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स्वामी श्री स्वरूपानंद महाविद्यालय में ऑनलाइन तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम

    भिलाई। असल बात न्यूज। महाविद्यालय में  एफडीपी रिसर्च पेपर के प्रकाशन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश एवं ज्ञानार्जन के लिए तीन दिवसीय फैकल्ट...

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 भिलाई। असल बात न्यूज।

महाविद्यालय में  एफडीपी रिसर्च पेपर के प्रकाशन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश एवं ज्ञानार्जन के लिए तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया। महाविद्यालय के सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने रिसर्च को प्राध्यापकों के लिए आवश्यक बताया और उन्होंने कहा कि शोध पत्रों की गुणवत्ता पर सभी को ध्यान देना चाहिए और प्रतिवर्ष एक मानक पत्रिका में हर प्राध्यापक को अपना शोध पत्र प्रकाशित करवाना चाहिए। 

 प्रथम दिन इस एफडीपी का शुभारंभ करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने रिसर्च पेपर को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इसके प्रकाशन में हमें जो कठिनाई होती है उसको दूर करने के उद्देश्य से हमने इस वेबिनार का आयोजन किया।पेपर का प्रकाशन हमें गुणवत्तापरक जर्नल में कराना चाहिए।

संयोजिका डॉ शमा ए. बेग विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी ने एफडीपी का उद्देश्य बताते हुए कहा कि हम नेक में इस खंड में कमजोर क्यों होते हैं और हम इसे कैसे अपनी ताकत बना सकते हैं क्योंकि हम सभी रिसर्च से जुड़े हैं और अध्यापन कार्य के अतिरिक्त शोध आवश्यक है तो हमें इसे निखारने की जरूरत है और जमीनी सच्चाई को जानना आवश्यक है जैसे रिसर्च पेपर कैसे लिखना है, किस जनरल में प्रकाशित करवाना है और फिर उसे कैसे  प्रस्तुत एवं प्रसारित करना है।  प्रथम दिवस के मुख्य वक्ता डॉ राजीव चौधरी प्रोफ़ेसर शारीरिक शिक्षा, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर ने रिसर्च पेपर लिखने एवं उसे प्रकाशित करने के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि रिसर्च पेपर लिखते समय हमें बहुत सी बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे उसको हम जिस जनरल में प्रकाशित करना चाह रहे हैं शोध पत्र को उस फॉर्मेट में तैयार करें। उन्होंने कहा कि सांख्यिकी का उपयोग जितना आवश्यक हो उतना ही करें। रिसर्च एथिक्स में हमें सिर्फ सही को ही चुनना चाहिए ।

शोध पत्र क्यों अमान्य हो जाता है इसके बारे में उन्होंने सात बिंदुओं पर चर्चा की जैसे -शोध पत्र पत्रिता के अनुरूप न हो, पाठको की  रुचि का न हो, भाषा में गलती होने पर इत्यादि। 

अच्छे जनरल का मानक बताया तथा बिबलियोमैट्रिक के बारे में विस्तार से बताया। एच - इंडेक्स, जी-इंडेक्स और आई - इंडेक्स की जानकारी दी।

स्कॉपस, गूगल स्कॉलर और डब्ल्यू ओ एस के बारे में विस्तृत जानकारी दी और बताया कि कोई भी व्यक्ति स्वयं का फ्री में रजिस्ट्रेशन कर स्वयं का मूल्यांकन कर सकता है।

जनरल के इंपैक्ट फैक्टर को कैसे जाने इसको विस्तार से समझाया।

आपके रिसर्च पेपर का उल्लेख दूसरे कितना कर रहे हैं इसे जानना आवश्यक है। एच-इंडेक्स एक लेखक-स्तरीय मीट्रिक है जो किसी वैज्ञानिक या विद्वान के प्रकाशनों की गुणवत्ता और उद्धरण प्रभाव दोनों को मापता है। एच-इंडेक्स स्पष्ट सफलता संकेतकों के साथ संबंधित है 

 आई 10 सूचकांक कम से कम 10 उद्धरणों के साथ प्रकाशनों की संख्या का सूचक है।  

एक उद्धरण आपके शोध में प्रयुक्त जानकारी के स्रोत का संदर्भ है। किसी भी समय आप सीधे अपने काम में किसी अन्य व्यक्ति के विचार के अनिवार्य तत्वों को उद्धृत करते हैं, व्याख्या करते हैं या इन-टेक्स्ट उद्धरण का पालन करना चाहिए। एक पाठ-प्रशस्ति पत्र आपके पेपर या प्रस्तुति के पाठ के भीतर एक संक्षिप्त संकेतन है जो पाठक को पूर्ण संकेतन, या अंत-कागजी प्रशस्ति पत्र को संदर्भित करता है , जो जानकारी के स्रोत के बारे में सभी आवश्यक विवरण प्रदान करता है।

साईटेशन डाटाबेस को जानना आवश्यक है। वेब साइंस, स्कोपस और गूगल स्कॉलर की विस्तृत जानकारी दी।वेबिनार में मंच संचालन सहायक प्राध्यापक माइक्रोबायोलॉजी शिरीन अनवर ने किया।अंचल के विभिन्न महाविद्यालय के प्राचार्य,प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक इस वेबिनार में जुड़े और इसे सफल बनाया।