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जामुल में पराजय से कांग्रेस को बड़ा झटका, कई तरह की कानाफूसी शुरू, अपने ही लोगों पर भी उठाई जा रही हैं अंगुलियां

  रायपुर, भिलाई। असल बात न्यूज़।।  दुर्ग जिले में कांग्रेस, स्थानीय निकायों में मिली बड़ी जीत का जश्न मना रही है तो वही इसी जिले में जामुल न...

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 रायपुर, भिलाई।

असल बात न्यूज़।। 

दुर्ग जिले में कांग्रेस, स्थानीय निकायों में मिली बड़ी जीत का जश्न मना रही है तो वही इसी जिले में जामुल नगर पालिका परिषद के चुनाव में पार्टी को बड़ा झटका लगा है। जामुल में पार्टी को जिस तरह से हार मिली है उससे संगठन में दुर्ग जिले सहित राजधानी रायपुर में भी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है और हलचल मची नजर आ रही है। कई तरह की बातें सामने आ रहे हैं और यह भी कहा जा रहा है कि अपने ही लोगों के बीच भी सही समन्वय नहीं बन सका। जो संसाधन उपलब्ध कराए गए वह सभी तक समय पर पहुंच नहीं सका। ऐसे करने की वजह से भी पार्टी को इस तरह की बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा है। 

जामुल नगर पालिका क्षेत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला है। यह लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रूद्र कुमार के विधानसभा क्षेत्र अहिवारा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।इस स्थानीय निकाय के चुनाव को लेकर गुरु रूद कुमार काफी पहले से काफी गंभीर नजर आ रहे थे और उन्होंने चुनाव शुरू होने के पहले भी यहां कई सभाएं ली और चुनाव प्रचार के दौरान भी कई चुनावी जनसभाएं ली। उनका आम लोगों से  संपर्क निरंतर बना हुआ था। ऐसे में हर चुनाव काफी प्रतिष्ठा पूर्ण बन गया था। यह क्षेत्र पूर्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा रहा है जिससे निश्चित रूप से यहां के लोगों से उनका जीवंत से संपर्क है।इस क्षेत्र में उनकी सभाएं होती हैं तो वे उनके विधानसभा क्षेत्र में रहने के दौरान इस क्षेत्र में किए गए कार्यों को, पुरानी बातों को जरूर याद करते हैं। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर जामुल नगरपालिका का स्थानीय निकाय का चुनाव स्वाभाविक तौर पर काफी प्रतिष्ठापूर्ण बन गया था। 

ऐसे में इस स्थानीय निकाय  के चुनाव के लिए कांग्रेस के द्वारा काफी पहले से तैयारियां की जा रही थी। यहां परिषद के पिछली कार्यकारिणी का कार्यकाल एक साल पहले  दिसंबर में ही पूर्ण हो गया था। कहा जा सकता है कि कांग्रेस के द्वारा उसी समय से इस  चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई थी। कांग्रेस के द्वारा इसी निकाय क्षेत्र में पूरे प्रदेश में सबसे पहले बूथ स्तर, वार्ड स्तर पर संगठन की बॉडी तैयार करने का दावा किया जा रहा है। यहां आम जन भावनाओं का अनुसार विकास के काम लगातार शुरू किए जा रहे थे। मंत्री गुरु रूद्र कुमार ने यहां पिछले साल भर में करोड़ों के विकास के काम शुरू करवाएं। लगातार मेहनत, आम लोगों की भावनाओं के अनुरूप  कार्य करने और लोगों से जुड़े रहने के बावजूद पार्टी को स्थानीय निकाय चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है तो स्वाभाविक तौर पर  पार्टी को  यहां बड़ा धक्का पहुंचा है। संगठन से जुड़े हुए लोग सदमे में हैं।

इस चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 5 सीटों पर ही जीत मिल सकी है। 20 सीटों में  5 सीटों पर जीत मिली है।अब इस हार के कारणों की समीक्षा की जा रही है। हार के कारणों का ठीकरा किसके सिर पर फूटेगा यह बाद की बात है लेकिन कई कारण गिनाए जा रहे हैं जिसमें आपसी समन्वय का ना होना भी बड़े कारण में गिनाया जा रहा है। एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने हमसे बातचीत करते हुए शिकायती लहजे में कहा कि हम  अपने चुनाव प्रचार की सूचनाएं मीडिया तक पहुंचाने में भी  असफल साबित हुए। हमें ज्यादा नहीं मालूम लेकिन शायद नए लोगों को ऐसे काम की जिम्मेदारी दे दी गई, जिनमें इस क्षेत्र और ऐसे काम के बारे में कोई समझ, जानकारी नहीं है अथवा कमी है कि लोगों से कैसे जुड़ना चाहिए। स्थानीय स्तर पर ऐसे काम की जिसे जिम्मेदारी दी गई उसे अधिकार नहीं दिया गया। उन्होंने कहा यह तो एक छोटे से काम का हिस्सा है, ऐसे ही चुनाव के दूसरे महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में भी समझा सकता है। वही यह भी कहा जा रहा है कि कुछ विशेष वार्डो में ही तमाम संसाधनों पर कब्जा करने की कोशिश की गई, तमाम संसाधन कुछ ऐसे विशेष वार्डों में ही dump हो गए। और यह संसाधन दूसरे वार्डो तक नहीं पहुंचने दिए गए।इस वजह से कई उम्मीदवारों को व्यवस्था होने के बावजूद संसाधनों की कमी से जूझना पड़ा। अब यह सब बातें धीरे-धीरे सामने आ रही हैं। इस चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इन पार्षदों में से ही अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। ऐसे में जो अध्यक्ष बनने के दावेदार थे उनको पार्टी में ही टारगेट करने की कोशिश की गई और उन्हें  हराने का प्रयास किया गया।इस वजह से ही पार्टी के कुछ उम्मीदवारों को कमजोर करने की कोशिश की गई।ऐसे कई कारण रहे जो पार्टी के प्रत्याशियों के हार का कारण गिनाए जा रहे हैं। चुनाव के दौरान पार्टी के संगठन प्रभारी बनाए गए आलोक पांडेय ने आम कार्यकर्ताओं को एक साथ जोड़ने और समन्वय बनाने की कोशिश की, लेकिन कहा जा रहा है कि संभवता स्थानीय कई लोगों के द्वारा  इसकी भी उपेक्षा की गई और पार्टी के दिशा निर्देशों को नजरअंदाज किया गया।

कांग्रेस के एक जिम्मेदार ने कहा कि पार्टी के पास संसाधनों की कहीं कोई कमी नहीं थी। चुनाव के लिए पार्टी के कार्यकर्ता काफी पहले से तैयारी कर रहे थे। एक, एक बूथ पर तैयारियां की गई थी। हम कहीं कमजोर नहीं थे। यह चुनाव परिणाम हम सभी के लिए अप्रत्याशित है।