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स्वरूपानंद महाविद्यालय में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संप्रेषण की प्रासंगिकता विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला

  भिलाई। असल बात न्यूज़। स्वरूपानंद महाविद्यालय में वाणिज्य विभाग एवं ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के संयुक्त तत्वाधान में आईआईटी कानपुर की ई...

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भिलाई। असल बात न्यूज़।

स्वरूपानंद महाविद्यालय में वाणिज्य विभाग एवं ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के संयुक्त तत्वाधान में आईआईटी कानपुर की ई-सेल के सौजन्य से  वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संप्रेषण की प्रासंगिकता विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया ।कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए संयोजक डॉ अजीत सजीत विभागाध्यक्ष वाणिज्य ने कहा कि संचार ही जीवन का आधार है सम्प्रेषण कौशल के महत्व के महत्व को समझाना ही आज के कार्यशाला का उद्देश्य है।

 महाविद्यालय के सीईओ डॉ दीपक शर्मा ने कहां वर्तमान में विद्यार्थीअच्छे संप्रेषण कौशल से आज के प्रतियोगिता के युग में आगे बढ़ सकते हैं ।महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर हंसा  शुक्ला ने कहा कि संप्रेषण कौशल के माध्यम से व्यक्ति किसी भी स्थान पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकता है अच्छा संप्रेषण कौशल ना केवल नौकरी के लिए बल्कि सामान एवं परिवार में अच्छे संबंध के लिए भी आवश्यक है ।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अभिप्रेरक वक्ता  एवं  प्रशिक्षक श्री नियाज कुरेशी ने संप्रेषण के महत्त्व एवं उसके विभिन्न प्रकारों को विद्यार्थियों को कहानी एवं गेम के माध्यम से रोचक तरीके से समझाया।श्री कुरैशी ने आत्मविश्वास का अर्थ स्वमं के सुपर पावर को पहचानना बताया उन्होंने उदाहरण दिया कि रतन टाटा कहते हैं कि वह सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करते बल्कि जो फैसला लेते हैं उसे सही साबित करते हैं उन्होंने आत्मविश्वास के तीन प्रकार पहला लो लेवल जिसमें व्यक्ति आत्मविश्वास की कमी के कारण अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित नहीं कर पाता दूसरा प्रकार ओवर कॉन्फिडेंस इसमें  व्यक्ति अति आत्मविश्वास के कारण बिना सोचे समझे कार्य करता है और अपनी बात रखता है अतः सफल नही हो पाता तीसरा लेवल हाई कॉन्फिडेंस है इस लेवल में व्यक्ति व्यक्ति सोचता है समझता है फिर करता है तो वह अवश्य सफल होता है।

 मुख्य वक्ता  ने विद्यार्थियों की शंका दूर करते हुए बताया कि कम्युनिकेशन में शब्दो का महत्व सिर्फ 7% होता है 55% बॉडी लैंग्वेज और 38% टोन ऑफ वॉइस का महत्व होता है उन्होंने उदाहरण दिया कि टॉम एंड जेरी एवं मिस्टर बीन टीवी के लोकप्रिय कार्यक्रम है दोनों में शब्द नहीं बल्कि पात्रों के भाव अभियक्ति के कारण दर्शक इसे पसंद करते हैं उन्होंने बताया कि कम्युनिकेशन का अर्थ अंग्रेजी बोलना नहीं होता बल्कि अपने विचारों को उस भाषा में बोलना होता है जिसमें आप अपने विचारों को भाव के साथ अच्छे से स्पष्ट कर सकते हैं अच्छे संप्रेषण कला में टेक्निक और माइंड सेट दोनों का कांबिनेशन आवश्यक होता है आपको बोलते समय चेहरे पर वही भाव लाना चाहिए जो आप बोल रहे हैं अच्छा बोलने के लिए अच्छा श्रोता होना भी आवश्यक है आप यात्रा के माध्यम से दूसरों के विचारों और बातों को सुनकर भी अच्छे वक्ता बन सकते हैं ।

छात्र सिमरजीत सिंह ,अमरजीत एवं श्याम  ने इमोशनल इंटेलिजेंस के बारे में पूछा   कुरैशी ने छात्राओं के शंका का समाधान किया एवं  बताया कि भावनात्मक बुद्धिमता के माध्यम से आप सम्प्रेषण सामने वाले व्यक्ति के भावानुरूप करते है।उन्होंने कम्युनिकेशन स्किल के विभिन्न 60 कोर्स के बारे में बताया जिससे विद्यार्थी अपने लॉकडाउन समय का सदुपयोग कर सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं। अंत में श्री कुरैशी ने कहा कि आप सहज,सरल लेकिन मूल्यवान बने ।कार्यशाला में डॉक्टर कुबेर गुरपंच,प्राचार्य देव संस्कृति महाविद्यालय, ममता दुबे सहायक प्राध्यापक देव संस्कृति महाविद्यालय,डॉक्टर नीलम गांधी सहायक प्राध्यापक सेंट थॉमस ने कार्यशाला को व्यक्तित्व विकास के लिए उपयोगी बताया। कार्यक्रम में मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन कुमारी पूजा सोडा सहायक प्राध्यापक वाणी ने किया टेक्निकल सपोर्ट श्रीमती बबीता ने दियाकार्यक्रम में महाविद्यालय एवं अन्य महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं एवं प्राध्यापक गण जुड़े थे।