रायपुर। असल बात न्यूज़।। छत्तीसगढ़ राज्य मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष एमआर निषाद का कहना है कि राज्य में मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देन...
रायपुर।
असल बात न्यूज़।।
छत्तीसगढ़ राज्य मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष एमआर निषाद का कहना है कि राज्य में मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने के बाद से मछुआरों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आ रही है और स्थिति सुधर रही है। राज्य सरकार के नए फैसले से मत्स्य पालकों को किसानों की तरह शून्य ब्याज दर पर उनके काम के लिए लोन मिलने लगेगा। उन्होंने मत्स्य पालकों से मत्स्य पालन के व्यवसाय से जुड़ कर राज्य सरकार की योजनाओं का अधिक से अधिक फायदा उठाने की अपील की है।
बोर्ड अध्यक्ष श्री निषाद से असल बात न्यूज की टीम ने विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि प्रदेश में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व मे मछुआरों की आर्थिक हालत को सुधारने नई मछुआ नीति बनाई जा रही है। राज्य में मत्स्य संपदा योजना के तहत ऐसे पलकों को निजी तलाब में मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। निजी तालाबो में मत्स्य पालन करने पर महिला व अनुसूचित जनजाति वर्ग के मत्स्य पालकों को 60% तथा सामान्य वर्ग के मत्स्य पालकों को 40% अनुदान दिया जा रहा है। इसके साथ ही जो बड़े बड़े डैम में मछली मारने का काम करने वाले मछुआरों को बोनस देने की योजना बनाई जा रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा देने के सरकार के फैसले से मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए किसानों के समान ब्याज रहित ऋण सुविधा मिलने के साथ ही जलकर और विद्युत शुल्क में भी छूट का लाभ मिलेगा। इससे राज्य में मछली पालन को बढ़ावा मिलने के साथ ही इससे जुड़े 2 लाख 20 हजार लोगों की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएगा।
छत्तीसगढ़ राज्य में बीते ढाई सालों में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से मछली पालन के क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। राज्य में ढाई सालों में मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में 13 प्रतिशत और मत्स्य उत्पादन में 9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। कृषि का दर्जा मिलने से मत्स्य पालन के क्षेत्र में राज्य अब और तेजी से आगे बढ़ेगा, यह संभावना प्रबल हो गई है। छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य पालन के लिए अभी मछुआरों को एक प्रतिशत ब्याज पर एक लाख तक तथा 3 प्रतिशत ब्याज पर अधिकतम 3 लाख रुपए तक ऋण मिलता था। कृषि का दर्जा मिलने से अब मत्स्य पालन से जुड़े लोग सहकारी समितियों से अब अपनी जरूरत के अनुसार शून्य प्रतिशत ब्याज पर सहजता से ऋण प्राप्त कर सकेंगे।
मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य न सिर्फ आत्मनिर्भर है, बल्कि यहां से मत्स्य बीज की आपूर्ति पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश उड़ीसा और बिहार को होती है। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में 288 करोड़ मत्स्य बीज फ्राई तथा 5.77 लाख मैट्रिक टन मछली का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। राज्य की मत्स्य उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 3.682 मीटरिक टन है, जो राष्ट्रीय उत्पादकता 3.250 मीटरिक टन से लगभग 0.432 मीटरिक टन अधिक है। छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य उत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए अब केज कल्चर को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य में अब तक 2386 केज स्थापित किए जा चुके हैं। कोरबा जिले के हसदेव बांगो जलाशय में 1000 केज की स्थापना की जा रही है।
बोर्ड अध्यक्ष श्री निषाद ने बताया है कि अभी ग्राम पंचायत क्षेत्रों में मछुआरों तथा मत्स्यपालन समितियों को कई तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है।हम इन समस्याओं का निराकरण करने की भी कोशिश करने में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि मछुआ कल्याण बोर्ड के द्वारा या कोशिश की जा रही है कि ग्राम पंचायत क्षेत्रों के तालाबों में मछुआरों तथा मछुआरा समितियों को ही मत्स्य पालन तथा मछली मारने का काम मिलने लगे।