हालात बिगड़ रहे हैं तो लोगों को अत्यंत संभल कर रहना होगा, मास्क पहनने, भीड़ में जाने में असावधानी खतरनाक हो सकती हैं साबित। जिला प्रशासन के...
हालात बिगड़ रहे हैं तो लोगों को अत्यंत संभल कर रहना होगा, मास्क पहनने, भीड़ में जाने में असावधानी खतरनाक हो सकती हैं साबित। जिला प्रशासन के द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों का पालन करना होगा अनिवार्य
रायपुर दुर्ग भिलाई बिलासपुर। असल बात न्यूज़।
0 चिंतन/ विश्लेषण/ जिंदगी बचाने के लिए
0 अशोक त्रिपाठी
छत्तीसगढ़ राज्य में कोरोना के संकरण का फैलाव और उस से हो रही मौतों का मामला बद से बदतर होता जा रहा है। शायद ही इस ओर किसी का ध्यान गया होगा कि यहां कोमोरबिडिटी की जगह अब सिर्फ covid के संक्रमण से अधिक मौत होने लगी हैं।कल पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोना के संक्रमण से 53 लोगों की जान चली गई है जिसमें 25 युवा हैं। इनकी उम्र 50 साल से कम है। हालात कितने चिंताजनक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ये युवा किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित नहीं थे।सिर्फ कोरोना की चपेट में आ गए और उनकी जान चली गई। कोरोना के संक्रमण को अब इस angle से भी देखना चाहिए कि वह युवाओं के लिए भी काफी खतरनाक होता जा रहा है। बल्कि अभी तो युवाओं की कोरोना से अधिक मौत हो रही है।और यह हालात सिर्फ राजधानी रायपुर में ही नहीं है दुर्ग संभाग, बिलासपुर संभाग में भी ऐसे हालात दिख रहे हैं। युवा भी कोरोना से सुरक्षित नहीं रह गए हैं। कोरोना के दूसरे variant को काफी खतरनाक बताया गया है और वह छत्तीसगढ़ में अभी वैसे ही खतरनाक रूप दिखा रहा है। अत्यंत चिंताजनक गंभीर और दिल को झकझोर देने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस से युवाओं की भी अधिक मौत होने लगी है और यह मौत सिर्फ covid के कारण हो रही है, दूसरी अन्य कोई और बीमारी होने की वजह से नहीं। ऐसे मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में भी छत्तीसगढ़ सरकार कुछ दिन बाद से स्कूली बच्चों की परीक्षा लेने जा रही है।वैसे किसी भी महामारी के संक्रमण से बचाव में अपने स्वयं के उपाय अधिक महत्वपूर्ण और कारगर साबित होते हैं। ताजा हालात में भी हमें स्वयं भी अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए उपाय करने होंगे।
कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव की पहली लहर में युवाओं की मौत ना के बराबर हुई थी। ज्यादातर मौतें 60 साल से अधिक उम्र के लोगों की हुई थी। तब यह कहकर भी सांत्वना दे दी जा रही थी कि उनकी तो उम्र हो गई थी और वे चले गए। अब Corona के संक्रमण की चपेट में आकर घर का जवान बेटा- बेटी, बहु, पत्नी अकस्मात काल के गाल में समा जा रहे हैं। इन मौतों के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं ये युवा किसी दूसरी होने से संक्रमित नहीं थे सिर्फ कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आकर उन की जान चली गई। अकस्मात जान चली गई। अपने परिवार के युवा सदस्य की अकाल मौत से घर के सदस्यों के सदस्यों का रो रो कर बुरा हाल है। लोगों के पास उन्हें सांत्वना देने के लिए भी शब्द नहीं बच रहे हैं। जिस घर में इस तरह से अकाल मौतों की घटनाएं हो रही हैं, उनकी व्यथा को समझना आसान नहीं है। लेकिन इसे समझने की कोशिश करना होगा। इसकी गहराई को समझना होगा। कोरोना वायरस अभी कितना खतरनाक हो गया है इसकी वास्तविक स्थिति को नजरअंदाज करना अपने आप को धोखा देना है। आम जनता को धोखा देना है। लोगों के साथ खिलवाड़ करने के जैसा है। जिस घर में 28 साल के युवा की मौत हो जा रही है, 33 साल की बहु की सिर्फ कोरोना के संक्रमण से मौत हो जा रही है, जो किसी दूध पीते बच्चे की मां भी है उस घर के मातम को सहज ही दूर नहीं किया जा सकता। उनकी पीड़ा वेदना में मरहम लगाना बहुत कठिन काम है।
