी जरूरत का सामान, दैनिक उपयोग की चीजों को लेने पहुंचते हैं तो वहां धारा 144 का कैसे पालन किया जा सकता है ? किसी के लिए समय तो निर्धारित नहीं है कि उसे इस समय नहीं आना चाहिए अथवा कोई बाजार पहुंच गया है तो दूसरे को मना तो नहीं ही किया जा सकता कि वह वहां ना पहुंचे। नियम, कानून, व्यवस्थाएं ऐसे ही टूटती हैं। और अंततः यही सब वजह संक्रमण के फैलाव का कारण बन रहे हैं।

दुर्ग जिले में कोरोना के एक्टिव केसेस की संख्या सिर्फ 20 दिनों में 8000 के पार हो गई है। इसे गंभीरता पूर्वक जानना और समझना चाहिए कि यह संख्या सिर्फ 20 दिनों में बढ़ी है। कितनी गंभीर बात है सिर्फ 20 दिनों में corona के 8000 से अधिक संक्रमित मिले हैं। अगर आम लोगों ने शासन प्रशासन ने इसे अभी भी गंभीरता से नहीं लिया तो आगे क्या होगा, कहा नहीं जा सकता। वैसे स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोरोना के संक्रमण की रोकथाम और बचाव के लिए तमाम कदम उठाए गए हैं। लेकिन जब तक कोरोना के संक्रमण के फैलाव के आंकड़े कम नहीं होने लग जाएंगे, सिर्फ इतने से संतोष नहीं किया जा सकता। क्योंकि यह लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ मामला है। ऐसे में सब कुछ ठीक हो रहा है कहना असावधानी और लापरवाही ही होगी। दुर्ग जिले में तो ऐसे हालात हैं कि अभी प्रत्येक 3 मिनट में एक संक्रमित मिल रहा है। इसके बावजूद लोग चेत नहीं रहे हैं। जागरूकता और सावधानी का परिचय नहीं दे रहे हैं।

 आम लोगों को भी कुछ मजबूरियां हैं उससे उन्हें जूझना पड़ रहा है। धारा 144 लागू है लेकिन लोग बाजार जाते हैं, दुकान जा रहे हैं सामान खरीदने के लिए किसी शॉपिंग मॉल में जाते हैं वहां 20- 25 से अधिक लोगों की भीड़ जमा रहती है तो लोग कितनी सावधानी बरत सकेंगे। एक व्यक्ति कितनी सावधानी का पालन कर सकेगा। बात बहुत छोटी सी है। ऐसा लगता है कि उससे कुछ नहीं होगा। लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि ऐसा छोटे-छोटे कारण ही संक्रमण के फैलाव की वजह बन सकते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के द्वारा कहा गया है कि सामाजिक दूरी कायम करना कोविड-19 वायरस के फैलाव को रोकने का एक स्थापित तरीका है। सामाजिक दूरी रखने के इन उपायों को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि इन्हें साक्ष्य आधारित बनाया जाए। लेकिन छत्तीसगढ़ में जैसे हालात है लग रहा है कि प्रतिबंधात्मक धाराओं और नाइट कर्फ्यूूू लगा देने के बावजूद भी यह अधिक कारगर, सफल सााबित नहीं हो रहा है।स्थानीय शासन प्रशासन के द्वारा कोरोना के मामलों में हालिया उछाल की स्थिति पर  कड़ी नजर रखी  जा रही है। कोविड ​​प्रोटोकॉल के सख्ती से पालन के साथ-साथ जहां कहीं भी आवश्यक हो रहा हैं छोटे कंटेनमेंट ज़ोन बनाने जैसे निर्णायक और महत्वपूर्ण सुरक्षा के कदम भी उठाए जा रहे हैं।

