वाणिज्यिक कर मंत्री श्री सिंहदेव जीएसटी परिषद की बैठक में हुए शामिल राज्यों को जीएसटी पर एक प्रतिशत सेस लगाने की अनुमति देने की मांग रखी र...
वाणिज्यिक कर मंत्री श्री सिंहदेव जीएसटी परिषद की बैठक में हुए शामिल
राज्यों को जीएसटी पर एक प्रतिशत सेस लगाने की अनुमति देने की मांग रखी
रायपुर. । असल बात न्यूज़।
वाणिज्यिककर मंत्री टी.एस. सिंहदेव आज केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन की अध्यक्षता में आयोजित जीएसटी परिषद की ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए। परिषद की यह 43वीं बैठक थी। बैठक में श्री सिंहदेव ने कोरोना नियंत्रण और इसके इलाज में उपयोग होने वाले दवाईयों, मेडिकल समानों और उपकरणों पर शून्य प्रतिशत जीएसटी लगाने का सुझाव दिया। उन्होंने राज्यों को अपना राजस्व बढ़ाने जीएसटी पर एक प्रतिशत सेस लगाने की अनुमति प्रदान करने की मांग रखी। उन्होंने व्यवसाईयों के लिए तिमाही रिटर्न और मासिक भुगतान व्यवस्था को ही आगे भी जारी रखने कहा। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित बैठक में वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव श्री गौरव द्विवेदी और आयुक्त श्रीमती रानू साहू भी मौजूद थीं। वहीं नई दिल्ली में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री अनुराग सिंहदेव और राजस्व मंत्रालय के सचिव श्री तरूण बजाज भी शामिल हुए।
वाणिज्यिक कर मंत्री श्री सिंहदेव ने परिषद की बैठक में जीएसटी परिषद की अध्यक्ष श्रीमती निर्मला सीतारमन से कहा कि यह महामारी का कठिन समय है। राज्य सरकारों और नागरिकों को राहत देने के लिए कोविड-19 के नियंत्रण और इसके इलाज में उपयोग होने वाले दवाईयों, मेडिकल समानों और उपकरणों पर शून्य प्रतिशत जीएसटी लगाया जाना चाहिए। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इसे सीमित समय के लिए लागू करने पर केंद्र सरकार को विचार करना चाहिए। उन्होंने जीएसटी के नियमों का उल्लेख करते हुए कहा कि जीएसटी कानून में ही उत्पादों पर शून्य प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने के प्रावधान हैं।
श्री सिंहदेव ने बैठक में राज्यों को अपना राजस्व बढ़ाने के लिए जीएसटी पर एक प्रतिशत सेस लगाने की अनुमति प्रदान करने की मांग रखी। उन्होंने सुझाव दिया कि इसकी अधिकतम सीमा पांच प्रतिशत तक रखी जा सकती है। श्री सिंहदेव ने व्यवसाईयों के लिए तिमाही रिटर्न और तिमाही भुगतान व्यवस्था के प्रस्ताव पर असहमति जताते हुए कहा कि वर्तमान व्यवस्था को ही जारी रखना चाहिए। अभी जारी व्यवस्था के अनुसार पूर्ववत तिमाही रिटर्न और मासिक भुगतान का प्रावधान है।