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अपने भविष्य को बेहतर बनाएं , पर दो दिवसीय कार्यशाला

  भिलाई। असल बात न्यूज। स्वरूपानंद महाविद्यालय में गणित विभाग एवं आइक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वाधान में एलुमनी द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला ...

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 भिलाई। असल बात न्यूज।


स्वरूपानंद महाविद्यालय में गणित विभाग एवं आइक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वाधान में एलुमनी द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला "अपने भविष्य को बेहतर बनाएं का "आयोजन किया गया।

     स्वरूपानंद महाविद्यालय में गणित विभाग एवं  आइक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वाधान में एलुमनी द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला "अपने भविष्य को बेहतर बनाएं का "आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संयोजन विभागाध्यक्ष गणित श्रीमती मीना मिश्रा एवं विभागाध्यक्ष रसायन डॉ रजनी मुदलियार के द्वारा किया गया। संयोजक श्रीमती मीना मिश्रा ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन बीएससी एवं एमएससी के विद्यार्थियों के लिए किया गया है इस कार्यक्रम में अतिथि व्याख्याता के रूप में एलुमनी विद्यार्थियों को आमंत्रित किया गया है एलुमनी विद्यार्थियों को अतिथि व्याख्याता के रूप में आमंत्रित करने का उद्देश्य है कि वर्तमान में जो विद्यार्थी अध्ययनरत हैं वह एलुमनी विद्यार्थियों के अनुभव का लाभ उठा सके एवं आगे उन्हें भविष्य में किस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना है यह सुनिश्चित कर सके। डॉ रजनी मुदलियार ने कहा कि एलुमनी विद्यार्थियों को अतिथि व्याख्याता के रूप में बुलाने का मुख्य उद्देश्य है कि वर्तमान में जो विद्यार्थी अध्ययनरत हैं वे अपने एलुमनी को देखकर उत्साहित हो सके एवं भविष्य के लिए मार्गदर्शन ले सकें।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि यूजी एवं पीजी के विद्यार्थियों के लिए एलुमनी विद्यार्थियों को अतिथि व्याख्याता के रूप में आमंत्रित किया गया है विद्यार्थी जब विद्यार्थी को समझाते  हैं तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है जब विद्यार्थी अपने एलुमनी से जुड़ते हैं तो बहुत सी बातों को फ्री होकर पूछ सकते हैं एलुमनी जिस जगह पर अभी है उनमें जरूर कोई क्वालिटी रही होगी तभी वह वहां तक पहुंचे। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई सिर्फ मेरिट में आने के लिए ना करें अपने लक्ष्य तक पहुंचने के उद्देश्य से पढ़े तब आप जो बनना चाहते हैं वह भविष्य में हासिल करेंगे।

महाविद्यालय के सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने गणित विभाग को इस दो दिवसीय कार्यशाला के आयोजन पर बधाई देते हुए कहा कि कोरोना वायरस के कठिन समय में विद्यार्थियों के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन बहुत ही लाभकारी है इससे विद्यार्थियों में प्रोत्साहन बढ़ेगा एवं नई ऊर्जा का संचार होगा।

  कार्यक्रम के प्रथम दिन एलुमनी श्रुति शुक्ला ने अपने विचार प्रस्तुत किए श्रुति शुक्ला ने 2016 में एमएससी गणित उत्तीर्ण किया रविशंकर विश्वविद्यालय की गणित विषय की प्राविण्य सूची में इनका नवा स्थान था वर्तमान में श्रुति शुक्ला शासकीय महाविद्यालय भाटापारा में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं एवं हेमचंद विश्वविद्यालय से गणित विषय में अपना पीएचडी कर रही हैं। श्रुति शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि जो विद्यार्थी नेट एवं सेट परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उनको अपना बेसिक बहुत ही मजबूत करना होगा नेट, सेट एक्जाम एवं एमएससी में जो हम पढ़ते हैं दोनों में बहुत अंतर है हमें यह सीखना होगा कि हम जो थ्योरम पढ़ रहे हैं उसका हम उपयोग कैसे करें और उसको हम कैसे अप्लाई करें। श्रुति शुक्ला ने आगे बताते हुए कहा कि नेट सेट परीक्षा की तैयारी बहुत सारे परीक्षा में मदद करता है। उन्होंने कहा कि एमएससी पढ़ते समय हम जो प्रेजेंटेशन एवं सेमिनार देते हैं उस पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि हम यहीं पर अपने बेसिक को इस प्रेजेंटेशन एवं सेमिनार के द्वारा मजबूत बना सकते हैं और प्रेजेंटेशन जब हम सीखते हैं तो हमें भविष्य में पीएचडी करते समय यही प्रेजेंटेशन और सेमिनार काम आता है। श्रुति ने कहा कि प्रेजेंटेशन तैयार करने के लिए हमें हमारे शिक्षक सहयोग करते थे विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि आप अपने शिक्षकों का सहयोग लेकर आप प्रेजेंटेशन तैयार करना वह सेमिनार प्रस्तुत करना सीख सकते हैं क्योंकि यहीं पर सीखी गई चीजें हमें भविष्य में काम आती हैं।