माना जा रहा है दुनिया में कि हर महामारी कई लहरों में आती रही है और कोविड भी इसका  कोई अपवाद नहीं है। यह तब साफ हो गया जब यूरोप और अमेरिका में कोरोना की दूसरी लहर आई। वैज्ञानिक समुदाय अभी भी इस बात की खोज में लगा हुआ है कि आखिर महामारी इस तरह से क्यों व्यवहार करती है। माना जा रहा है कि भारत में भी कोविड की दूसरी लहर चल रही है। यह मानने की फिलहाल कोई वजह भी नहीं है कि कोविड-19 की दूसरी लहर नहीं है। इसमें चिंता की बात यह है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना की दूसरी लहर को अपेक्षाकृत अधिक खतरनाक माना है। ऐसे में जो गाइडलाइन है उनका पालन सुनिश्चित करना अत्यंत जरूरी हो गया है।अन्यथा ऐसी लापरवाही उदासीनता समाज के लिए खतरे के कारण बनती जाएगी। कई दृश्य दिख रहे हैं जिससे लग रहा है कि अभी भी कई वजहों से सामाजिक दूरी का पालन नहीं हो पा रहा है। जैसे कि हमने ऊपर बताया बाजारों की स्थिति। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शुरू से चेतावनी दी है कि जहां भीड़ अधिक जुटती है तंग गलियों में दुकानें लगती हैं ऐसे मार्केट को खुली जगह पर लगाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। वेंडर्स के बीच दूरियां बननी चाहिए, ताकि खरीदारों आम लोगों के बीच भी सहूलियत पूर्वक दूरियां बनाई जा सके। ऐसे दूरियां नहीं बनेगी तब भी जो लोगों को सामान खरीदने की मजबूरी है वह सामान जरूर खरीदेंगे और बेचने वाले को अपना समान बेचेंगे ही ।  दुर्ग जिले और रायपुर जिले  में स्थानीय प्रशासन के द्वारा इस दिशा में क्या काम किये गए हैं इसकी अभी समीक्षा करने की जरूरत है। और इस पर और अधिक सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत पड़े तो उठाया जाना चाहिए । इसमें थोड़ी सी आजीविका प्रभावित होती है तब भी सख्त निर्णय लेने होंगे तभी लोगों की जिंदगी बचाई जा सकेगी।

वैसे कोरोना के संक्रमण का जिस तरह से फैलाव हो रहा है उससे आम लोगों में भी दहशत, चिंता बढ़ रही है। लॉकडाउन लागू नहीं है लेकिन लोग घरों से बाहर नहीं निकल कर रहे हैं। बाजार सूने पड़े हैं। गलियां, मुख्य मार्ग सुने दिख रहे हैं।जब बहुत अधिक जलन हो रही है तभी लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं। कई लोगों ने तो अपनी नौकरियों से छुट्टियां ले ली है। घर का खर्चा कैसे चलेगा इसकी चिंता किए बिना छुट्टियों पर चले गए हैं। असल में जिंदगी को जोखिम में डालने का डर जो है। अभी स्थानीय  प्रशासन को इस दिशा में भी गंभीरतापूर्वक विचार करना होगा और निर्णय लेना होगा कि स्ट्रीट वेंडर्स और फेरीवाले कोरोना के कितने बड़े संवाहक बन सकते हैं और उन से कितना नुकसान , संक्रमण फैल सकता है। कहा जा रहा है कि आम स्थाई दुकानदारों की तुलना में Street vendors के पास, फेरी वालों के पास कोरोना के संक्रमण के बचाव के लिए कोई उपाय नहीं होते। Street vendors अपेक्षाकृत पहले से ही कई सारे संघर्षों से जूझ रहे होते हैं। उनकी आमदनी इतनी अधिक नहीं होती कि अपनी अस्थाई दुकान में वह अपने स्वयं तथा अपने ग्राहकों के लिए सैनिटाइजर रख सके। दूसरी चीज स्ट्रीट वेंडर्स की दुकानें खुली रहती हैं, इसलिए उसकी सुरक्षा के लिए वहां चार पांच लोगों को रखना ही पड़ता है अन्यथा चोरी का डर बना रहता है। दूसरी चीज सस्ता सामान बेचने की वजह से कई लोग भले खरीदारी ना करें, लेकिन देखने के लिए भी उनकी अस्थाई दुकानों में भीड़ लगी रहती है।इससे कैसे इनकार जा सकता है इतने लोगों की उपस्थिति कभी ना कभी कोरोना के संक्रमण के फैलाव का कारण नहीं बन सकती है। किसी को समझ में नहीं आएगा, पता नहीं चलेगा और कोराना अपनी गति से फैलता जाएगा। यह सब बातें व्यावहारिक कठिनाइयां है। कोरोना के नए variant का फैलाव तेज गति से हो रहा है तो इसके हर पहलू को अत्यंत गंभीरता से लेना होगा। लोगों की जिंदगी बचाने के लिए यह जरूरी है। छोटी सी भी लापरवाही कोरोना  के बड़े फैलाव, गंभीर रूप तरीके से फैलाव  का कारण बन सकती है।

 लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं, दुकान, मार्केट नहीं जाना चाहते तो उन्हें भी फेरी वालों से ही सामान लेना बहुत अच्छा लग रहा है। असल में यह कोई भी नहीं सोच पाता कि ऐसी छोटी-छोटी चीजें भी खतरनाक महामारी को फैलाने में सहायक वन सकती है। कोई यह तो नहीं सोच सकता कि स्वस्थ दिखने वाले फैरी वाले से बात करना, सामान लेना भी जोखिम भरा हो सकता है।


केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा गठित  भारतीय  सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) जोकि 10 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समूह है  कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग और कोविड-19 वायरस का विश्लेषण कर रहा है और इस प्रकार पाए जाने वाले वायरस के नए वैरिएंट तथा महामारी के साथ उनके संबंधों का पता लगा रहा है। 

आईएनएसएसीओजी ने  राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से साझा किए गए 10787 पॉजिटिव सेंम्पल में से इस वायरस के 771 चिंताजनक प्रकारों (वीओसी) का पता लगाया है। इसमें ब्रिटेन के वायरस (बी.1.1.7.) लिनिएज के 736 पॉजिटिव नमूने भी हैं। दक्षिण अफ्रीकी वायरस लिनिएज (बी.1.351) के 34 नमूने भी पॉजिटिव पाए गए हैं। एक नमूना ब्राजील लिनिएज (पी.1) के वायरस के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं। ये वीओसी युक्त नमूने देश के 18 राज्यों में चिन्हित किए गए हैं।कोरोना वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग और इसका विश्लेषण अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों से लिए गए नमूनों, वीओसी के संपर्क में आए पॉजिटिव नमूनों और अधिकतर राज्यों में सामुदायिक स्तर पर एकत्र किए गए नमूनों से किया गया है।

महाराष्ट्र से लिए गए नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि दिसंबर 2020 की तुलना में ई484क्यू और एल452आर म्यूटेशन के अंशों वाले नमूनों में वृद्धि हुई है। इस प्रकार की म्यूटेशन दर्शाती है कि यह विषाणु शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में कारगर है और इसका प्रभाव भी पहले से अधिक है। ये  इनमें भी अधिक परीक्षण, करीबी संपर्कों का व्यापक रूप से पता लगाना, पॉजिटिव मामलों और उनके संपर्क में आए लोगों को तत्काल अलग करना और राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल के अनुसार इनके उपचार की आवश्वकता पर जोर दिया गया है है।

महाराष्ट्र में कोरोना के जो नए variant मिले हैं उनका स्वरूप छत्तीसगढ़ के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि माना जा रहा है कि महाराष्ट्र टच की वजह से ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में कोरोना के फलों की गति तेज हुई है। ऐसे में हमें प्रत्येक छोटे छोटे पहलुओं को गंभीरतापूर्वक लेकर इसके बारे में निर्णय लेने होंगे। अभी अभी पता चला है कि ढेर सारे घरों में सर्दी खांसी बुखार के लक्षण नजर आ रहे हैं लेकिन ऐसे लोग अस्पताल की असुविधाओं तथा वहां जाने से संक्रमण बढ़ने के डर की से  वजह से अपनी जांच कराने से बच रहे हैं। इससे भी संक्रमण के फैलाव का खतरा बढ़ सकता है।

दुर्ग जिले और राजधानी रायपुर में ही नहीं राजनांदगांव, बिलासपुर, कोरबा, महासमुंद कांकेर, रायगढ़ इत्यादि जिलों में भी कोरोना के संक्रमण के फैलाव को रोकने बचाव के उपायों को तेज और सख्त करना होगा। छोटी छोटी चूको से बचने की कोशिश करना होगा।