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स्वरुपानंद महाविद्यालय में 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन

  भिलाई। असल बात न्यूज। स्वामी श्री स्वरूपांनद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको भिलाई में शिक्षा विभाग द्वारा ”नेविगेटिंग मेंटल हेल्थ इन टाइम आॅफ ...

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भिलाई। असल बात न्यूज।

स्वामी श्री स्वरूपांनद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको भिलाई में शिक्षा विभाग द्वारा ”नेविगेटिंग मेंटल हेल्थ इन टाइम आॅफ पेंडिमिक“ विषय पर आयोजित पंद्रह दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स का समापन समारोह डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव, डीन, स्टुडेंट वेलफेयर, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की संयोजिका डाॅ. रचना पाण्डेय ने पंद्रह दिवसीय कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए उसकी उपादेयता पर प्रकाश डाला व बताया कि आज के पेंडमिक के दौर में जब पूरा विश्व मानसिक तनाव से गुजर रहा है चाहे वो स्वास्थ्य से संबंधित हो या नौकरी से संबंधित हो। इस दौर में बहुत से लोगों ने अपनों को खोया है, उनके मन में इस कोरोना बीमारी का डर बैठ गया है लेकिन हमको इस डर को भगाना है और अपने मानसिक तनाव से भी निजाद पाना है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों के लिए यह कोर्स कराया गया जिससे वो अपने आने वाले समय में अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रख सकें

डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने कहा कि पेंडमिक में सभी व्यक्ति मानसिक तनाव से गुजर रहे है और इस तनाव के कारण वो शारीरिक रुप से भी कमजोर हो रहे है, इस दौर में हम सभी की जिम्मेदारी है कि इससे बाहर निकले एवं अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखे। बहुत सारी चीजे इस समय हमारे लिए धनात्मक भी रही है जैसे आॅनलाईन कक्षाओं के आयोजन से हमें गूगल मीट से कैसे क्लास ली जाए और विद्यार्थियों को कितने अच्छे तरीको से पढ़ाया जाए यह सब सीखने को मिला। आज से पहले इन सभी चीजों के बारे में सुना जरुर गया था लेकिन इससेे परिचित नहीं थे। वर्तमान समय में लोगों का मनोवैज्ञानिक व्यवहार परिवर्तित हो गया है लोग छोटी-छोटी बातों से चिडचीडे हो जा रहे है और मानसिक तनाव में आ जाते है। यह समय सिक्के के दो पहलू जैसा है एक तरफ धनात्मक जहां हम नई टेक्नोलाॅजी से परिचित हो रहे है और दूसरा ऋणात्मक जहां हम मानसिक तनाव से गुजर रहे है। अतः हमें स्वयं मानसिक तनाव से मुक्त होना पडेगा।

महाविद्यालय के सीओओ डाॅ. दीपक शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह सर्टिफिकेट कोर्स इस उद्देश्य से कराया गया कि छात्रों को मानसिक तनाव क्या होता है और इससे कैसे बाहर निकला जा सके इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त कर सकंे।

कार्यक्रम आयोजन के लिए बधाई देते हुए प्राचार्य डाॅ. हंसा शुक्ला ने कहा कि आज के कोविड-19 पेंडमिक समय में यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जब तक हम स्वयं मानसिक रुप से स्वस्थ्य नहीं रहेंगे तब तक हम अपने परिवार के लोगों को कैसेे इस तानव से मुक्त कर सकेंगे। मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक तनाव, मानसिक कमजोरी सभी चीजों की जानकारी हमें होनी चाहिए क्योंकि इस सभी से निजाद पाने का तरीका भी अलग है जो इस कोर्स में बताया गया। जिससे हमारे विद्यार्थी लाभान्वित हुये।

उप-प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष डाॅ. अजरा हुसैन ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह विषय वर्तमान समय के लिए सबसे उपयुक्त है जब हमें स्वयं इस मानसिक तनाव से बाहर निकलता है और आने वाले समय में अपने आप को मजबूत बनाना है।

विशय-विशेषज्ञ डाॅ. शमा हमदानी ने मानसिक तनाव के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए प्रथम चरण में मानसिक स्वास्थ्य बनाम मानसिक कमजोरी के बारे में बताया कि दोनों में भिन्नता है और मानसिक तनाव, मानसिक अस्वस्थ्ता से भी होता है और जब हम मानसिक रुप से कमजोर होते है तो किसी भी बात को गंभीरता से ले लेते है। लेकिन हमें अपनी इस कमजोरी को खतम करना है। उन्होंने महाविद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य और तनाव को कैसे प्रबंधित किया जाए इसकी जानकारी दी।

