बचाव के कई प्राथमिक उपाय कर लिए गए तो कोरोना के संक्रमण के फैलाव को काफी हद तक रोका, नियंत्रित किया जा सकता है, लग रहा है कि अभी बहुत कुछ ...
बचाव के कई प्राथमिक उपाय कर लिए गए तो कोरोना के संक्रमण के फैलाव को काफी हद तक रोका, नियंत्रित किया जा सकता है, लग रहा है कि अभी बहुत कुछ हमारे हाथ में है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी इस बारे में शासन प्रशासन को लगातार सुझाव दे रहे हैं। शासन प्रशासन को भी इन सुझावो को काफी गंभीरता से लेना होगा क्योंकि यह आम लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ मामला है। प्राथमिक चरण पर ही इसके रोकथाम के उपाय कर लिए जाएंगे तो हमें बेड की कमी, ऑक्सीजन की कमी, स्वास्थ्य सुविधाओं की दूसरी कमियों के जैसी समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। मतलब संक्रमण जहां से आ रहा है हमें उसे फैलने देने का मौका देने के बजाय वही नियंत्रित करने की जरूरत है। अब देखना है कि राज्य में हम इसमें कितना सफल हो पाते हैं।
रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर।
असल बात न्यूज़।।
0 अशोक त्रिपाठी
0 चिंतन, विश्लेषण / जिंदगी बचाने के लिए
छत्तीसगढ़ राज्य में बाहर से आने वाले लोग कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं। ऐसे लोग केरल, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, तमिलनाडु जैसे राज्यों से वापस लौट रहे हैं और उनमें तेज बुखार सर्दी खासी की शिकायतें पाई जा रही है। जांच कराने पर यही लोग कोरोना पॉजिटिव निकल रहे हैं। मतलब अभी छत्तीसगढ़ के रहवासियों से कोरोना नहीं फैल रहा है। पूरे देश में दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, केरल जैसे प्रदेशों में ओमिक्रन variant के संक्रमण के सबसे अधिक फैलाव को दर्ज किया गया है।इन प्रदेशों को इस संक्रमण के फैलने के गंभीर खतरे से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में आवागमन के जो सार्वजनिक स्थल रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, हवाई अड्डे पर कोरोना की स्ट्रिक्ट जांच करने की व्यवस्था की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
अभी लोगों के जेहन में यह सवाल कौंध रहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में कोरोना के संक्रमण का फैलाव फिर इतनी तेज गति से क्यों शुरू हो गया है ? इसके संक्रमण के फैलने की मुख्य वजह क्या है ? ऐसे में मुख्य तौर पर यह बात सामने आ रही है कि छत्तीसगढ़ में अभी स्थानीय लोगों से कोरोना के संक्रमण का फैलाव नहीं हो रहा है। जो लोग बाहर से लौट रहे हैं वहीं संक्रमित पाए जा रहे हैं। खासतौर पर दिल्ली , महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से जो लोग लौट रहे हैं वही कोरोना के संक्रमित पाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस पॉइंट को गंभीरता से लिया है तथा इस पर अपनी चिंता जाहिर की है। यह कहा जा रहा है कि इस मुद्दे को गंभीरता से देखते हुए इसकी रोकथाम के लिए कार्यवाही की गई तो corona के संक्रमण के फैलाव को रोकने मैं प्राथमिक चरण में ही सफलता पाई जा सकती है। इसके फैलाव को यहीं पर आगे बढ़ने से रोका जा सकता है।इस बात को अत्यंत गंभीरता से लिए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसको रोकने के लिए समुचित कदम उठा लिए गए तो कोरोना के संक्रमण के बढ़ने का जो खतरा पैदा हो गया है उसे निश्चित तौर पर शत प्रतिशत नहीं तो 80% तक जरूर खत्म और नियंत्रित किया जा सकता है।
अब सवाल उठ रहा है कि इसे रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए। बाहर से आने वाले लोग कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं। लेकिन यह भी सही है कि बाहर से आने वाले लोगों के प्रवेश को तात्कालिक तौर पर उड़ता प्रबंध प्रतिबंधित तो नहीं किया सकता। लेकिन अभी हम कोरोना के संक्रमण के फैलने के महत्वपूर्ण प्राथमिक चरण से गुजर रहे हैं।इस प्राथमिक चरण में corona को कई कदम उठाकर वहीं उसकी अपनी जगह पर नियंत्रित किया जा सकता है, रोका जा सकता है। छत्तीसगढ़ में इसके पहुंचने और फैलाव को रोका जा सकता है। इस बारे में शासन प्रशासन को सख्त कदम उठाने और सख्त निर्णय लेने होंगे। जो लोग बाहर से आ रहे हैं उन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा है अथवा नहीं ? उनकी नियमित जांच की जा रही है अथवा नहीं ?, इस पर फिर सवाल उठने लगा है। ये कदम नहीं उठाए गए तो इसके घातक परिणाम हो सकते हैं।
हमारे पास जो जानकारी है उसके अनुसार राजगढ़ जिले के खैरागढ़ ब्लॉक में कल एक कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। यह शिक्षक है तथा कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल से वापस लौटा है। उसे तेज बुखार सर्दी खांसी की शिकायत है जिसके बाद उसकी corona टेस्ट कराई गई, जिसमें उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आना बताया जा रहा है। अब यह महत्वपूर्ण सवाल हमारे सामने है कि जब वह पश्चिम बंगाल से लौटा तो क्या उसकी कहीं corona टेस्टिंग कराई गई ? छत्तीसगढ़ पहुंचने पर उसकी टेस्टिंग के नहीं कराई गई ? जो परिस्थितियां हैं उससे साफ पता चलता है कि उसकी यहां पहुंचने पर कहीं टेस्टिंग नहीं कराई गई और उसका संक्रमण बढ़ता गया, उसका बुखार तेज होता गया। अब इस बारे में सोचिए,इसके क्या दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं ? उस संक्रमित व्यक्ति के शरीर में स्वाभाविक तौर पर संक्रमण का प्रतिशत काफी बढ़ गया वही उससे, उस संक्रमित से दूसरे लोगों तक संक्रमण खेलने का खतरा भी कई गुना बढ़ गया। थोड़ी सी अनदेखी, लापरवाही, उपेक्षा किस तरह से बड़ा खतरा पैदा कर सकती है उसे हम यहां ऐसे छोटे छोटे उदाहरणों से समझ सकते हैं। ऐसी लापरवाही बढ़ती जाती है और हम ऐसे सवाल से जूझते ही रह जाते हैं कि कोरोना के संक्रमण का फैलाव आखिर बढ़ा कैसे ?
