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अल्प वर्षा वाले इलाकों में धान की फसल को बचाने छोड़ा जाएगा बांध से पानी

  लिफ्ट एरिगेशन प्रोजेक्ट को तेजी से अमल में लाएं: मंत्री श्री रविन्द्र चौबे सिंचाई परियोजनाओं से अब तक खरीफ की सिंचाई के लिए लगभग 10 लाख हे...

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 लिफ्ट एरिगेशन प्रोजेक्ट को तेजी से अमल में लाएं: मंत्री श्री रविन्द्र चौबे

सिंचाई परियोजनाओं से अब तक खरीफ की सिंचाई के लिए लगभग 10 लाख हेक्टेयर में जलापूर्ति*  

दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा और बीजापुर में सिंचाई के लिए नवीन मद में शामिल लिफ्ट एरिगेशन सहित कुल 70 प्रोजेक्ट


  रायपुर । असल बात न्यूज।

राज्य के सभी इलाकों में इस साल मानसून की बारिश एकसमान नहीं हुई है। विभिन्न क्षेत्रों में  कम बारिश हुई है। इसे देखते हुए अल्प वर्षा वाले क्षेत्रों में खेतों की सिंचाई के लिए धान की फसल को बचाने बांध से पानी छोड़ा जाएगा। राज्य के जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने  विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर आज इस संबंध में निर्देश दिए हैं। वही खरीफ सीजन के लिए जरूरत के अनुसार विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं एवं जलाशयों के जरिए राज्य में लगभग 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई के लिए जलापूर्ति की जा चुकी है। 

 जल संसाधन मंत्री श्री  चौबे ने आज शिवनाथ भवन नया रायपुर में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए जलापूर्ति एवं सिंचाई परियोजना के निर्माण की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की। मंत्री श्री चौबे ने राज्य के कुछ इलाकों में अल्प वर्षा की स्थिति को देखते हुए विभागीय अधिकारियों को सिंचाई के लिए बांधों एवं जलाशयों से यथासंभव जलापूर्ति जारी रखने के निर्देश दिए। उन्होंने गंगरेल बांध में जल भराव की स्थिति के बारे में भी अधिकारियों से जानकारी ली। चालू खरीफ सीजन में अब तक विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं एवं जलाशयों के जरिए राज्य में लगभग 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई के लिए जलापूर्ति की जा चुकी है। बैठक में अपर मुख्य सचिव जल संसाधन श्री सुब्रत साहू, सचिव श्री अविनाश चंपावत, मुख्य अभियंता श्री इंद्रजीत उइके सहित मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंतागण उपस्थित थे।  

मंत्री श्री चौबे ने अधिकारियों को बजट में शामिल सिंचाई परियोजनाओं विशेषकर लिफ्ट एरिगेशन एवं इंटर लिंकिंग प्रोजेक्ट के कामों को तेजी से अमल में लाए जाने के निर्देश दिए। बैठक में बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा एवं बीजापुर जिले में मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप सिंचाई के उपयुक्त साईट पर माईनर प्रोजेक्ट के निर्माण के प्रस्ताव को लेकर भी उन्होंने अधिकारियों से जानकारी ली और इसकी प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त कर तेजी से काम शुरू कराने के निर्देश दिए। मंत्री श्री चौबे ने कहा कि सिंचाई परियोजनाओं एवं जलाशयों को आपस में अथवा नदियों से इंटरलिंक कर सिंचाई के रकबे में वृद्धि की जा सकती है, इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को सर्वे कर प्रस्ताव तैयार करने के भी निर्देश दिए। 

मंत्री श्री चौबे ने बजट के नवीन मद में शामिल लिफ्ट एरिगेशन के काम पर तेजी से अमल सुनिश्चित करने हेतु अधिकारियों की एक विशेष टीम गठित करने और भ्रमण-अध्ययन कर प्रोजेक्ट तैयार कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महानदी में बने बैराजों से पानी लिफ्ट कर किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020-21 के नवीन मद में 14 तथा वर्ष 2021-22 के नवीन मद में 29 लिफ्ट एरिगेशन प्रोजेक्ट शामिल हैं। अपर मुख्य सचिव जल संसाधन श्री सुब्रत साहू ने लिफ्ट एरिगेशन प्रोजेक्ट के शेष प्रस्ताव को शीघ्र जमा कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने राज्य के प्रत्येक कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन संभाग के अंतर्गत कम से कम लिफ्ट एरिगेशन के निर्माण का एक प्रस्ताव 15 दिवस के भीतर तैयार कर भिजवाने को कहा।

बैठक में जानकारी दी गई कि गंगरेल बांध से बीते 16 अगस्त से कमाण्ड एरिया के किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिया जा रहा है। गंगरेल बांध से 5000 से 7500 क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए छोड़ा जा रहा है। गंगरेल में वर्तमान में 39 प्रतिशत जल भराव है। गंगरेल के कैचमेंट एरिया में हाल ही में दो दिन बारिश होने की वजह से पानी की आवक हुई है। इसके अलावा दुधावा से भी पानी गंगरेल में लाया जा रहा है। अब तक गंगरेल के कमाण्ड एरिया के लगभग डेढ लाख हेक्टेयर में सिंचाई के लिए पानी दिया जा चुका है। इस परियोजना के वितरक नहरों के माध्यम से लगभग 50 प्रतिशत हिस्से में पानी पहुंचाया जा चुका है। कोडार परियोजना से भी सिंचाई के लिए अब तक 16 हजार हेक्टेयर में पानी दिया जा चुका है। जोंक परियोजना के माध्यम से खरीफ फसलों के एक चक्र की सिंचाई के लिए जलापूर्ति की जा चुकी है। बैठक में जानकारी दी गई कि हसदेव कछार एवं मिनीमाता बांगो परियोजना के माध्यम से सिंचाई के लिए किसानों को आवश्यकता अनुसार जारी है। हसदेव-गंगा कछार परियोजना से अंबिकापुर क्षेत्र में 66 हजार हेक्टेयर में जलापूर्ति की गई है।