कोमोरबिडिटी से मौत मतलब जो दूसरी किसी और बीमारी जैसे लिवर प्रॉब्लम, कैंसर, ब्लड प्रेशर ,हाइपरटेंशन, शुगर जैसी बीमारियों से भी पीड़ित है और इन बीमारियों के साथ कोरोना से संक्रमित हो जाने के बाद मौत से रही है। मौत तो मौत होती है, किसी का समय चला जाना दुखद ही होता है लेकिन Comarbiditi में यह मानकर संतोष कर लिया जाता रहा है कि व्यक्ति पहले से ही दूसरे किसी बीमारी से पीड़ित था, बीमार था, शरीर कमजोर थी, कोरोना से और संक्रमित हो जाने के बाद मौत हो गई। लेकिन अब सिर्फ ऐसे हालात नहीं है। अब ऐसा नहीं है कि जो सिर्फ अशक्त हो गए हैं, कमजोर हैं, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है, सिर्फ ऐसे ही लोगों, 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के जाने ही नहीं जा रही है , जिन की शारीरिक क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर मान ली जाती है। अब युवाओं की मौत हो रही है। हर जगह बड़ी संख्या में युवाओं की जान जा रही है। ये युवा जो दूसरी किसी बीमारी से पीड़ित भी नहीं है, बीमार नहीं है, उनकी सिर्फ कोविड-19 से संक्रमित हो जाने की वजह से जान जा रही है। इस खतरनाक सच्चाई को अनदेखा नहीं किया जा सकता और किया भी नहीं जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में कल जो आंकड़े सामने आए हैं, लोगों की कोमोरबिडिटी के बजाय सिर्फ covid से संक्रमित होने की वजह से अधिक लोगों की जान गई है। आंकड़े के अनुसार 29 लोगों की जान सिर्फ covid से संक्रमित हो जाने की वजह से चली गई है जबकि comorbidity, याने की साथ में दूसरी बीमारी होने के वजह से उसकी तुलना में कम 24 लोगों की जान गई है। इनआंकड़ों की सच्चाई को स्वीकार करना होगा और यह समझना होगा कि कोरोना कितना खतरनाक होता जा रहा है। अभी यह कोई राजनीति करने का विषय भी नहीं रह गया है। लोगों की जान जा रही है उसे रोकने के लिए कदम उठाना होगा। यह कहा जा रहा है कि अभी सही कदम नहीं उठाए गए, अभी भी लापरवाही की गई तो उसके बहुत भयंकर दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो सकता है।
सिर्फ covid के संक्रमण से, मतलब जिन युवाओं को दूसरी कोई बीमारी नहीं थी राजधानी रायपुर में ही 8 लोगों की जान चली गई है। इसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के ही आंकड़ों के अनुसार रायपुर संभाग में न्यू शक्ति नगर रायपुर निवासी 30 वर्षीय महिला, 32 वर्षीय देवपुरी निवासी महिला, 34 वर्षीय गोल्डन टावर अमलीड़ निवासी युवक, एक 40 वर्षीय सद्दू निवासी पुरुष, 28 वर्षीय भनपुरी वीरगांव निवासी पुरुष, 34 वर्षीय आरडीए कॉलोनी रायपुर निवासी युवक, 27 वर्षीय कुरूद धमतरी निवासी युवक और 40 वर्षीय फिंगेश्वर गरियाबंद निवासी युवक की सिर्फ कोविड के संक्रमण से मौत हो गई है। इन युवाओं को दूसरी कोई बीमारियां नहीं थी। इन्हें अचानक कोरोना वायरस के संक्रमण ने अपनी चपेट में ले लिया और यह अकाल मौत के शिकार हो गए। यह स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े हैं। इन्हें झुठलाया नहीं जा सकता, बल्कि इसकी अनदेखी करने के बजाए इसकी वास्तविकता को समझना होगा। उदासीन बने रहने, लापरवाही करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है बल्कि लोगों की जिंदगी और खतरे में पड़ ती जाएगी।मृतकों में ये गांव के भी युवा हैं और शहरों के भी युवा हैं। बड़ी कॉलोनी में रहने वाले नौजवान भी हैं और झुग्गी बस्ती के मुंह में रहने वाले नौजवान भी। कोरोना के संक्रमण ने सब को तोड़ कर रख दिया है।
इसी तरह से दुर्ग संभाग में भी 5 1 वर्षीय उरला चरोदानिवासी युवक, बांस पारा दुर्ग निवासी 54 वर्षीय महिला, और ग्राम मुड़पार उसे निवासी 29 वर्षीय युवक की भी सिर्फ कोरोना के संक्रमण से मौत हो गई है। इन्हें कोई दूसरी बीमारियां नहीं चाहिए। ये सब कोरोना के शिकार हो गए। इस तरह से जो आंकड़े आ रहे हैं उससे दिख रहा है कि कोरोना अब युवाओं पर प्रहार कर रहा है। युवाओं की जान के लिए भी खतरा बन गया है। युवाओं को भी लापरवाही नहीं करनी होगी। इस सोच से बचना होगा कि उनकी इम्यूनिटी पावर अधिक है और कोरोना उन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। जिस तरह की खबर है कोरोना के संक्रमण की चपेट में आने के बाद दो-तीन दिनों में शरीर की स्थिति अत्यंत दयनीय हो जा रही है।