इसी राजनांदगांव जिले में 1 दिन पहले चार में संक्रमित मिले हैं। जो जानकारी मिली है कि इनमें से सभी के सभी बाहर से लौटे हैं। एक के बारे में तो हमने बताया कि वह पश्चिम बंगाल से लौटा है। दूसरे जो संक्रमित पहले हैं उनमें से कोई केरल से लौटा है तो कोई महाराष्ट्र से। यह वास्तविकता है। अब यही महत्वपूर्ण सवाल है कि इनसे दूसरों तक संक्रमण न फैले इसके लिए हम क्या कर सकते हैं क्या कदम उठा रहे हैं।
रायपुर में तो कोरोना का महा विस्फोट शुरू हो गया है। अभी यह नहीं कह सकता कि वहां इसके संक्रमण का सामुदायिक फैलाव शुरू हो गया है क्या। लेकिन वहां जो हालात हैं वह खतरनाक बनते जा रहे हैं और कोरोना के संक्रमण का वहां सामुदायिक फैलाव शुरू हो जाए इससे इंकार नहीं कर सकता। लेकिन फिर भी सूचियां हमारे नियंत्रण में है और इसकी रोकथाम के लिए हम अभी भी बहुत कुछ कर सकते हैं जिससे कि कोरोना के संक्रमण का फैलाव सामुदायिक रूप नहीं ले सकेगा। लोग कहते हैं कि संक्रमण का फैलाव "पीक" पर है, लेकिन यह पिक के हालात अपने आप नहीं आते बल्कि इसके लिए हम ही जिम्मेदार हैं। हम ऐसे हालात के निर्मित होने का इंतजार नहीं कर रहे हैं तो इसका रोकथाम के आ सकता है। राज्य शासन के द्वारा तो corona की गाइडलाइन के पालन के संबंध में कड़े आदेश दो दिन पहले ही जारी कर दिए गए हैं लेकिन कई जिलों में इसका पालन होता नजर नहीं आ रहा है। सबसे पहली बात की रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंड पर आने वाले यात्रियों की जांच करना अत्यंत जरूरी है। वहीं से स्पष्ट है सुनिश्चित कर लिया जाना होगा कि हमारे यहां corona के संक्रमित तो नहीं पहुंच रहे हैं। सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात कही जा रही है कि इस व्यवस्था को तत्काल सुनिश्चित कर लेने से ही इसके सकारात्मक परिणाम दिखेंगे अन्यथा सामुदायिक फैलाव शुरू हो जाने पर यह पहल बहुत अधिक असरकारक नहीं रह जाएगी। तब इस जांच का, नियंत्रण के उपाय का बहुत अधिक महत्व नहीं रह जाएगा।
दुर्ग जिले से भी जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार जहां भी यह संक्रमित मिले हैं वह सभी बाहर से दूसरे प्रदेशों से यहां आए हैं। रायगढ़ जिला अभी बहुत बड़ा औद्योगिक क्षेत्र बन गया है और वहां प्रतिदिन उड़ीसा पश्चिम बंगाल महाराष्ट्र से श्रमिकों का आना जाना होता है। रायगढ़ और कोरबा जिले, छत्तीसगढ़ में अभी corona के बड़े हॉटस्पॉट बन गए हैं। दुर्ग जिले के बारे में तो सबको मालूम है यह महाराष्ट्र प्रदेश से सटा हुआ है और यहां व्यापारिक काम के लिए भी प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों का महाराष्ट्र आना जाना लगा रहता है। संभलना हमी को है। बाद में क्या दुष्परिणाम आते हैं यह हमने corona की दूसरी लहर में देखा है। हमने लोगों को ऑक्सीजन की कमी से छटपटाते देखा है। अस्पताल में जगह नहीं मिलने से एक स्थान से दूसरे स्थान भटकते देखा है। श्मशान घाट में एक एक घंटे में 30,30 लाशों को जलते देखा है। यह घटनाएं सोच कर ही दिल को दहला देने वाली है। कोई नहीं चाहेगा कि ऐसी त्रासदी की पुनः वापसी हो। सभी प्रार्थना करेंगे कि ऐसी महामारी को प्राथमिक चरण पर ही रोकने के लिए समुचित कदम उठा लिए जाए।
रहे थे।
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