तमाम शोध और जांच परीक्षणों में यह बात सामने आ रही है कि कोविड 19 वारयस बार-बार अपना रूप बदल रहा है और बार-बार इसके अपना स्वरूप बदलने क...
तमाम शोध और जांच परीक्षणों में यह बात सामने आ रही है कि कोविड19 वारयस बार-बार अपना रूप बदल रहा है और बार-बार इसके अपना स्वरूप बदलने की वजह से इसको नियंत्रित करने और रोकथाम के लिए कौन सी दवाइयां अधिक कारगर साबित होगी कहना मुश्किल हो गया है। भारत में यहां पहलेvirus के mutation के पाए जाने के साथ ही कई दूसरे देशों में मिलने वाले कई म्यूटेशंस जी हां पाए जा चुके हैं।, इनमें यूके (17 म्यूटेशंस), ब्राजील (17 म्यूटेशंस) और दक्षिण अफ्रीका (12 म्यूटेशंस) वैरिएंट्स शामिल हैं। इन वैरिएंट्स की फैलने की क्षमता काफी ज्यादा है। यूके वैरिएंट ज्यादातर यूके, पूरे यूरोप में पाया गया और एशिया व अमेरिका तक में फैल गया है।अंतरराष्ट्रीय आवागमन की वजह से दूसरे देश से म्यूटेशन यहां मिले हैं। अभी देश में double mutation डबल(2 म्यूटेशंस) भी पाया गया है जो कि एक अन्य वैरिएंट है और यहऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, जर्मनी, आयरलैंड, नामीबिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम, यूएसए जैसे कई देशों में पाया गया है। अच्छी बात यह है कि कोरोना के विभिन्न प्रकार, स्वरूप के म्यूटेशन मिलने के बावजूद ब्रिटेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और डबल म्यूटैंट वैरिएंट्सभारत में इस्तेमाल हो रही आरटीपीसीआर जांच में पकड़ लिए जा रहे हैं, इनकी पहचान कर ली जा रही है।भारतीय जीनोमिक कंसोर्टियम ने जीनोम अनुक्रमण के लिए अभी तक 13,000 से ज्यादा नमूनों की जांच कर लिए जाने की जानकारीी मिली है।
भारतीय सार्स कोविड-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी), पूर्ण जीनोम अनुक्रमण (डब्ल्यूजीएस) के माध्यम से भारत में सार्स कोविड-2 के जीनोमिक बदलावों की अपने 10 प्रयोगशाला में निरंतर निगरानी कर रहा है।कई जांचों में अब यह बात सामने आ रही है कि कोरोना का वायरस हवा से भी फैलने लगा है। ऐसे में यह अत्यंत खतरनाक हो जाता है।हवा से शंकर पहल से किसी की समझ में ही नहीं आएगा कि वायरस की चपेट में कोई कैसे आ रहा है।
ब्रिटेन(यूके) में अभी कोरोना का नया वायरस सार्स कोविड-2 वायरस सामने आया है जिस के नए संस्करण के संदर्भ में महामारी निगरानी और प्रतिक्रिया के लिए सभी राज्यों को एसओपी भेजा गया है
आईएनएसएसीओजी के दिशानिर्देशों के तहत, पूर्ण जीनोम अनुक्रमण के लिए निम्नलिखित से पॉजिटिव नमूने प्राप्त किए जाते हैं:
- अंतर्राष्ट्रीय यात्री जो आरटी-पीसीआर द्वारा पॉजिटिव पाए गए हैं
- राज्य निगरानी अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए सामुदायिक नमूने, जो जिलों/प्रयोगशालाओं से नामित आईएनएसएसीओजी प्रयोगशालाओं को नमूनों का हस्तांतरण सुगम बनाते हैं। सभी राज्यों को विशेष आईएनएसएसीओजी प्रयोगशालाओं से जोड़ दिया गया है।
- जिलों से आने वाले नमूनों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
आईएनएसएसीओजी कंसोर्टियम की 10 चिह्नित प्रयोगशालाएं अपने अनुक्रमण नतीजों के बारे राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र (एनसीडीसी) की केन्द्रीय निगरानी इकाई को सूचना देती हैं; जहां से इसे केन्द्रीय निगरानी इकाई (सीएसयू) द्वारा ईमेल के माध्यम से आईडीएसपी की राज्य निगरानी इकाइयों (एसएसयू) को, साथ ही एनसीडीसी द्वारा नियमित बैठकों में राज्य निगरानी अधिकारियों को साझा किया जाता है जो बदले में स्वास्थ्य सचिवों के साथ मिलकर परिचालन प्रतिक्रिया देते हैं। इस प्रकार, राज्यों को राज्यों में मिलने वाले विभिन्न वायरसों के बारे में निरंतर सूचना दी जाती है।
कुछ मामलों में, आईएनएसएसीओजी प्रयोगशालाओं ने नतीजों के बारे में सीधे राज्यों को भी सूचना दी है।
एनसीडीसी ने समय समय पर औपचारिक रूप से राज्य केन्द्रित नतीजों को लेकर संबंधित राज्यों के साथ संवाद भी किया है। उदाहरण के लिए,
