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स्कूलों में पीएम पोषण की केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय योजना अगले 5 साल भी जारी रहेगी, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

  केंद्र सरकार से 54,061.73 करोड़ रुपये और राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से 31,733.17 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय 11.20 लाख स्कू...

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केंद्र सरकार से 54,061.73 करोड़ रुपये और राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से 31,733.17 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय

11.20 लाख स्कूलों में पढ़ रहे 11.80 करोड़ बच्चे होंगे लाभान्वित 

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़।
असल बात न्यूज़।।
देशभर में स्कूलों में पीएम पोषण की केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय योजना अगले 5 वर्षों तक जारी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इसकी मंजूरी दे दी है। यह योजना वर्ष 2020- 21 से वर्ष 2025-  20 तक लगातार जारी रहेगी। इस योजना का कुल बजट अब लगभग एक लाख 30 हजार, करोड रुपए हो गया है। इसमें से केंद्र सरकार 54 हजार करोड़ से अधिक की राशि का व्यय वहन करेगी। दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के सांसद विजय बघेल और राज्य की पूर्व महिला बाल विकास मंत्री लता उसेंडी ने बच्चों के हित में सरकार के द्वारा इस योजना को आगे बढ़ाये जाने का स्वागत किया है। सांसद श्री बघेल ने इसपर कहा है कि बच्चों को पौष्टिक आहार अत्यंत जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बच्चों की जरूरतों को समझा है। वही आदिवासी नेत्री लता उसेंडी ने कहा है कि राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जा रही ऐसी योजनाओं का बच्चों को फायदा दिलाने अधिक ध्यान देने की जरूरत है। केंद्र सरकार की इस योजना से बच्चों के स्कूल जाने के प्रतिशत में काफी बढ़ोतरी हुई है।

 इस योजना के तहत वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को  गर्म पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जाता है।  यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसमें सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के कक्षा I-VIII में पढ़ने वाले सभी स्कूली बच्चों को शामिल किया गया है। इस योजना का पुराना नाम 'विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लिए राष्ट्रीय योजना' था जिसे मध्याह्न भोजन योजना के नाम से जाना जाता था।


इस योजना में देश भर के 11.20 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 11.80 करोड़ बच्चे शामिल हैं। 2020-21 के दौरान, भारत सरकार ने इस योजना में ₹ 24,400 करोड़ से अधिक का निवेश किया, जिसमें खाद्यान्न पर लगभग ₹ 11,500 करोड़ की लागत शामिल है।

योजना की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार करने वाले निर्णय की मुख्य विशेषताएं नीचे दी गई हैं:

i.) इस योजना को प्राथमिक कक्षाओं के सभी 11.80 करोड़ बच्चों के अलावा सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों के पूर्व-प्राथमिक या बाल वाटिका में पढ़ने वाले छात्रों तक विस्तारित करने का प्रस्ताव है।

ii.) तिथिभोजन की अवधारणा को व्यापक रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा। तिथि भोजन एक सामुदायिक भागीदारी कार्यक्रम है जिसमें लोग विशेष अवसरों/त्योहारों पर बच्चों को विशेष भोजन प्रदान करते हैं।

iii.) बच्चों को प्रकृति और बागवानी के साथ प्रत्यक्ष अनुभव देने के लिए सरकार स्कूलों में स्कूल पोषण उद्यान के विकास को बढ़ावा दे रही है। इन बगीचों की फसल का उपयोग अतिरिक्त सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने वाली योजना में किया जाता है। 3 लाख से अधिक स्कूलों में स्कूल पोषण उद्यान पहले ही विकसित किए जा चुके हैं।

iv.) योजना का सोशल ऑडिट सभी जिलों में अनिवार्य कर दिया गया है।

v. एनीमिया के उच्च प्रसार वाले आकांक्षी जिलों और जिलों में बच्चों को पूरक पोषाहार सामग्री उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रावधान किया गया है।

vi.) स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री और सब्जियों के आधार पर जातीय व्यंजनों और नवीन मेनू को बढ़ावा देने के लिए ग्राम स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सभी स्तरों पर खाना पकाने की प्रतियोगिताओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।

vii.) आत्मानिर्भर भारत के लिए वोकल फॉर लोकल: योजना के कार्यान्वयन में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा। स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले पारंपरिक खाद्य पदार्थों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।

viii.) प्रख्यात विश्वविद्यालयों / संस्थानों के छात्रों और क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों (आरआईई) और जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों (डीआईईटी) के प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए प्रगति की निगरानी और निरीक्षण के लिए क्षेत्र का दौरा किया जाएगा।