भिलाई। असल बात न्यूज़। सेंट थॉमस महाविद्यालय के माइक्रोबायोलोजी एवं बायोटेक्नोलोजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “मशरूम कृषि – क्षेत्र एव...
भिलाई। असल बात न्यूज़।
सेंट थॉमस महाविद्यालय के माइक्रोबायोलोजी एवं बायोटेक्नोलोजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “मशरूम कृषि – क्षेत्र एवं अवसर” विषय पर 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कार्यक्रम का समापन हुआ| कार्यक्रम का आरंभ बायोटेक्नोलोजी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ शुभा दीवान द्वारा प्रस्तावना प्रस्तुत करने के साथ हुआ| महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ एम. जी. रोईमोन ने कार्यक्रम के आयोजकों को सफल क्रियान्वयन के लिए शुभकामनायें दी|
समापन समारोह के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति आदरणीय प्रोफेसर डॉ अखिलेश पांडे थे| प्रोफेसर पांडे ने इस प्रकार के सुचानादायक कार्यक्रम के लिए आयोजकों की सराहना की| उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम प्रतिभागियों में उद्यमिता का विकास करने में सहायक होगा जिससे कि वे मशरूम कृषि के क्षेत्र में कार्य करके अपनी आय को बढ़ा सकें| उन्होंने कहा कि मशरूम का उत्पादन ग्राहकों की मांग के अनुसार एक विशेष स्तर पर किया जाना चाहिये| उन्होंने मशरूम के औषधियों गुणों को उजागर करते हुए बताया कि यह विदामिन डी प्रदान करके हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है| साथ ही उन्होंने ने यह भी बताया कि बहुत सी शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थाएं मशरूम के औषधियों गुणों एवं पोषक’ तत्वों की खोज करके उनके बारे में जनजागरूकता फ़ैलाने का कार्य कर रही हैं| कृषि विज्ञान केंद्र राजनांदगांव के श्री जीतेन्द्र मेश्राम ने कार्यक्रम के अंत में अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया| उन्होंने अपने प्रस्तुतिकरण में सीप मशरूम के सभी पहलुओं का वर्णन किया एवं उसके उत्पादन एवं प्रकारों के साथ उसके औषधियों गुणों की व्याख्या की| उन्होंने मशरूम की खेती के दौरान बरतने वाली सावधानियों की भी विस्तृत चर्चा की|
माइक्रोबायोलोजी एवं बायोटेक्नोलोजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ वी. शांति ने कार्यक्रम के समापन में 15 दिवसीय कार्यक्रम की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की| उन्होंने बताया कि सेंट थॉमस महाविद्यालय के माइक्रोबायोलोजी एवं बायोटेक्नोलोजी विभाग के द्वारा आयोजित यह पहला सर्टिफिकेट कार्यक्रम है| उन्होंने कार्यक्रम के सभी वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया| बायोटेक्नोलोजी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ उज्ज्वला सुपे ने 15 दिनो तक कार्यक्रम का संचालन किया एवं अंत में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए सभी वक्ताओं एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया| इस सर्टिफिकेट कार्यक्रम में कुल 102 प्रतिभागियों ने अपना पंजीयन कराया|