- हिमाचल के नतीजों के बारे में 8 अप्रैल को सूचना दी गई
- पंजाब के नतीजे 26 मार्च को सूचित किए गए
- राजस्थान के नतीजे 10 अप्रैल को
- महाराष्ट्र के नतीजे12 मार्च, 2021 से 16 अप्रैल, 2021 के बीच नौ विभिन्न अवसरों पर सूचित किए गए।
ज्यादा सख्त कदमों के लिए नियमित अंतराल पर न सिर्फ ज्यादा मामलों वाले राज्यों के साथ, बल्कि सचिव (एच), एएस (एच), निदेशक एनसीडीसी और आईडीएसपी द्वारा ज्यादा मामलों वाले सभी राज्यों; राज्य/ संघ शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिवों, एसीएस स्वास्थ्य, एसएसओ, डीएचएस आदि के साथ भी संवाद किया गया। राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों से बार बार कड़ी चौकसी बरतने और अनलॉक के प्रावधानों व विभिन्न देशों से आ रहे नए स्ट्रेन को देखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सख्त कदम उठाने के लिए कहा गया है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा समय-समय पर खतरनाक वैरिएंट्स और नए म्यूटैंट्स की वर्तमान स्थिति से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराई जाती हैं तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप बढ़ाने और सख्ती पर भी जोर दिया जाता है। 24 मार्च, 2021 को हुए संवाददाता सम्मेलन में, एनसीडीसी निदेशक ने देश में सामने आए कोविड वायरस के विभिन्न वैरिएंट्स पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया था।
हाल में, आईएनएसएसीओजी दिशानिर्देश एक बार फिर से राज्यों के साथ साझा किए गए और राज्यों को पॉजिटिव लोगों के क्लीनिकल डाटा उपलब्ध कराकर जीनोम अनुक्रमण के लिए नमूने भेजने की सलाह दी गई थी। इससे विभिन्न स्थानों पर वैरिएंट्स में बढ़ोतरी से जुड़ी महामारी संबंधित व्यापक जानकारियां मिलेंगी; साथ ही आईएनएसएसीओजी, जनता में मौजूद अन्य खतरनाक वैरिएंट्स को खोजने में सक्षम हो जाएगा। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और केरल सहित कई राज्यों ने अभी तक एनसीडीसी के साथ डाटा साझा नहीं किया है, हालांकि पंजाब और दिल्ली यह डाटा साझा कर चुके हैं।
15/04/2021तक 10 नामित आईएनएसएसीओजी प्रयोगशालाओं में 13,614 डब्ल्यूजीएस नमूने संसाधित किए जा चुके हैं। इनमें से जांच के दौरान 1,189 नमूने भारत में सार्स कोविड-2 के खतरनाक वैरिएंट के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं। इसमें यूके वैरिएंट्स के 1,109 नमूने; दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट के 79 नमूने और ब्राजील वैरिएंट का 1 नमूना शामिल हैं।
कोविड 19 वारयस अपना रूप बदल रहा है और भारत के साथ ही कई देशों में कई म्यूटेशंस पाए जा चुके हैं, इनमें यूके (17 म्यूटेशंस), ब्राजील (17 म्यूटेशंस) और दक्षिण अफ्रीका (12 म्यूटेशंस) वैरिएंट्स शामिल हैं। इन वैरिएंट्स की फैलने की क्षमता काफी ज्यादा है। यूके वैरिएंट ज्यादातर यूके, पूरे यूरोप में पाया गया और एशिया व अमेरिका तक में फैल गया है।
डबल म्यूटेशन (2 म्यूटेशंस) एक अन्य वैरिएंट है और यह ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, जर्मनी, आयरलैंड, नामीबिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम, यूएसए जैसे कई देशों में पाया गया है। इस वैरिएंट के ज्यादा फैलने की क्षमता अभी तक स्थापित नहीं हुई है।
- भारत में इस्तेमाल हो रही आरटीपीसीआर जांच से ये म्यूटेशंस बच नहीं सके हैं, क्योंकि भारत में हो रही आरटीपीसीआर जांच दो ज्यादा जीन्स को लक्षित करती है।
- आरटीपीसीआर जांचों की संवेदनशीलता और विशिष्टता पहले की तरह बनी हुई है।
इन म्यूटेशंस के सामने आने से प्रबंधन की रणनीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जो जांच, पता लगाने, नजर रखने और उपचार पर केन्द्रित बनी हुई है। कोविड-19 के प्रसार पर रोक के लिए मास्क का इस्तेमाल सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच बना हुआ है।