द्वितीय चरण में डाॅ. शमा हमदानी ने कोविड ब्लूस के बारे में बताया कि व्यक्ति जब इस कोविड-19 में इस बिमारी से अपने अंदर भय पैदा कर लिया है तब हमें कोरोना वायरस से संबंधित तनाव और इस चिंता से निपटने का तरीका ढूंढना है। जैसे हमें अपने शरीर के प्रति केन्द्रित होना है, अपने विचार को धनात्मक रखना है स्वयं जागरुक रहने का प्रयास करना है एवं अपने ताकत को याद रखना है।

तृतीय चरण में मोबाईल एडिक्सन के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि इस पेंडमिक के दौर में जब हम लोगों से मिलना जुलना बंद कर दिए थे तब हमें मोबाईल की लत हो गई हमेशा मोबाईल देखने की आदत हो गई थी इसे हम नेमोकोबिया कहते है। इससे 73 प्रतिशत व्यक्ति ऐसे थे जो मोबाइल नहीं दिखने पर चिडचिडे हो जाते है 14 प्रतिशत डिप्रेस हो जाते है 7 प्रतिशत बीमार हो जाते है और 6 प्रतिशत अकेलापन महसूस करते है ऐसे बहुत से तरीके है जिससे हम मोबाईल फोन को मैनेज कर सकते है। जैसे अपने आप को समय देना, बहुत समय तक एक ही स्थान पर ना बैठना, मोबाईल को नोटिफिकेशन के अनुसार उपयोग करना इत्यादि।

चतुर्थ चरण में मानसिक स्वास्थ्य की प्रगति के बारे में जानकारी देते हुए डाॅ. शमा हमदानी ने बताया कि हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग रहना है। कभी भी आपको अगर सामान्य से थोडा भी अजीब लगता है तो आप तुरंत डाॅ. के पास जाइये। इसके लिए भी बहुत सारे टेस्ट होते है। मेडिकल टेस्ट, साईकोलाॅजीकल टेस्ट, फिसिकल टेस्ट और मेंटल हेल्थ टेस्ट ये सारे टेस्ट मनोवैज्ञानिक करते है। अगर आपको लगातार सिरदर्द हो रहा है तो आपको न्यूरो वाले डाॅक्टर के पास जाना चाहिए। अगर व्यक्ति में मानसिक अस्वस्थता के बहुत सारे लक्षण दिखते है तो उसे मेंटल हास्पिटल में भर्ती करते है। पेनिक लक्षण होने पर दवाइयाॅं दी जाती है।

बहुत सारे ऐसे लक्षण दिखाई देते है जैसे खाना खाने की विकृति, हिप्नोटिक्स विकृति, हिलुसिनेशन, बाय पोलर डिसआर्डर जिसमें व्यक्ति या तो बहुत ज्यादा खुश हो जाता है या बहुत दुखी इन सभी कमियों को दूर करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें एक दूसरे से बात करना चाहिए, अपनी समस्या को बताना चाहिए, लोगों के साथ मिलना चाहिए, परिवार के लोगों के साथ मिलकर बातचीत करना चाहिए इससे हमारा मानसिक तनाव बहुत हद तक कम हो जाता है। 

समापन समारोह में विद्यार्थियों ने अपने अनुभव को साझा करते हुए एम.एड. द्वितीय सेमेस्टर के श्याम कुमार, डेनिस, नीतू कुमारी, फिरोजा, किरण चतुर्वेदी, प्रभाती प्रधान एवं बी.एड. चतुर्थ सेमेस्टर के ओमीन साहू ने कहा कि यह समस्या वर्तमान की समस्या है यह प्रत्येक आयु के व्यक्तियों में होती है हमें कैसे अपना ध्यान रखना है अपने जीवन को कैसे सुखमय बनाना इसकी जानकारी हमें इस कोर्स से प्राप्त हुई और आने वाले समय में हम स्वयं एवं अपने आस पास के लोगों को भी जागरुक करे की वो भी मानसिक तनाव से कैसे निजाद पा सकते है। इस समापन समारोह में शिक्षा विभाग के सभी प्राध्यापकगण उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन संयोजिका डाॅ. रचना पाण्डेय ने किया।