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कोरोना महामारी में अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों को निःशुल्क शिक्षा की योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के कलेक्टर ने दिए निर्देश, सरकार बनेगी सहारा

  - कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना के अंतर्गत ऐसे बच्चों को चिन्हांकित कर एडमिशन के निर्देश - घर की आजीवि...

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- कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना के अंतर्गत ऐसे बच्चों को चिन्हांकित कर एडमिशन के निर्देश

- घर की आजीविका चलाने वाले पिता या माता को खोने वाले बच्चों को भी मिलेगा योजना का लाभ

*- जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बनाया गया प्रकोष्ठ और हेल्प डेस्क, जानकारी हेतु संपर्क कर सकते हैं नोडल अधिकारी श्री संजय वर्मा से

दुर्ग । असल बात न्यूज़।

 दुर्ग जिले में कोरोना महामारी में अपने माता-पिता को खो चुके बेसहारा बच्चों का सरकार सहारा बनने जा रही है।  जिले में इस योजना पर तेज गति से काम शुरू किया जा रहा है। इस कड़ी मेे ऐसे बच्चों को छत्तीसगढ़ महतारी दुलारी योजना के तहत निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।इस योजना के क्रियान्वयन तथा इसका  बेसहारा बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए  कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की आज बैठक ली। कलेक्टर ने कहा कि कोरोना आपदा में अपने माता-पिता या आजीविका अर्जित करने वाले माता अथवा पिता को खोने वाले बच्चों की निशुल्क शिक्षा की जिम्मेदारी का वहन शासन द्वारा किया जाएगा।

उन्होंने बताया है कि इसके लिए ऐसे बच्चों को चिन्हांकित करना तथा इन्हें महतारी दुलार योजना का लाभ दिलाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए कार्य करें, ऐसे बच्चों की जानकारी प्राप्त होने पर तथा आवेदन प्राप्त होने पर पात्रता के अनुसार उन्हें एडमिशन दिलाएं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा है कि ऐसे बच्चों को गुणवत्ता पूर्वक अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके इसके लिए कोशिश होगी कि उन्हें अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दी जाए तथा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में भी इनके एडमिशन को प्राथमिकता दी जाए। कलेक्टर ने इस संबंध में आज एक समीक्षा बैठक की। इसमें उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जहां कहीं से भी ऐसे बच्चों की सूचना आती है उस पर कार्रवाई करें। इनके आवेदन पर तत्काल कार्रवाई करें, इसके लिए समिति भी बनाई गई है जो पात्रता के अनुसार ऐसे बच्चों के एडमिशन के संबंध में निर्णय लेगी। अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों के शिक्षा का संपूर्ण वहन शासन द्वारा किया जाएगा। कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। यह छात्रवृत्ति 500 रुपये होगी। इसके साथ ही नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों को भी छात्रवृत्ति दी जाएगी यह छात्रवृत्ति 1000 रुपये होगी। कलेक्टर ने आज बैठक में कहा कि आपदा में अपने माता पिता को खो चुके बच्चों की देखभाल करना उन्हें उचित शिक्षा देना हम सबकी बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए व्यापक रूप से चिन्हांकन कार्य करें ताकि ऐसे सभी बच्चों को इस शासन की महत्वपूर्ण योजना का लाभ मिल पाए।

*जिला शिक्षा कार्यालय में बनाया गया हेल्प डेस्क*- जिला शिक्षा अधिकारी श्री प्रवास सिंह बघेल ने बताया कि योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला शिक्षा कार्यालय में प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। यहां पर हेल्प डेस्क भी बनाया गया है इसके नोडल अधिकारी श्री संजय वर्मा एमआईएस प्रशासक होंगे इनका मोबाइल नंबर 93401-93460 है। इनसे योजना के संबंध में तथा ऐसे बच्चों को एडमिशन दिलाने के संबंध में संपर्क किया जा सकता है।