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स्वरूपानंद महाविद्यालय में तुलसी दिवस का आयोजन

  भिलाई। असल बात न्यूज़।। स्वरूपानंद महाविद्यालय में तुलसी दिवस का आयोजन किया गया आयोजन में भारती संस्कृति में तुलसी की पूजा क्यो की जाती है...

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 भिलाई।

असल बात न्यूज़।।

स्वरूपानंद महाविद्यालय में तुलसी दिवस का आयोजन किया गया आयोजन में भारती संस्कृति में तुलसी की पूजा क्यो की जाती है इस परिपेक्ष्य में तुलसी के उपयोग के लाभकारी गुणो व वैज्ञानिक महत्व पर प्रकाश डाला गया। तुलसी दिवस में स्टॉफ तथा विद्यार्थियों ने तुलसी की महत्ता पर अपने विचार रखें तथा तुलसी का पौघा एक दूसरे को देकर उसे सुरक्षित रखने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम की आयोजिका डॉ शमा ए. बेग विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलाजी ने बताया कि तुलसी में पाये जाने वाले चालीस सेकंडरी मेटाबोलिक तत्व एंटीमाईक्रोबायल, रेडियोप्रोटेक्टीव, कार्डियोप्रोटेक्टीव और मास्कीटो रीपलेंट होते है।  

महाविद्यालय के सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने बताया कि तुलसी की पत्तियो का सेवन रक्त को शुध्द करने का काम करती है, वही वैज्ञानिक रूप से तुलसी के दो पत्तों को मोबाईल के कवर में रखने से फाफी हद तक रेडियेशन के प्रभाव से बचा जा सकता है।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि तुलसी के पत्तों का आयुर्वेदिक रूप से देखा जाये तो यह बहुत ही गुणकारी है जैसे शुगर लेवल कंट्रोल  करता है, तुलसी के इस पानी को पीने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है जिसकी वजह से कार्ब्स और फैट को बर्न करना आसान हो जाता है, पाचन क्रिया के लिएण् तुलसी के पत्ते पाचन को सही रखने में मदद करते हैं इसके साथ ही ऐसिडिटी और पेट में जलन की परेशानी को भी यह दूर रखता है।

शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष एवं उपप्राचार्य डॉ अजरा हुसैन ने कहा रोज पॉच पत्ती तुलसी खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे विभिन्न रोगो से मुक्त रहा जा सकता है।

बॉटनी की विभागाध्यक्ष डॉ निहारिका देवांगन ने बताया कि तुलसी की पत्तियो को पीस कर जख्म या घाव में लगाने से जल्द ही आराम मिलता है।

बीएससी की छात्रा कुमारी कृति गुप्ता ने कहा कि तुलसी की महत्ता के कारण ही हिन्दू धर्म में तुलसी की पूजा की जाती है।

शिक्षा विभाग की छात्रा कुमारी लीना साहू ने कहा कि तुलसी पौधा न होकर पूजनीय है क्योकि इसकी पत्तियॉ कई असाध्य बीमारियों  में कारगर साबित होती है।

बीए के छात्र पृथ्वी सिंह राजपूत ने कहा कि तुलसी के महत्व के कारण ही भारतीय संस्कृति में घरों में तुलसी के पौधा लगाया जाता है।