कार्यक्रम के दिव्तीय दिन एलुमनी सोनाली लोया ने अपने विचार प्रस्तुत किए सोनाली लोया ने स्वरूपानंद महाविद्यालय से 2015 में बीएससी उत्तीर्ण किया पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की बीएससी की प्रवीणय सूची में सोनाली लोया का छठवां स्थान था सोनाली लोया ने नेट सेट एवं गेट परीक्षा उत्तीर्ण की है एवं सीजीपीएससी सहायक अध्यापक 2020-21 की परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। सोनाली ने बीएससी, सीएसआईआर नेट ,गेट एवं सहायक प्राध्यापक परीक्षा की तैयारी कैसे करना चाहिए के विषय में विस्तार से जानकारी दी। सोनाली ने कहा कि किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए सर्वप्रथम हमें उसका सिलेबस देखना चाहिए और उसके अनुसार ही अपनी स्ट्रेटजी बनाकर परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए आगे उन्होंने कहा कि जो भी हम पढ़ते हैं उसका हमें समय-समय पर रिवीजन करना चाहिए हमें मंथली या वीकली रिवीजन करते रहना चाहिए जिससे हम पढ़े हुए विषय को परीक्षा के समय पर भूलें नहीं । गणित  के विद्यार्थियों के लिए उन्होंने कहा कि प्रैक्टिस सबसे ज्यादा जरूरी है जो भी सवाल है उसका हमेशा प्रैक्टिस करते रहना चाहिए आगे सोनाली ने कहा कि हमें अपनी तैयारी ऐसे करना चाहिए कि हमारा परसेंटेज भी अच्छा आए और हमें नॉलेज भी मिले हमें हमेशा नोट्स बना कर पढ़ना चाहिए नोट्स बनाकर पढ़ने से हमें चीजें याद रहती हैं और हमारा नॉलेज बढ़ता है। सोनाली ने नेट एवं सेट परीक्षा के बारे में विद्यार्थियों को बताया  कि सीएसआईआर नेट की परीक्षा साल में दो बार जून एवं दिसंबर में होती है इसमें दो ऑप्शन होते हैं लेक्चरर  एवं जेआरएफ उन्होंने बताया कि कॉलेज में पढ़ाने के लिए नेट एग्जाम क्वालीफाई करना जरूरी है सोनाली ने बताया जेआरएफ निकालने पर पीएचडी के लिए स्कॉलरशिप मिलता है इसके साथ ही आपको जेआरएफ की सहायता से प्रोजेक्ट लेकर उस पर भी काम कर सकते हैं। सोनाली ने कहा कि हमें अपने शिक्षकों की बात हमेशा सुननी चाहिए वह हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते है लेकिन उनका अनुकरण कोई-कोई विद्यार्थी ही करते हैं। सोनाली ने गेट परीक्षा के विषय में बताते हुए कहा कि इस परीक्षा की तैयारी भी सीएसआईआर नेट के जैसी ही करनी चाहिए इस परीक्षा को एमएससी के विद्यार्थी दे सकते हैं गेट परीक्षा की सहायता से विद्यार्थी पीएचडी कर सकते हैं इसके आधार पर स्कॉलरशिप मिलता है गेट स्कोर के आधार पर विद्यार्थियों को ओएनजीसी, बार्क आदि में नौकरी भी मिलती है।। सोनाली ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि सर्वप्रथम हमें अपना गोल निर्धारित करना चाहिए उसके बाद इस गोल के लिए मेहनत करनी चाहिए खुद को प्रोत्साहित करें  और कभी ना हार मानने वाला रवैया रखें तभी हम किसी परीक्षा को उत्तीर्ण कर सकते हैं और हमें जिसमें आनंद आता है हमें उसी काम को करना चाहिए।

दो दिवसीय इस कार्यशाला में बीएससी एवं एमएससी गणित के विद्यार्थियों ने भाग लिया। विद्यार्थियों ने अपने एलुमनी से बहुत सारे प्रश्न पूछे और भविष्य में उन्हें क्या करना है इसका मार्गदर्शन अपने एलुमनी  से लिया। कार्यक्रम का सफल संयोजन सहायक प्राध्यापक गणित श्रीमती निशा पाठक ने किया एवं टेक्निकल सहयोग सहायक प्राध्यापक टी बबीता का रहा।