कोरोना से युवाओं की मौत होने लगी है। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वे युवा जो पूर्णता स्वस्थ हैं सिर्फ कोरोना की चपेट में आकर अपनी जान खो दे रहे हैं।इसके अर्थ को समझना पड़ेगा, यह अत्यंत गंभीर चिंता की बात है। इसमें हमारी जो स्वास्थ्य, स्वच्छता से संबंधित जो व्यवस्थाएं हैं वे भी ऐसी मौतों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।स्वच्छता के हमारे पूरे कार्यक्रमों में बड़ी लापरवाही होती है। भले ही कई तरह के पुरस्कार मिल जाए लेकिन पीलिया हैजा जैसे संक्रामक बीमारियों से मौत अभी भी आम बात है। वायरल फीवर अभी भी फैल रहा है।वायरल फीवर से पीड़ित अस्पताल जा रहे हैं और वहां कोरोना की चपेट में आ जा रहे हैं । इन मुद्दों को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया और जो अव्यवस्था हैं उसको प्राथमिकता पूरा ठीक करने की कोशिश नहीं की गई। हम को आज निर्णय लेना होगा कि हम देश का भविष्य, युवाओं की जान को कितना सुरक्षित कर पाते है। युवाओं की जान बचाने के लिए कितना कारगर कदम उठाते हैं। हो सकता है कि बहुत सारे आंकड़े सबके पास नहीं हो इसलिए हम इस स्तंभ के माध्यम से सच्चाई जनता तक लाने की कोशिश कर रहे हैं। युवा सुरक्षित नहीं रहेंगे तो किसी भी क्षेत्र, स्थान, प्रदेश, देश के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। महत्वपूर्ण बात है कि ऐसे समय में युवाओं को भी सावधान होना होगा। सच बताना होगा। उन्हें अति आत्मविश्वास से बचना होगा। उन्हें इस अति आत्मविश्वास में नहीं रहना होगा कि इम्यूनिटी power अधिक होने की वजह से कोरोना से उन्हें कुछ नुकसान नहीं होगा। Corona सभी वर्ग के लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है। इसकी दूसरी लहर बहुत खतरनाक साबित हो रही है। तो ऐसे में सभी के लिए सचेत रहना जरूरी हो गया है।फिलहाल तो जो आंकड़े हैं इस अप्रैल महीने में कोरोना से युवाओं की मौत बढ़ गई है। यह संतोष कर लेने के लिए जगह नहीं बच रही है कि दूसरी बीमारी के साथ कोरोना हो जाने से किसी की जान चली गई। अब सिर्फ कोरोना से संक्रमित हो जाने से युवाओं की जान चली आ रही है। उनकी जिंदगी की सुरक्षा करना कठिन दिखने लगा है। युवाओं की थोड़ी सी जल्दबाजी, लापरवाही, असावधानी उन्हीं के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।
ऐसे हालात में राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग को भी स्कूली बच्चों की परीक्षाएं ऑफलाइन आयोजित करना चाहिए अथवा नहीं इस पर एक बार और जरूर विचार कर लेना चाहिए। इसके लिए हम विनम्र अपील कर रहे हैं। यह तो सच है परीक्षाएं होती रहेंगी अभी तो जिंदगी को सुरक्षित करना जरूरी है। इस बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों को भी अपनी महत्वपूर्ण राय रखनी चाहिए, तथा वास्तविकता को बताना चाहिए। और कोई जिद की बात नहीं है बल्कि जिंदगी की बात है। जीवन के सामने संकट की बात है।
कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है। मौत की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन हमें जिंदगी को बचाना है। हमें डरना नहीं है। सावधान होने की जरूरत है। महामारी आती जाती रहती है हमें उससे लड़कर जीत हासिल करना है।व्यक्ति ही महामारी से जीतता रहा है और विजय पाता रहा है। कई महामारी आई और लोगों ने उस पर जीत हासिल की है। हमें उन लोगों से भी सीखना है जो कोरोना warriors हैं,अपनी जिंदगी दाव पर लगाकर दूसरों की सेवा करने, दूसरों की जान बचाने में जुटे हुए हैं। एक जिले के कलेक्टर इस कठिन परिस्थितियों में संकट के समय में, संक्रमण के फैलाव के बीच अपनी ड्यूटी करते हुए अस्पताल भी जा रहा है समस्याओं को भी देख रहा है और उन समस्याओं को दूर करने की भी कोशिश कर रहे है। उन चिकित्सकों जो कि हर पल संक्रमितो के बीच है और प्रत्येक मरीज की जान बचाने की कोशिशों में लगे हैं को भी देख कर हमें सीखना होगा कि कठिन परिश्रम किस तरह से काम करना चाहिए। कठिन परिस्थिति में हम जीत हासिल करते हैं तो वह जीत और भी सुखद साबित होगी। सरकार के द्वारा कोरोना के बचाओ के संदर्भ में जो guideline जारी की गई है, मास्क पहनने को कहा गया है, 2 गज की दूरी रखना तथा समय-समय पर हाथ धोने को कहा गया है हम इसका पालन करेंगे तो स्वयं भी सुरक्षित रह सकते हैं।
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