*-दूरदर्शी लोगों ने बनाये तालाब, लापरवाही से हुए अनुपयोगी, अब फिर लबालब दुर्ग । असल बात न्यूज।। ऐतिहासिक रूप से धमधा माडल जल संरक्षण के ...
*-दूरदर्शी लोगों ने बनाये तालाब, लापरवाही से हुए अनुपयोगी, अब फिर लबालब
दुर्ग । असल बात न्यूज।।
ऐतिहासिक रूप से धमधा माडल जल संरक्षण के लिए प्रसिद्ध था। जलसंकट से जूझते धमधा राज ने सरोवरों की श्रृंखला तैयार कर अपने लोगों के लिए जल संचय तो किया ही गया, खेतों के लिए भी पर्याप्त पानी की व्यवस्था की। छह कोरी छह आगर अर्थात 126 तालाबों वाले धमधा में तालाबों की वर्तमान स्थिति काफी जर्जर थी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के जलस्रोतों के संरक्षण की पहल पर जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे के निर्देश पर धमधा में जलस्रोतों की रिचार्जिंग का कार्य किया गया। एनीकटों के पुनरूद्धार एवं मरम्मत कार्यों से इन तालाबों को पुनः संजीवनी मिली है।
नए प्रयासों से यहां के तालाब पुनः लहराने लगे हैं। आसपास जलस्तर तेजी से बढ़ा है। इसका लाभ किसानों के बोरवेल में आया है और खेतों के लिए भी पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है।
बगीचा एनीकट के पुनरुद्धार से स्थिति बदली- धमधा के तालाबों में जलस्तर की कमी को देखते हुए शासन और जिला प्रशासन ने अपनी कमर कसी और भारती बगीचा एनीकट के पुनरुद्धार का कार्य शुरू किया। शासन के द्वारा एक करोड़ की राशि मरम्मत कार्य के लिए स्वीकृत की गई। इस राशि से जल संसाधन विभाग में 1.6 किलोमीटर लंबाई वाले बगीचा एनिकट के जीर्णोद्धार का कार्य किया गया। इस कार्य ने धमधा के प्राकृतिक जल स्रोतों की तस्वीर ही बदल दी है। आज धमधा के निस्तारी तालाब पानी से लबालब भरे हुए दिखाई देते हैं। इससे अन्य जल स्रोतों को भी उतना ही फायदा मिला है जितना तालाबों को। वाटर रिचार्जिंग से कुएं और बोरिंग में भी जल का स्तर बढ़ा है। इस कार्य की सफलता से गांव वालों में उत्साह देखते ही बनता है।
*तालाबों से छलका उत्साह*- तालाबों में पानी होने से इसके सौंदर्यीकरण का कार्य भी किया जा रहा है। आपको कुछ तालाब कमल से घिरे हुए दिखाई देंगे, कुछ में बत्तख तैरते हुए और तो और बच्चे भी आप को पानी में क्रीडा करते हुए दिखाई देंगे। एनीकट ने गांव में ऐसा रंग भर दिया है कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे गांव का नवीनीकरण हो गया है।
*जलसंचय को लेकर अद्भुत दृष्टि थी हमारे पूर्वजों की*- धमधा शहर का ऐतिहासिक महत्व रहा है और यह ऐसा क्षेत्र रहा है जहां मानसूनी वर्षा अन्य क्षेत्रों की तुलना में थोड़ी कम होती है। अपने संकल्प से और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी जल संचय के लिए धमधा में अनेक तालाब बनवाये गये। धमधा के बुजुर्ग बताते हैं कि सैकड़ों सालों पहले यह तालाब बनें, उनकी कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रहीं। तालाबों के लिए जगह के चुनाव से लेकर इसके कैचमेंट एरिया के चुनाव तक सभी कुछ तकनीकी विशेषज्ञों ने बताया और गाँव वालों ने इसे उत्सव से मनाया। धमधा का हर तालाब अपने बनने को लेकर और इसके महत्व को लेकर अपनी कहानी रखता है।